अदालतों में काम के बढ़ते बोझ को देखते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, मेडिएशन सेंटरों की सक्रियता बढ़ानी होगी

Last Updated 21 Aug 2022 09:29:47 AM IST

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि भारत में अदालतों पर मुकदमों का ‘अत्यधिक बोझ’ है और लंबित मामलों की संख्या के मद्देनजर मध्यस्थता जैसा विवाद निस्तारण तंत्र एक अहम उपकरण है।


उच्चतम न्यायालय

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को यहां ‘इंडियन लॉ सोसाइटी’ में ‘आईएलएस सेंटर फॉर आर्बिट्रेशन एंड मेडिएशन’ आईएलएससीए का उद्घाटन करने के बाद यहां न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़ स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा, ‘हम जानते हैं कि भारत में अदालतों पर मुकदमों का अत्यधिक बोझ है।’

उन्होंने कहा, ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार, 2010 और 2020 के बीच सभी अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में सालाना 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’ उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, जिला और तालुका अदालतों में 4.1 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं और विभिन्न उच्च न्यायालयों में लगभग 59 लाख मामले लंबित हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इस समय उच्चतम न्यायालय में 71,000 मामले लंबित हैं। इस संख्या को देखते हुए, मध्यस्थता जैसा विवाद निस्तारण तंत्र एक अहम उपकरण है।’

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मध्यस्थता का इस्तेमाल पूरी दुनिया और निश्चित रूप से भारत में प्रमुखता से बढ़ा है तथा संसद में हाल में ‘मध्यस्थता विधेयक- 2021‘ पेश किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘मैं विधेयक के प्रावधानों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन प्रावधानों को लेकर विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से दिखाती है कि विवाद समाधान के तरीके के रूप में मध्यस्थता को स्वीकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर मध्यस्थता संधि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौते को लागू करने की दिशा में सही कदम है।

50 मामले निपटते हैं तो 100 और आ जाते हैं

विधिमंत्री किरेन रिजीजू ने लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ के करीब पहुंचने के बीच शनिवार को कहा कि यदि कोई न्यायाधीश 50 मामलों का निपटारा करता है, तो 100 नए मामले दायर हो जाते हैं, क्योंकि लोग अब अधिक जागरुक है और वे विवादों के निपटान के लिए अदालतों में पहुंच रहे हैं।

रिजीजू ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के कामकाज पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार अदालतों में लंबित मामलों को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है। मध्यस्थता पर प्रस्तावित कानून से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र पर नए सिरे से ध्यान देकर अदालतों में मुकदमों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।

भाषा
नई दिल्ली /पुणे


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