आर्थिक वृद्धि घटकर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान, अगले साल आयेगी तेजी: आर्थिक सर्वे

Last Updated 31 Jan 2017 02:51:28 PM IST

आर्थिक सुधारों को और गति देने पर जोर देते हुये वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के कमजोर पड़कर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.


वित्त मंत्री अरूण जेटली (फाइल फोटो)

हालांकि, अगले वित्त वर्ष के दौरान इसके सुधर कर 6.75 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में पहुंच जाने की उम्मीद व्यक्त की गई है.

वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में पेश वर्ष 2016-17 की आर्थिक समीक्षा में और सुधारों पर जोर दिया गया है. पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही थी जबकि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी वृद्धि के 7.1 प्रतिशत रहने का अग्रिम अनुमान लगाया है.

आर्थिक समीक्षा में देश की आर्थिक प्रगति के रास्ते में आड़े आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया गया है. इनमें संपत्ति के अधिकार तथा निजी क्षेत्र के बारे में दुविधा की स्थिति और खास कर आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति तथा आय के पुनर्वितरण में के मालों में सरकार की कमियां शामिल हैं.

समीक्षा में कहा गया है कि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान स्थिर बाजार मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. यह अनुमान मुख्यत: वित्त वर्ष के शुरूआती 7-8 महीनों की प्राप्त सूचना के आधार पर लगाया गया है. वर्ष के दौरान सरकार का उपभोग व्यय ही जीडीपी में हुई वृद्धि के लिये मुख्य रूप से सहायक रहा है.
  
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2017-18 के दौरान आर्थिक वृद्धि की गति सामान्य हो जाने की उम्मीद है. इस दौरान अपेक्षित मात्रा में नये नोट चलन में आ जायेंगे और नोटबंदी के बाद जरूरी कदम भी उठाये गये हैं. ‘‘यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार पकड़कर वर्ष 2017-18 में वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जायेगी.’’

समीक्षा में कहा गया है कि उपभोक्ता मूलय सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई) की दर लगातार तीसरे वर्ष नियंत्रण में रही है. वर्ष 2014-15 में सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर 5.9 प्रतिशत से घटकर 2015-16 में 4.9 प्रतिशत रह गई और अप्रैल-दिसंबर 2016 के दौरान यह 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई.
  
इसी प्रकार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर 2014-15 के 2 प्रतिशत से घटकर शून्य से 2.5 प्रतिशत नीचे चली गई और चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर 2016 के दौरान औसतन 2.9 प्रतिशत आंकी गई.
  
समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि महंगाई दर में बार बार खाद्य वस्तुओं के संक्षिप्त समूह में आने वाले उतार चढ़ाव का असर रहता है. इन वस्तुओं में दाल मूल्यों का सार्वधिक योगदान खाद्य समूह की मुद्रास्फीति में देखा गया है.
  
इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मूल मुद्रास्फीति (खाद्य वस्तुओं के समूह को छोड़कर) औसतन 5 प्रतिशत के स्तर पर टिकी हुई है.

समीक्षा में कहा गया है कि लम्बे समय से गिरावट से प्रभावित निर्यात क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष के दौरान सुधार के लक्षण दिखाने लगा है. इस बार अप्रैल से दिसम्बर के दौरान निर्यात 0.7 प्रतिशत वृद्धि के साथ 198.8 अरब अमेरिकी डालर तथा आयात 7.4 प्रतिशत घटकर 275.4 अरब डालर रहा. इस अवधि में व्यापार घाटा कम होकर 76.5 अरब डालर रह गया जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में इसी दौरान व्यापार घाटा 100.1 अरब अमेरिकी डालर रहा था.


  
इसमें कहा गया है कि 2016-17 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी का 0.3 प्रतिशत रह गया जबकि इससे पिछले साल इसी अवधि में यह 1.5 प्रतिशत रहा था. पिछले पूरे वित्त वर्ष में 1.1 प्रतिशत रहा था.
  
समीक्षा में भारतीय रपये के प्रदर्शन को अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर बताया गया है.
  
समीक्षा में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2016-17 में 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 1.2 प्रतिशत रही थी. इसमें कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में पिछले दो वर्षों के मुकाबले इस साल मानसून बेहतर रहा है.
  
चालू फसल वर्ष के दौरान 13 जनवरी 2017 तक रबी फसलों की बुवाई का रकबा 616.2 लाख हेक्टेयर आंका गया जो कि पिछले साल इसी अवधि में रहे बुवाई रकबा के मुकाबले 5.9 प्रतिशत अधिक है. इस दौरान गेहूं फसल का बुवाई रकबा पिछले साल के मुकाबले 7.1 प्रतिशत अधिक रहा है. इसी प्रकार रबी मौसम की एक अन्य प्रमुख फसल चने की बुवाई का रकबा 13 जनवरी 2017 को पिछले साल की इसी अवधि के बुवाई रकबे की तुलना में 10.6 प्रतिशत अधिक रहा है.
 
समीक्षा में वर्ष 2016-17 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर कम होकर 5.2 प्रतिशत के स्तर पर आ जाने का अनुमान है. वर्ष 2015-16 में यह 7.4 प्रतिशत रही थी. अप्रैल से नवंबर 2016-17 के दौरान औद्योगिक उतपादन सूचकांक :आईआईपी: में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई.
  
