EC ने सुलझाया डुप्लीकेट वोटर ID का मसला
निर्वाचन आयोग ने समान नंबर वाले मतदाता पहचान-पत्रों के मुद्दे का समाधान निकाल लिया है और ऐसे कार्ड धारकों को नए नंबर वाले नए मतदाता पहचान-पत्र जारी किए गए हैं।
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सूत्रों ने मंगलवार को बताया, समान मतदाता फोटो पहचानपत्र या ईपीआईसी संख्या के मामले ’अत्यंत कम’ थे। चार मतदान केंद्रों में औसतन करीब एक। क्षेत्र स्तरीय सत्यापन के दौरान पाया गया कि समान ईपीआईसी संख्या वाले लोग अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और अलग-अलग मतदान केंद्रों के वास्तविक मतदाता थे।
सूत्रों ने कहा, प्रत्येक मतदाता का नाम उस मतदान केंद्र की मतदाता सूची में होता है, जहां वह सामान्य निवासी है। समान संख्या वाला ईपीआईसी होने से ऐसा कोई भी व्यक्ति किसी अन्य मतदान केंद्र पर मतदान नहीं कर सकता। इसलिए, समान ईपीआईसी जारी होने से किसी भी चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ सकता।
टीएमसी सहित विपक्षी दलों के मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों के बीच, निर्वाचन आयोग ने मार्च में कहा था कि वह अगले तीन महीनों में ‘दशकों पुराने’ मामले का समाधान करेगा।
उन्होंने बताया, काफी समय से लंबित इस मुद्दे के समाधान के लिए, सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और पूरे देश के सभी 4123 विधानसभा क्षेत्रों के सभी 10.50 लाख मतदान केंद्रों के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के संपूर्ण चुनावी डेटाबेस की पड़ताल की गई।
औसतन प्रत्येक मतदान केन्द्र पर लगभग 1000 मतदाता होते हैं। इस मुद्दे की उत्पत्ति 2005 से मानी जाती है, जब विभिन्न राज्य और केंद्रशासित प्रदेश विकेंद्रीकृत तरीके से विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रवार अलग-अलग अक्षरांकीय श्रृंखला का उपयोग कर रहे थे। 2008 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद इन श्रृंखलाओं को फिर से बदलना पड़ा।
इस दौरान कुछ विधानसभाओं ने ’गलती से’ या तो पुरानी श्रृंखला का इस्तेमाल जारी रखा या टाइपोग्राफिक त्रुटियों के कारण उन्होंने कुछ अन्य निर्वाचन क्षेत्रों को आवंटित श्रृंखला का इस्तेमाल किया। टीएमसी एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हम तब प्रतिक्रिया देंगे जब निर्वाचन आयोग रिकॉर्ड पर बोलेगा न कि ‘सूत्रों’ के जरिये। टीएमसी ने विभिन्न राज्यों में डुप्लिकेट मतदाता पहचानपत्र संख्या के मुद्दे को उठाया था और निर्वाचन आयोग पर मामले को दबाने का आरोप लगाया था।
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