मॉब लिंचिंग व बाल यौन शोषण पर अब मृत्युदंड, आईपीसी, सीआरपीसी, साक्ष्य संहिता में होंगे बदलाव, लोकसभा में तीन बिल पेश, भेजा स्थायी समिति को
गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नए विधेयक पेश किए और कहा कि अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।
![]() लोकसभा में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह। |
उन्होंने यह भी कहा कि नए कानूनों के तहत भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाए जाने समेत अनेक प्रावधान हैं। विधेयकों को पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।
शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है, जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे। गृह मंत्री के प्रस्ताव पर तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा, ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके।
शाह ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि आगामी 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और 16 अगस्त से आजादी की 100 वर्ष की यात्रा की शुरुआत के साथ अमृत काल का आरंभ होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने उद्बोधन में देश के सामने पांच प्रणरखे थे जिनमें एक प्रणथा कि ‘हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे।’ शाह ने कहा, ‘‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी ने जो पांच प्रण लिए हैं, उनमें से एक प्रण का अनुपालन करने वाले हैं।’ शाह ने कहा कि ये कानून अंग्रेज शासन को मजबूत करने एवं उनकी रक्षा के लिए उन्होंने बनाए थे।
उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य दंड देना था, न्याय देना नहीं था। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार लंबे विचार-विमर्श व मंथन के बाद तीनों नए विधेयक लेकर आई है और इनके माध्यम से भारत के नागरिकों को संविधान में प्रदत्त सारे अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आईपीसी में मनुष्य की हत्या से संबंधित अपराध धारा 302 के तहत दर्ज था, जबकि शासन के अधिकारी पर हमला, खजाने की लूट जैसे अपराधों को पहले दर्ज किया गया था। शाह ने कहा, ‘‘हम इस सोच को बदल रहे हैं। नए कानून में सबसे पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित होगा और दूसरे अध्याय में मनुष्य हत्या के अपराध से जुड़े प्रावधान होंगे।’’
अचानक पेश नहीं किया गया विधेयक
गृह मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 में देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, विधि विविद्यालयों को पत्र भेजकर नए कानूनों के संबंध में सुझाव मांगे गए थे। उन्होंने कहा कि 2020 में इस दिशा में कुछ आधार तैयार होने के बाद सभी सांसदों, विधायकों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को पत्र लिखा गया। शाह ने कहा कि चार साल तक गहन विचार-विमर्श के बाद ये विधेयक लाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन पर मंथन के लिए हुईं 158 बैठकों में वह स्वयं उपस्थित रहे।
विधेयकों में क्या है खास
► नए कानूनों के तहत भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाए जाने के प्रावधान
► ‘मॉब लिचिंग’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान
► शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके यौन संबंध बनाना अब अपराध की श्रेणी में
► यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले में पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
► नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी
► ‘शून्य प्राथमिकी’ की प्रणाली : इसके तहत देश में कहीं भी अपराध हो, उसकी प्राथमिकी कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है
► हर थाने में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा, जो हिरासत में लिए गए आरोपियों के परिजनों को इस बात का प्रमाण पत्र देगा कि आपके परिजन हमारी गिरफ्त में हैं
► अब नए कानूनों के लागू होने के बाद तलाशी और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी तथा पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग के बिना दर्ज आरोप पत्र मान्य नहीं होगा। सात वर्ष या उससे अधिक कारावास की सजा वाली धाराओं में अपराध स्थल पर फोंरसिक दल का दौरा अनिवार्य होगा
► अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए ‘त्वरित’ की प्रणाली शुरू की जाएगी। अब पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा, जिसे अदालत 90 दिन और बढ़ा सकती है। अदालतें भी फैसलों को सालों तक लंबित नहीं रख सकतीं
► अब ईमेल, एसएमएस, लैपटॉप, कम्प्यूटर समेत अनेक प्रौद्योगिकियों को साक्ष्य बनाने की वैधता मिलेगी
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