भारक-पाक को लेकर अमेरिका की राय
कश्मीर को भारत-पाकिस्तान के बीच का मामला बताते हुए अमेरिका द्वारा दोनों मुल्कों के दरम्यान कोई दबंगई न करने का इरादा जताया गया। अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा प्रेस वार्ता में इस मुद्दे को भारत-पाकिस्तान पर छोड़ने की बात की।
![]() |
यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र महासभा में ट्रंप के उस बयान के बाद आई है, जिसमें भारत-पाक के बीच युद्धविराम कराने में ट्रंप की भूमिका का दावा किया गया था। हालांकि भारत सरकार ने बार-बार जोर दिया कि सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दे द्विपक्षीय रहने चाहिए। अमेरिका की तरफ से यह बयान उस वक्त आया है, जब ट्रंप पाकिस्तानी हुक्मरान के साथ बैठक कर रहे हैं और रणनीतिक साझेदारी, आतंकवाद निरोधी गठबंधन व अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर करने की तैयारी में हैं।
अप्रैल में पहलगाम में आतंकी हमले में छब्बीस भारतीयों की मौत का बदला लेने के लिए मई में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर किया था जिसमें भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर आतंकवादियों के शिविरों में हमला कर सौ से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था। उसके बाद से ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि उनकी पहल के चलते ही संघर्ष विराम संभव हुआ। अमेरिका के राष्ट्रपति खुद को शांति के नोबल पुरस्कार का दावेदार बता कर विश्व शांति का मसीहा बनने का जबरदस्त प्रयास कर रहे हैं।
हास्यास्पद होने व विभिन्न विद्वानों द्वारा संदेह व्यक्त किए जाने के बावजूद ट्रंप व उनके चापलूस करीबी दुनिया में जारी युद्धों को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला साबित करने में कोताही नहीं कर रहे। भारत विभिन्न मौकों में स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर के मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता कभी स्वीकार नहीं की जा सकती। अब जब अमेरिका की तरफ से टेरिफ वॉर चालू है, किसी अधिकारी द्वारा दबंगई न करने का स्पष्टीकरण देना रणनीति का हिस्सा होसकता है।
व्यापार समझौतों को ढाल बना कर दोनों मुल्कों के दरम्यान दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद और पाकिस्तान में आतंकवादियों के प्रशिक्षण गाह को खत्म करने के बहाने ट्रंप बिल्लयों के झगड़े में बंदर बनने की उतावली में नजर आ रहे हैं जो भारत को किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं। सहिष्णुता बरतने का यह मतलब नहीं है कि हम कड़े कदम उठाने से हिचकते हैं। भारत अपनी शक्ति और स्थिति से अब किसी तरह का समझौता करने को राजी नहीं।
Tweet![]() |