सोनिया ने रखी सुरंग की आधारशिला

Last Updated 28 Jun 2010 07:47:00 AM IST

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को 13,300 फुट ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी सुरंग की आधारशिला रखी।


यह सुरंग मनाली से 25 किलोमीटर दूर धुंडी में बनेगी। यह 8.8 किलोमीटर लंबी होगी। सोनिया ने सुरंग के दक्षिणी छोर के निकट उत्खनक चलाकर उत्खनन कार्य की शुरूआत की।

उन्होंने काले ग्रेनाइट की पट्टिका का अनावरण भी किया। इस पट्टिका पर लिखा है, "रोहतांग सुरंग की आधारशिला 28 जून, 2010 को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा रखी गई।"

सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं अपने दिवंगत पति राजीव गांधी के सपने को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से इस सुरंग की आधारशिला रखी।

पीर पंजाल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सुरंग लाहौल और स्पीति घाटी के कबायली इलाकों में रहने वाले लोगों को हरेक मौसम में बेहतर संपर्क सुविधा उपलब्ध कराएगी। जाड़े के मौसम में अक्सर 13,050 फुट ऊंचे रोहतांग दर्रे पर भारी बर्फबारी होती है जिसकी वजह से देश के बाकी हिस्सों से इसका संपर्क टूट जाता है।

रोहतांग सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के तहत किया जाएगा। माना जा रहा है कि रोहतांग सुरंग बन जाने से मनाली से लेह की दूरी 46 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। रोहतांग सुरंग के वर्ष 2015 तक तैयार हो जाने की उम्मीद है।

भारतीय सेना के दृष्टिकोण से भी यह सुरंग काफी उपयोगी साबित होगी। इस सुरंग के बन जाने से लद्दाख क्षेत्र में सामान की आपूर्ति आसानी से की जा सकेगी।

रक्षा मंत्री एके एंटनी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह इस समारोह के दौरान उपस्थित रहेंगे।

रोहतांग नहीं जायेंगे  उमर अब्दुल्ला
जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोपोर में तनाव की वजह से सोमवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग का प्रस्तावित दौरा रद्द कर दिया। रोहतांग में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सुरंग की आधारशिला रखेंगी।

एक अधिकारी ने बताया कि कश्मीर घाटी के मौजूदा हालात की वजह से मुख्यमंत्री ने यहीं रहने का फैसला किया है।

रोहतांग सुरंग से पर्यटन को बढ़ावा


सोपोर में रविवार को भीड़ के साथ झड़प के दौरान सुरक्षा बलों की ओर से कथित तौर पर चलाई रबर की गोली से एक 22 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी।

 

रोहतांग सुरंग से निकलेगा 16 लाख टन मलबा

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जिस रोहतांग सुरंग की आधारशिला रखी, उसकी खुदाई से 16 लाख टन चट्टानों व पत्थरों का मलबा निकलेगा।

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लेफ्टिनेंट कर्नल के.एस.ओबेराय ने सुरंग स्थल पर आईएएनएस संवाददाता से बताया, "सुरंग की खुदाई से 16 लाख टन मलबा निकलेगा।"

ओबेराय ने कहा कि चट्टान के इस मलबे का काफी हद तक इस्तेमाल 8.82 किलोमीटर लंबी घोड़े की नाल के आकार वाली इस सुरंग के निर्माण में हो जाएगा। यह सुरंग 11.25 मीटर चौड़ी होगी। इस सुरंग के जरिए दोतरफा यातायात की सुविधा होगी।


ओबेराय ने कहा, "बाकी मलबे को, जिसे हम कंकरीट के साथ मिला कर इस्तेमाल नहीं कर सकते, उसे सुरंग स्थल के रास्ते में पड़ने वाले निचले इलाकों में पाट दिया जाएगा।" इससे इलाके के कमजोर पारिस्थितिकी तंत्र को पर्यावरण का कोई खतरा नहीं होगा।

इस सुरंग की कल्पना 26 वर्ष पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी। अब इस सुरंग के 2015 तक तैयार होने की उम्मीद है।

 

रोहतांग सुरंग महत्वपूर्ण क्यों है?

 कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को इस सुरंग की आधारशिला रखी।

यद्यपि इस सुरंग का विचार 1984 में ही सामने आया था, लेकिन 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध ने श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग के विकल्प के रूप में लद्दाख के लिए एक सड़क संपर्क के महत्व को रेखांकित कर दिया।

कहा जाता है कि 1999 में पाकिस्तानी सेना की मदद से बड़ी संख्या में आतंकियों की घुसपैठ का मकसद महत्वपूर्ण श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग को काटना और लद्दाख व सियाचिन ग्लेशियर के अग्रिम इलाकों में आपूर्ति को ठप्प करना था। इसके बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा हमले की योजना थी।

श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग, नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लगा हुआ है और यहां पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से गोलीबारी का खतरा बना रहता है। हालांकि दोनों देशों के बीच 2003 में हुए एक संघर्ष विराम समझौते के बाद से गोलीबारी बंद है।

13,300 फुट की ऊंचाई पर बनने वाली रोहतांग सुरंग, श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग के लिए वैकल्पिक संपर्क की दिशा में एक कदम है।

इस सुरंग पर 1,500 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है। इससे मनाली-लेह राजमार्ग पर सड़क की दूरी लगभग 48 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा समय में चार घंटे की कमी आएगी। प्रतिदिन कोई 1,500 भारी वाहन और 3,000 हल्के वाहन 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सुरंग पार कर सकते हैं।

लेकिन रोहतांग सुरंग, मनाली-लेह राजमार्ग को बारहमासी बनाने के लिए अकेले पर्याप्त नहीं है, क्योंकि रास्ते में बारालाचा ला और थांगलांग ला जैसे दो बर्फीले दर्रे और हैं।

रक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इन बर्फीले दर्रो से पार पाने के लिए रोहतांग परियोजना में 292 किलोमीटर लंबे बारहमासी मार्ग के निर्माण की योजना बनाई गई है। यह मार्ग पदम-दारचा से शिंकुनला दर्रे से होते हुए लद्दाख के दूरवर्ती इलाके जानस्कर तक जाएगा। इस मार्ग के निर्माण पर 286 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आएगी।



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