राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला आरक्षण विधेयक को बताया लैंगिक न्याय के लिए इस दौर का सबसे परिवर्तनकारी क्रांति

Last Updated 20 Sep 2023 02:01:41 PM IST

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार द्वारा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पेश किए जाने के एक दिन बाद बुधवार को कहा कि यह लैंगिक न्याय के लिए ‘‘हमारे दौर की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगा।’’


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (फाइल फोटो)

मुर्मू यहां विज्ञान भवन में एशिया प्रशांत के राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के द्विवार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित कर रही थीं।

महिला आरक्षण विधेयक नये संसद भवन में मंगलवार को पेश किया गया पहला विधेयक था।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमने स्थानीय निकाय के चुनावों में महिलाओं के लिए न्यूनतम 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है… एक और सुखद संयोग है कि राज्य विधानसभाओं और देश की संसद में महिलाओं के लिए ऐसा ही आरक्षण देने वाला एक प्रस्ताव अब आगे बढ़ रहा है। यह लैंगिक न्याय के लिए हमारे दौर की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगा।’’

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) 20-21 सितंबर को एशिया पैसिफिक फोरम (एपीएफ) के साथ मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इसमें भारत और विदेश के 1,300 से अधिक प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के वैश्विक गठबंधन की सचिव अमीना बोयाच, एपीएफ की अध्यक्ष डू-ह्वान सोंग और एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायधीश (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा भी इस मौके पर उपस्थित रहे।

एनएचआरसी ने पहले बताया था कि एपीएफ सदस्य देशों के साझा हित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए बुधवार को 28वीं वार्षिक आम बैठक भी करेगा।

सम्मेलन में देश में मानवाधिकारों की रक्षा में शामिल केंद्र तथा राज्य सरकारों, राज्य मानवाधिकार आयोगों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न देशों के एनएचआरआई के वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।

भाषा
नई दिल्ली


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