अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) ने शुक्रवार को कहा कि काबुल द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चरणबद्ध प्रयासों के तहत भारत में राजनयिकों को भेजेगा।

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उन्होंने यह भी कहा कि कि तालिबान अफगानिस्तान की धरती का अन्य देशों के विरूद्ध इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा।
मुत्तकी बृहस्पतिवार को छह दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे। अफगानिस्तान में चार साल पहले तालिबान द्वारा सत्ता हथियाने के बाद वह भारत आने वाले पहले वरिष्ठ तालिबान मंत्री हैं। भारत ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ व्यापक बातचीत के बाद, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने कुछ पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान भारतीय कंपनियों को अपने देश के खनन, खनिज और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।
मुत्तकी ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भारत और अफगानिस्तान के मिलकर काम करने की भी वकालत की क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने इस बंदरगाह पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
मुत्तकी की भारत यात्रा इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो गई क्योंकि यह ऐसे समय में हुई है जब भारत और अफगानिस्तान दोनों के सीमा पार आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ संबंध तनावूपर्ण हैं।
मुत्तकी ने कहा कि काबुल जल्द ही अपने राजनयिकों को नयी दिल्ली भेजेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मंत्री (एस. जयशंकर) ने कहा है कि आप अभी नयी दिल्ली में राजनयिक भेज सकते हैं। जब हम वापस जायेंगे, तो हम लोगों का चयन करेंगे और उन्हें भेजेंगे।’’
मुत्तकी के साथ अपनी बैठक में जयशंकर ने काबुल में भारत के तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की।
यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान शासन कोई राजदूत नियुक्त करेगा, मुत्तकी ने कहा,‘‘हम अब राजनयिक भेजेंगे और धीरे-धीरे संपर्क बढ़ेंगे।’’
अब तक, भारत में अफगान मिशनों में ऐसे अधिकारी हैं जिनकी नियुक्ति मुख्यतः पिछली अशरफ़ ग़नी सरकार द्वारा की गयी थी।
इस सवाल पर कि क्या भारत सरकार नयी दिल्ली स्थित अफ़ग़ान दूतावास परिसर तालिबान शासन को सौंपेगी, तालिबान विदेश मंत्री ने कहा,‘‘यह अफगानिस्तान के पास है; यह हमारा है।’’
मुत्तकी ने कहा कि पिछले चार वर्षों में भारत और अफगानिस्तान के संबंधों में लगातार प्रगति हुई है।
वह अफगान दूतावास में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। सम्मेलन कक्ष में वे बामियान में छठी शताब्दी की बुद्ध प्रतिमाओं को दर्शाने वाली एक पेंटिंग के नीचे बैठे थे।
पूर्व तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर के आदेश पर बामियान में बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था, जिससे वैश्विक आक्रोश फैल गया था।
अफगान विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश अपनी जमीन का इस्तेमाल ‘‘दूसरों को धमकाने या नुकसान पहुंचाने’ के लिए नहीं होने देगा ।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित किसी भी आतंकवादी समूह की मौजूदगी नहीं है।
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