Parliament Monsoon Session: मणिपुर मुद्दे पर सदन में काले कपड़े पहनकर आएंगे विपक्षी सांसद, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग
मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्ष आज लोकसभा में सरकार के खिलाफ 'अविश्वास' प्रस्ताव लाने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दूसरा मौका होगा जब वे इसका सामना करेंगे।
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विपक्षी मोर्चे ने कांग्रेस के नेतृत्व में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें मजबूरन अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। ये हमारी मजबूरी है।
#WATCH हमारी मांग थी कि प्रधानमंत्री खुद आकर बोले। पता नहीं क्यों प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे हैं। हमें मजबूरन अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। ये हमारी मजबूरी है। हम जानते हैं कि इससे सरकार नहीं गिरेगी, पर हमारे पास कोई चारा नहीं है। देश के प्रधानमंत्री देश के सामने आकर मणिपुर पर कोई… pic.twitter.com/BkvrqeFLp9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 27, 2023
इससे पहले मोदी सरकार को 2018 में अपने पहले 'अविश्वास' प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। तब यह प्रस्ताव भारी अंतर से गिर गया था।
कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिस पर चर्चा के लिए सदन ने मंजूरी भी दे दी। लेकिन सरकार ने कहा है कि जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर पूरा विश्वास है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करेंगे, हालांकि कांग्रेस का कहना है कि इस पर गुरूवार से ही चर्चा होनी चाहिए। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (INDIA) की ओर से सामूहिक तौर पर लाया गया है।
मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से संसद के भीतर जवाब मांग रहे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से कांग्रेस ने इस रणनीति के साथ यह कदम उठाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में बोलने के लिए बाध्य किया जा सके। विपक्ष से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है।
बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बहुमत साबित करने में फेल होने पर सरकार गिरने का खतरा रहता है। देश के इतिहास में 3 प्रधानमंत्री की कुर्सी बहुमत के फेर में उलझकर जा चुकी है। हालांकि, वर्तमान सरकार संख्याबल में काफी मजबूत स्थिति में है
विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था। इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भाजपा के पक्ष में है।
लोकसभा की 543 सीट में से पांच अभी रिक्त हैं। इनमें से 330 से अधिक सांसद भाजपा और राजग के अन्य घटक दलों के हैं। कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के उसके साथी दलों के सदस्यों की संख्या 140 से अधिक है। करीब 60 सांसदों का संबंध उन दलों से है जो दोनों गठबंधनों का हिस्सा नहीं है।
विपक्षी सांसद काले कपड़े पहन कर आएंगे संसद
संसद में सरकार और विपक्ष के बीच तकरार आगे भी जारी रहने वाली है। इसी क्रम में गुरूवार को विपक्ष के सांसद काले कपड़े पहन कर संसद आएंगे। कांग्रेस ने राज्यसभा के सांसदों की गुरूवार को अनिवार्य उपस्थिति के लिए व्हिप भी जारी किया है। मणिपुर के मुद्दे पर अब भी विपक्षी सांसदों की पीएम मोदी के बयान की मांग है।
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