Oppenheimer (ओपनहाइमर) फ़िल्म में सेक्स सीन के दौरान गीता के श्लोक का जिक्र क्यों ?

Last Updated 24 Jul 2023 03:11:00 PM IST

हॉलीवुड की फिल्म ओपेनहाइमर आज चर्चाओं में है। इस फिल्म की चर्चा,दो वज़हों से हो रही है। पहली इसलिए कि यह दुनिया के पहले परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक जे राबर्ट ओपेनहाइमर की जीवनी पर आधारित है ,दूसरा इसलिए कि इस फिल्म का सम्बन्ध मशहूर ग्रन्थ गीता से भी है।


Oppenheimer Film ( File Photo)

 लगभग 78 वर्ष पहले अगर अमेरिका के किसी वैज्ञानिक ने गीता पढ़ लिया हो तो यह हमारे देश के लिए फक्र की बात है, लेकिन फिल्म में जिस तरीके से गीता के एक श्लोक की लाइनों का जिक्र किया गया है वह आपत्तिजनक है। एक इंटिमेट सीन के दौरान जिस तरह से महान वैज्ञानिक को गीता के श्लोक का बखान करते हुए  दिखाया गया है उस पर आपत्ति होना लाज़िमी है। यानि आज इस हॉलीवुड की फिल्म ने भले ही दुनिया में हमारे देश की महान ग्रन्थ गीता की महिमा का बखान किया है, लेकिन फिल्म के डाइरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन ने शायद एक ऐसी चूक कर दी है, जिसे भारत के लोग बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।

यहाँ बता दें कि दुनिया के पहले एटम बम के अविष्कारक जे राबर्ट ओपेनहाइमर ने 16 जुलाई 1945 को एटम बम का परिक्षण किया था। लगभग अपने तीन साल के कठिन परिश्रम और अनवरत प्रयास के बाद जब ओपेनहाइमर को सफलता मिली थी तो वो ख़ुशी से फुले नहीं समाए थे। उनको लेकर किताब लिखने वाले कुछ वैज्ञानिकों और अन्य लेखकों के मुताबिक़ अपनी सफलता के बाद वो सीना तान कर चलते थे। उन्हें लगता था कि उन्होंने जो कर दिया वो दुनिया में कोई भी नहीं कर सकता है। हालांकि एटम बम के परिक्षण के एक माह के अन्दर ही उस बम से अमेरिका ने जापान पर हमला कर दिया था। उस हमले के बाद हजारों लोगों की मौतें हो गई थीं जबकि लाखों लोग शारीरिक रूप से किसी न किसी रोग के शिकार हो गए थे। आलम यह था कि वर्षों तक वहां बच्चे विकलांग या कमजोर पैदा होते रहे। जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए गए उस बम की वजह से जापानियों के डीएनए में बदलाव हो गया था। यहाँ बता कि किसी की संतान कैसी होगी, इसका निर्धारण शरीर का डीएनए ही करता है। सीधे शब्दों में कहें तो एक इंसान की संतान की शारीरिक रचना एक इंसान की तरह ही होती है ,एक जानवर या किसी भी पशु पक्षी की संतान लगभग उसी की जैसी होती है। यह सब होता है जिन की वजह से। जापान पर हुए उस परमाणु हमले के बाद वही जिन डिस्टर्ब हो गया था ! जापान में हुई मौतें और जापानियों की दुर्दशा को देखकर ओपेनहाइमर को ग्लानि भी हुई थी। ऐसा बताया जाता है कि उस हमले के बाद ओपेनहाइमर बहुत दुखी थे, उन्हें अपने आविष्कार पर अफसोस हो रहा था।

बहरहाल अब बात करते हैं फिल्म की। फिल्म के एक सीन में पति पत्नी के बीच कुछ इंटिमेट दृश्य दिखाए जाते हैं। उस सीन के दौरान नायिका ओपेनहाइमर से पूछती है कि जो किताब उनके हाथ में हैं उसमें क्या लिखा है। ओपेनहाइमर उसे पढ़ कर बताते हैं। वो नायिका को बताते हैं कि मैं अब काल हूँ जो दुनिया का नाश करता हूँ। फिल्म में यह संवाद उस समय हो रहा होता है, जब नायक और नायिका के बीच सेक्स सीन चल रहा होता है। ओपेनहाइमर जिस वाक्य को फिल्म में बोल रहे है उसका जिक्र गीता के 11 वें अध्याय के 32 वें श्लोक में है। व्यास रचित महाभारत में युद्ध के दौरान श्री कृष्ण अर्जुन को उस समय उपदेश देते हैं, जब अर्जुन का युद्ध से मोहभंग होने लगता है।


ओपेनहाइमर को लेकर दावा किया जाता है कि उन्होंने गीता को पढ़ने के लिए संस्कृत भाषा सीखी थी। क्यों कि उस समय गीता का हिंदी या अंग्रेजी में अनुवाद नहीं हुआ था। अगर उस दावे में सच्चाई है तो हमारे देशवासियों के लिए गर्व की बात है। चूँकि यह फिल्म लगभग पूरी दुनिया में देखी जा रही है, ऐसे में भारत के अलावा दुनिया के बाकि देशों में भी ओपेनहाइमर फ़िल्म के उस संवाद का जिक्र होगा जो डाइरेक्टर ने सेक्स सीन के दौरान बुलवाया है। दुनिया भर के दर्शक यह जानना चाहेंगे कि वह वाक्य  ओपेनहाइमर ने कहां से सीखा था। उस पर जब भी चर्चा होगी तो गीता का भी जिक्र होगा। ऐसे में इस फिल्म के जरिए हमारा पवित्र ग्रन्थ गीता वर्षों बाद एक बार फिर से गोलबल हो जाएगा। लेकिन सवाल यह है क्रिस्टोफर नोलन का क्या किया जाए। जिन्होंने इस फिल्म का निर्देशन किया है।

सवाल यह पैदा होता है कि क्या नोलन ने जानबूझकर गीता के उस वाक्य का जिक्र अपनी फिल्म के सेक्स सीन के दौरान करवाया है, ताकि भारत के दर्शकों के बीच यह चर्चा का विषय बने और उनकी फिल्म का प्रमोशन फ्री में हो जाए, या फिर उन्हें मालूम ही नहीं था कि भारत में गीता का क्या महत्त्व है और उसे यहां  कितने नियम और श्रद्धा के साथ पढ़ा और समझा जाता है। यह संभव है कि उन्हें गीता की महत्ता का उतना पता न हो,लेकिन वो विश्वविख्यात निर्देशक हैं, लिहाजा उनसे इतनी तो अपेक्षा की जा सकती है कि अपने देश के ग्रंथों के अलावा अन्य देशों के पवित्र पुस्तकों या ग्रंथों के बारे में जानें। बहरहाल देश के तमाम बुद्धिजीवियों और धार्मिक जानकारों ने इस फिल्म को लेकर अपनी-अपनी आपत्तियां दर्ज करानी शुरू कर दी हैं। भारत में भी इस फिल्म को खूब देखा जा रहा है। फिल्म की उस सीन से वो संवाद निकाले जायेंगे कि नहीं यह बाद की बात है लेकिन इस समय पूरी दुनिया की युवा पीढ़ी  इस फिल्म के जरिए  दुनिया के पहले परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक ओपेनहाइमर को जान जायेंगे। साथ ही साथ हमारी पवित्र ग्रन्थ गीता की महानता को भी समझ सकेंगे।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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