न्यायालय ने सीबीआई को दिए नीरा राडिया मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश

Last Updated 21 Sep 2022 04:00:33 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को कॉरपोरेट लाबिस्ट नीरा राडिया मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश बुधवार को दिए।


नीरा राडिया (फाइल फोटो)

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ उद्योगपति रतन टाटा की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में राडिया टेप सामने आने के मद्देनजर निजता के अधिकार की रक्षा का अनुरोध किया गया था।

इस पीठ में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘ हम अवकाश के बाद इसे लेंगे क्योंकि अगले सप्ताह संविधान पीठ बैठ रही है। इसबीच सीबीआई अद्यतन स्थिति रिपोर्ट पेश कर सकती है।’’

मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कहा कि शीर्ष अदालत की ओर से निजता के अधिकार के संबंध में दिए गए फैसले के आलोक में याचिका का निपटारा किया जाए।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 2017 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के एस पुट्टास्वामी मामले में अपने आदेश में कहा था कि निजता संविधान संरक्षित अधिकार है।

भाटी ने कहा, ‘‘ मुझे आपको सूचित करना है कि सीबीआई को न्यायाधीशों ने सभी बातचीत की जांच करने के निर्देश दिए थे। 14 प्रारंभिक मामले दर्ज किए गए और सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट आपके समक्ष पेश की गई। उनमें कोई अपराध नहीं पाया गए। साथ ही अब तो फोन टैप करने के दिशानिर्देश भी हैं।’’

टाटा की ओर से पेश वकील ने सुनवाई शुरू होने के साथ ही स्थगन की मांग की। वहीं भाटी ने कहा कि निजता पर फैसले के बाद कुछ नहीं बचता।

याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) ने भी एक याचिका दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि इन टेप की बातचीत को व्यापक जनहित में सार्वजनिक किया जाए।

राडिया टेप मामले में सीबीआई को नही मिला कोई अपराध

बहुचर्चित राडिया टेप मामले में कोई अपराध नहीं पाया गया है। सीबीआई ने खुद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को यह बताया है। टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने पूर्व कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया से जुड़ी लीक निजी बातचीत के खिलाफ अपने निजता के अधिकार की सुरक्षा के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था। सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ से कहा कि, उसने 5,800 बातचीत के टेप की जांच की, जिसमें कोई आपराधिक मामला नहीं बनता।

राडिया को केंद्रीय जांच एजेंसी ने क्लीन चिट दे दी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है।

एक दशक से भी पहले, राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत को जांच के हिस्से के रूप में लिया गया था।

टाटा ने 2011 में याचिका दायर की थी कि टेप जारी करना उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

मामले की आखिरी सुनवाई अप्रैल 2014 में हुई थी, और शीर्ष अदालत ने कई मुद्दों को स्पष्ट किया जिसमें सरकार बनाम निजता का अधिकार, मीडिया बनाम निजता का अधिकार और सूचना का अधिकार के मुद्दे शामिल थे।

टाटा ने इस बात की जांच की मांग की थी कि बातचीत के अंश किसने लीक किए थे और एक नागरिक की निजता पर इस तरह के अंधाधुंध आक्रमण से बचाव के लिए क्या तंत्र स्थापित है।

अगस्त 2017 में, शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि निजता एक संवैधानिक अधिकार है। नौ न्यायाधीश अपने निष्कर्ष में एकमत थे, हालांकि उन्होंने अपने निष्कर्ष के लिए विभिन्न कारणों का हवाला दिया।

 

भाषा/आईएएनएस
नई दिल्ली


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