टिकट में हो रही देरी से दलों के दावेदारों की बढ़ी धड़कन

Last Updated 23 Mar 2019 01:04:12 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए प्रतिष्ठित सीट इलाहाबाद और फूलपुर के लिए टिकट बंटवारे में हो रही देरी से दावेदारों के दिल की धड़कनें बढ़ गयी है।


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा अभी तक दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं करने से दावेदारों में बेचैनी बढ़ा रही है।

टिकट घोषणा की देरी दावेदारों में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा दे रही है। उन्हें डर सताने लगा है कि अन्दर खाने कहीं उनका पत्ता न कट जाए।

आजादी के बाद पहली बार भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की बदौलत दोनों सीटों पर कब्जा कर लिया था। भाजपा के टिकट पर केशव प्रसाद मौर्य ने फूलपुर की प्रतिष्ठित सीट पर कमल खिलाया था और इलाहाबाद सीट पर श्यामाचरण गुप्ता विजयी हुए थे। हालांकि फूलपुर सीट अधिक समय तक भाजपा के पास नहीं टिक सकी और 2017 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर सपा ने कब्जा कर लिया।

श्यामाचरण गुप्त कमल से बगावत कर 2019 में बांदा लोकसभा चुनाव के लिए साइकिल पर सवार हो गये हैं। इनके कमल छोड़कर साइकिल पर सवार होने से भाजपा इलाहाबाद सीट पर साख बचाने के किसी मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतारने की योजना बना रही है। फूलपुर में सीट गंवाने और इलाहाबाद सीट छोड़कर साइकिल पर श्यामाचरण गुप्त के सवार होने से भाजपा दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए किसी भी प्रकार का खतरा मोल नहीं लेना चाहेगी।

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से उत्तर प्रदेश की कहानी छिपी नहीं है। 2014 का चुनाव पार्टी मोदी लहर में आसानी से निकाल ले गयी थी।

फूलपुर संसदीय निर्वाचन सीट पर भाजपा प्रत्याशी केशव प्रसाद मौर्या ने 2014 में अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी सपा के धर्मराज पटेल को तीन लाख आठ हजार 308 मतों से पराजित किया। केशव प्रसाद मौर्य को कुल 503564 मत मिले जबकि पटेल के पक्ष में 195256 मत पड़े थे।

यहां निवर्तमान सांसद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कपिलमुनी करवरिया तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी क्रिकेटर मोहम्मद कैफ चौथे स्थान पर रहे और अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।

इलाहाबाद सीट पर भी भाजपा के श्यामा चरण गुप्ता ने जीत हासिल की थी। उन्हें कुल तीन लाख 13 हजार 476 वोट मिले। सपा के रेवती रमण सिंह को 1,61,753 मतों से  पराजित किया था। भाजपा को दो लाख 51 हजार 723 मत मिले थे। बसपा की केसरी देवी पटेल को एक लाख 62 हजार 45 और कांग्रेस के नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी को एक लाख दो हजार 350 वोट मिले थे।

टिकट कि दावेदारी को लेकर यहां सबसे अधिक भाजपा के खेमे में दबाव है। भाजपा के यहां से चार मंत्री हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और स्टाम्प और उड्डयन मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ हैं। सपा और बसपा गठंबंधन के कारण इलाहाबाद और फूलपुर सीट सपा के खाते में आयी है। सपा भी फूलपुर सीट को किसी भी रूप में हाथ से जाने नहीं देगी और कांग्रेस की वैतरणी तो प्रियंका के हाथ में सौंपी गयी है।

लम्बे समय से वनवास झेल रही कांग्रेस पूरब को साधकर चुनावी वैतरणी पार करने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथों में बागडोर सौंपकर एक नए अध्याय की शुरूआत की है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग थी कि चुनाव प्रचार में प्रियंका को मैदान में उतारा जाए जिससे विपक्षी को मात दी जा सके। भाजपा के शीर्ष नेता भले ही प्रियंका को राजनीतिक चुनौती नहीं मानते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में तीन दशक से राजनीतिक वनवास झेल रही कांग्रेस के लिए वह ‘संजीवनी’ साबित हो सकती हैं।
 

वार्ता
प्रयागराज


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