हिंडनबर्ग-अडाणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी सेबी को हिदायत, फिर न डूबे निवेशकों का पैसा
अडाणी समूह की कथित धांधली पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद निवेशकों के लाखों करोड़ों डूबने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की।
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सुप्रीम कोर्ट ने बाजार नियामक सेबी से पूछा कि सामान्य निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उसने क्या प्रावधान तैयार किए है। निवेशकों के कई लाख करोड़ दोबारा न डूबे, इसके लिए सेबी को एक मजबूत तंत्र विकसित करना होगा।
चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जमशेद पारदीवाला की बेंच ने आपस से काफी देर तक विचार-विमर्श के बाद सुनवाई शुरू की। बेंच ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद पैदा हुई स्थिति और शेयर मार्केट में निवेशकों के कई लाख करोड़ रुपए डूबने की पृष्ठभूमि में एक विशेषज्ञ समिति के गठन का भी सुझाव दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सोमवार को इस मामले की फिर सुनवाई करेगा। अगली सुनवाई पर सेबी मजबूत नियमन के बारे में अदालत में अपना पक्ष रखे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निवेशकों के दस लाख करोड़ से अधिक डूबने की बात सामने आई है। शेयर बाजार में मध्यम श्रेणी के लोग भी निवेश करते हैं। उनके हितों की रक्षा के लिए सेबी को मजबूत फ्रेमवर्क तैयार करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए कि शेयर बाजार में भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा हो। इसके साथ ही अदालत ने अडाणी समूह के शेयर मूल्य के कृत्रिम तौर पर गिरने और निवेशकों के शोषण का आरोप लगाने वाली जनहित याचिकाओं पर केंद्र और बाजार नियामक सेबी से अपना पक्ष रखने को कहा। बेंच ने आधुनिक समय में निर्बाध पूंजी प्रवाह वाले बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक तंत्र को मजबूत बनाने सहित विभिन्न मुद्दों पर वित्त मंत्रालय और अन्य से जानकारी मांगी।
अदालत ने निवेशकों की सुरक्षा के लिए मजबूत नियामक तंत्र को लागू करने के अलावा, क्षेत्र के विशेषज्ञों और अन्य लोगों की एक समिति बनाने का सुझाव दिया। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि बाजार नियामक और अन्य वैधानिक निकाय आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं।
अदालत ने कहा कि वह सिर्फ विचार कर रही है और मामले के गुणदोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है, क्योंकि शेयर बाजार आमतौर पर भावनाओं पर चलते हैं। अदालत ने उन दो जनहित याचिकाओं को 13 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया, जिनमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जांच समेत कई राहत की मांग की गई है।
वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक समिति गठित करने का केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है। रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह की कंपनियों के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं।
वकील मनोहर लाल शर्मा ने एक अन्य याचिका दायर की थी, जिसमें अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के नाथन एंडरसन और भारत तथा अमेरिका में उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित रूप से निवेशकों का शोषण करने और अडाणी समूह के शेयर के मूल्य को ‘‘कृत्रिम तरीके’’ से गिराने के लिए मुकदमा चलाने की मांग की गई है।
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