नाबालिग से यौन शोषण का आरोपी अधिकारी और उसकी पत्नी पुलिस हिरासत में, पुलिस भी करती रही खेल !
जिम्मेवारी, महिलाओं और बालक एवं बालिकाओं की सुरक्षा करना। उनके उत्थान के लिए नई-नई योजनाएं बनाकर उन्हें विकसित करना। उन्हें सही राह दिखाना। लेकिन ऐसे ही एक जिम्मेदारी वाले पद पर बैठे एक साहब ने एक लड़की को ऐसी राह दिखाई कि आज वो कहीं की नहीं रही।
![]() नाबालिग से यौन शोषण का आरोपी अधिकारी और उसकी पत्नी पुलिस हिरासत में |
बात हो रही है दिल्ली सरकार के एक अधिकारी की। साहब महिला एवं बाल विकास विभाग में डिप्टी डाइरेक्टर के पद पर आसीन हैं। आरोप है कि इन्होनें अपने मृत दोस्त की नाबालिग बेटी की मदद करने की बजाए उसे अपनी हवस का शिकार बना लिया। अपने घर में यह कर पनाह दी कि उसे कोई तकलीफ नहीं होने दी जाएगी, लेकिन उस नाबालिग लड़की को इस अधिकारी ने ऐसी तकलीफ दी कि वो शायद जीवन भर उस तकलीफ को भूला नहीं पायेगी। जी हाँ, इन साहब ने उस लड़की का यौन शोषण किया। लड़की शायद यह सोचकर चुप रही कि अधिकारी उसके पिता के मित्र हैं। लेकिन उसकी चुप्पी को इस अधिकारी ने उसकी सहमति समझ ली। मामला तब संज्ञान में आया जब वह लड़की प्रिग्नेंट हो गई। इस मामले को लेकर कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं जिन्हे सुनकर ना सिर्फ धृणा से मन भर जाएगा बल्कि मित्र जैसे शब्द से नफरत हो जाएगी। आखिरकार आरोपी अधिकारी और उसकी पत्नी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
इस मामले की शुरुवात होती है एक अक्टूबर 2020 से। नाबालिग लड़की के पिता इस आरोपी अधिकारी के मित्र हुआ करते थे। किसी बीमारी की वजह से उनकी मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद अधिकारी उनकी लड़की को अपने घर, यह कहकर लाया कि वो अपने दोस्त की बेटी का पालन पोषण करेगा। उसको पढ़ायेगा लिखायेगा। उसकी अच्छी तरह से परवरिश करेगा। लड़की की माँ ने भी अपनी बेटी की सुरक्षा और अच्छी परवरिस की उम्मीद में उस अधिकारी के घर जाने की इजाज़त दे दी। लड़की जब उस अधिकारी के घर आ गई तो कुछ दिनों के बाद इस अधिकारी की नियत खराब होने लगी। उसने उसे अपने जाल में फँसाने की कोशिश की। वह मासूम लड़की अपने पिता के मित्र होने के चलते उसकी कुछ बात मानने लगी। हद तब हो गई जब उसने नाबालिग को डरा धमका कर उसका यौन शोषण करना शुरू कर दिया। 2021 से वह यौन शोषण करता रहा। इसी बीच लड़की प्रिग्नेंट हो गई। लड़की ने सारी बातें आरोपी अधिकारी की पत्नी को बताई। आरोपी अधिकारी की पत्नी ने उसकी मदद करने की बजाय उसे अबॉर्शन की गोलियां खिला दीं। आरोप है कि उस महिला ने अबार्शन की गोलियां भी अपने बेटे से मंगवाईं। महिला ने यह कर उसे गोलियां खिलाईं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन अबॉर्शन की गोलियां खाने के बाद लड़की की तबियत बिगड़ गई। लड़की की माँ को पता चला तो वह अपनी बेटी को अपने घर लेकर गई। उसने अपनी बेटी को अस्पताल में भर्ती करवाया, जहाँ अभी भी उसका इलाज चल रहा है। लड़की की हालत देखकर इलाज करने वाले डाक्टर भी हैरान हैं। डाक्टरों ने जब उससे पूछताछ की तो उसने सारी बातें डाक्टरों को बताईं।
मामला चूँकि लड़की के साथ यौन शोषण का था, लिहाजा डाक्टरों ने पुलिस को इंफार्म किया, जिसके बाद पुलिस ने बीते 20 जुलाई को पाक्सो एक्ट के तहत आरोपी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पायी है। यह मामला सिर्फ एक नाबालिग के यौन शोषण का नहीं है। यह मामला है एक मित्र के साथ विश्वासघात का। यह मामला है एक ऐसे पद पर बैठे हुए एक अधिकारी का, जिसकी जिम्मेवारी ही हैं महिलाओं और बच्चों की रक्षा करना। इसलिए आरोपी अधिकारी को ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो मिशाल बने। ऐसी सजा मिलनी चाहिए ताकि उसे अपने पद और अपनी मित्रता को कलंकित करने का जीवन भर एहसास हो सके। हालांकि इतने दिनों से मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आरोपी का अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहना कहीं ना कहीं पुलिस की कार्यवाई पर भी सवाल खड़े करता है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने पुलिस को नोटिस जारी कर आरोपी अधिकारी को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करने की मांग की है। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उस अधिकारी को निलंबित कर आगे की कार्यवाई के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव को सोमवार की शाम तक रिपोर्ट देने को कहा है।
अब एक यहाँ गंभीर सवाल , क्या महिला एवं बाल विकास विभाग में तैनात होने वाले अधिकारियों की स्क्रीनिंग जरुरी है। क्या वहां तैनात होने वाले अधिकारीयों को वहां भेजने से पहले जरुरी नहीं है कि उनकी ठीक से जांच करा ली जाए। खासकर उनके चरित्र को लेकर उनके अगले पिछले सारे रिकार्ड खंगाल लिए जाएँ। अगर जांच सही पाया जाए तो ही ऐसे अधिकारीयों को उस विभाग में तैनाती की जाए जिनकी जिम्मेवारी ही महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा करना है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पहल के बाद पुलिस हरकत में आयी। आरोपी डिप्टी डायरेक्टर और उसकी पत्नी को हिरासत में ले लिया गया है। मामला उतरी दिल्ली के बुराड़ी थाने में दर्ज हुआ था। डीसीपी नार्थ, सागर सिंह कलसी ने बताया कि उन दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। अभी लड़की का 164 का बयान कराना बाकी है। स्वास्थ्य कारणों के चलते अभी उसका बयान नहीं दर्ज हुआ है। चूंकि उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया है कि उसकी हालत इस लायक नहीं है कि उसका बयान लिया जा सके। डीसीपी के अनुसार जब पीड़िता का 164 का बयान हो जाएगा, उसके बाद आगे की कार्यवाई की जाएगी। इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आयी है। उतरी दिल्ली के डीसीपी खुद मान रहे हैं कि यह पूरा मामला उनके संज्ञान में 12 अगस्त को आ गया था, बावजूद इसके आरोपी को हिरासत में सोमवार को लिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि अब तक पुलिस क्या कर रही थी। क्या पुलिस अधिकारी के दबाव में मामले को रफा दफा करने की कोशिशों में लगी हुई थी। अगर पीड़िता की माँ उसे अस्पताल लेकर ना गई होती शायद पुलिस इस मामले में वही करने की कोशिश करती जो पिछले दस दिनों से कर रही थी।
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