इसमें कहा गया है कि कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन से यह तथ्य सामने आया है कि वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही के दौरान कुल बिक्री में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि वर्ष 2016-17 की प्रथम तिमाही में यह वृद्धि महज 0.1 प्रतिशत रही थी. दूसरी तिमाही में कापरेरेट क्षेत्र के शुद्ध लाभ में 16 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई जबकि वर्ष की पहली तिमाही में उसके लाभ में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई थी.
  
सेवा क्षेत्र के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि 2016-17 के दौरान इस क्षेत्र में 8.9 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है. यह आंकड़ा 2015-16 में दर्ज की गई वृद्धि के लगभग बराबर ही है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने से कर्मचारियों को काफी राशि प्राप्त हुई है, इसे देखते हुये सेवा क्षेत्र में तीव वृद्धि की उम्मीद है.
  
समीक्षा में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण में आ रही समस्याओं को लेकर भी उल्लेख किया गया है. यहां तक कि ऐसे उपक्रमों का भी निजीकरण नहीं हो पाया जिनमें अर्थशास्त्रियों ने जोरदार पहल करते हुये कहा है कि इन उपक्र मों को निजी हाथों में सौंप देना चाहिये.
  
इस संबंध में समीक्षा में कहा गया है कि नागरिक उड्डयन, बैंकिंग और उर्वरक क्षेत्र में निजीकरण को आगे बढ़ाये जाने की आवश्यकता है.
  
समीक्षा के मुताबिक राज्य की स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सेवाओं को उपलब्ध कराने की क्षमता काफी कमजोर है. इसमें भ्रष्टाचार, लालफीताशाही का बोलबाला भी है. राज्यों के स्तर पर सेवाओं को पहुंचाने के मामले में प्रतिस्पर्धा के बजाय लोकलुभावन बातों में प्रतिस्पर्धा अधिक दिखती है.

आर्थिक समीक्षा 2016-17 की मुख्य बातें

  • संसद में मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2016-17 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं
  • वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर 6.75-7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान.
  • वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी.
  • व्यक्तिगत आयकर की दरों, जमीन जायदाद पर स्टाम्प :पंजीकरण: शुल्क में कटौती की सिफारिश
  • ऊंची आमदनी वाले सभी व्यक्तियों को धीरेधीरे आयकर दायरे में लाकर आयकर का दायरा बढ़ाने का सुझाव
  • कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती की रफ्तार तेज हो.
  • मनमर्जी पर रोक तथा जवाबदेही बढाने के लिए कर प्रशासन में सुधार किया जाएगा.
  • नये नोटों की आपूर्ति बढने से वृद्धि दर सामान्य होगी.
  • नोटबंदी का वृद्धि दर पर 0.25 से 0.50 प्रतिशत का असर होगा, लेकिन दीर्घावधि में इससे लाभ होगा.
  • जीएसटी तथा अन्य बुनियादी सुधारों से वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत पर पहुंचेगी.
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना तथा कच्चे तेल की निचली कीमतों से राजकोषीय मोच्रे पर अप्रत्याशित लाभ होगा.
  • चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रहेगी. पिछले साल यह 1.2 प्रतिशत रही थी.
  • जीएसटी से वित्तीय लाभ मिलने में समय लगेगा.
  • चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत पर आएगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत पर थी.
  • खुलासे वाली और बेहिसाबी संपत्ति पर कर संग्रहण के प्रयासों के दौरान लोगों को परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाए.
  • गरीबी उन्मूलन के लिए सब्सिडी का एक अच्छा विकल्प सार्वभौमिक मूल आय योजना साबित हो सकती है.
  • नोटबंदी के बाद मांग आधारित और तेज रफ्तार से करेंसी पण्राली में डाली जाए. साथ ही कर सुधार, जीएसटी तथा निचली कर दरों को लागू किया जाए.
  • रीयल एस्टेट कीमतों में गिरावट से मध्यम वर्ग को सस्ते मकान उपलब्ध होंगे.
  • अप्रैल, 2017 तक नकदी संकट दूर होगा.
  • अधिक ऋण के बोझ से दबी कंपनियों तथा डूबे कर्ज से दबे बैंकों की बही खाते की समस्या कायम.
  • ऋण के बोझ को कम करने के लिए एक केंद्रीयकृत संपत्ति पुनर्गठन एजेंसी को बड़े और मुश्किल मामले देखने चाहिए.
  • बैंकों और कंपनियों की बैलेसशीट की दोहरी समस्या को हल करना जरूरी.
  • अच्छा वित्तीय प्रदर्शन करने वाले राज्यों को प्रोत्साहन दिया जाए.
  • युवा आबादी का लाभ अगले पांच साल में अपने उच्चमत स्तर पर होगा.
  • विकसित अर्थव्यवस्था द्वारा अपनायी जा रही अत्यक्षिक राजकोषीय पहरेदारी भारत के लिए प्रासंगिक नहीं.
  • स्वच्छ भारत से महिलाओं की निजता के बुनियादी अधिकार को प्रोत्साहन मिलेगा.
  • 2016-17 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान.

 

भाषा


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