विपक्ष को एकजूट करने के लिए इसलिए मेहनत कर रहे हैं नीतीश कुमार

Last Updated 25 Apr 2023 04:35:52 PM IST

केंद्र की वर्तमान एनडीए सरकार यानी भाजपा के खिलाफ अगर कोई बहुत मुखर होकर विरोध कर रहा है, अगर कोई विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत कर रहा है तो वह हैं, बिहार के मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार।


विपक्ष को एकजूट करने के लिए इसलिए मेहनत कर रहे हैं नीतीश कुमार

हालांकि भाजपा के खिलाफ एकजुट होने या भाजपा का विरोध, देश की सभी पार्टियां कर रही हैं, लेकिन नीतीश कुमार कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं। लेकिन यहाँ सवाल यह पैदा होता है कि बगैर किसी लालच या बगैर  किसी स्वार्थ के, नीतीश ऐसा क्यों कर रहे हैं, जबकि वह खुद भी कई बार कह चुके हैं कि उन्हें देश का प्रधान मंत्री नहीं बनना है, तो क्या मान लिया जाय कि नीतीश की निगाह कहीं और है? शायद विपक्ष की सरकार  बनने के बाद उनकी निगाह राष्ट्रपति के पद पर हो!


इस बार 2024 का लोकसभा चुनाव अन्य चुनावों से कहीं ज्यादा अलग होने जा रहा है। भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार के सामने सत्ता को बचाये रखने की चुनौती है, तो विपक्ष के सामने अपने आपको बचाये रखने परीक्षा है। पिछले नौ साल से देश की कुर्सी पर बैठे नरेंद्र मोदी को भाजपा एक बार फिर सत्ता पर काबिज करने का दावा कर रही तो दूसरी तरफ विपक्ष इस बार भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का ख्वाब देख रहा है। सत्ता और विपक्षी पार्टियों के दावों के पीछे की सबकी अपनी-अपनी दलीलें हैं। भाजपा इस बात का दावा करा रही है कि प्रधान मंत्री मोदी के काम से पूरा देश खुश है, इसलिए उनकी फिर से सरकार बनने जा रही है, दूसरी तरफ विपक्ष यह दावा कर रह है की वर्तमान सरकार बेरोजगारी और महंगाई को लेकर कुछ नहीं कर पाई, इसलिए इस बार देश की जनता किसी और को सत्ता पर बिठाने का मन बना चुकी है।

2024 लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति क्या होगी,उसकी चर्चा बाद में होगी। पहले बात नीतिश कुमार की। पूरे देश को पता है कि इस समय नीतीश कुमार विपक्षी एकता को लेकर विपक्ष के अन्य नेताओं से कहीं ज्यादा गंभीर हैं। लगभग सात महीने पहले दिल्ली जाकर वो विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं से  मुलाकात कर चुके थे। उस दौरान उन्होंने राहुल गांधी, अरविन्द केजरीवाल, सीताराम येचुरी, शरद पवार समेत कई बड़े नेताओं से मुलाकात की थी। एक सप्ताह पहले भी वो दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले थे। सभी नेताओं से उन्होंने बढ़िया से बात की थी। अभी सोमवार यानी 24 अप्रैल को उन्होंने वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाक़ात की थी। लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद दोनों ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस भी की । इस दौरान पत्रकारों से बगैर पूछे ही नीतिश कुमार ने कह दिया कि उन्हें प्रधनमंत्री नहीं बनना है।

नीतीश प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार ना बनने की बात कई बार पहले भी कर चुके हैं। अब सवाल यह पैदा होता है की जब नीतिश कुमार विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनना ही नहीं चाहते तो आखिर इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं?

दरअसल नीतीश कुमार इसी बहाने सबको एक करने की कोशिश कर रहे हैं।  लेकिन उनकी कोशिश सबका विश्वास जीतने का भी है। अपनी इसी पहल के दैरान वो अपनी स्वीकार्यता भी देख रहे हैं। संभव है कि जब इनकी सरकार बने तो सभी विपक्षी पार्टियां नितीश कुमार के लिए राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने लिए आसानी से तैयार हो जाएँ। यानी नीतीश कुमार कहीं न कहीं यह जरूर चाहेंगे कि उन्हें उनकी मेहनत का फायदा जरूर मिले, भले ही वो राष्ट्रपति के रुप में क्यों न हो। तो यह मान लेना चाहिए कि अगर 2024 लोकसभा चुनाव के बाद अगर कहीं विपक्ष की सरकार बन गई तो नीतिश कुमार विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार होंगे।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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