40 संस्थान भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग कराने को तैयार
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए तकनीकी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, एनआईटी के निदेशकों और भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आईएनएई) जैसे संस्थानों को प्रोत्साहित कर रहा है।
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत एआईसीटीई द्वारा सभी प्रमुख स्वदेशी भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को सुलभ बनाना है।
विश्वविद्यालय के मोच्रे पर आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे 10 राज्यों के 40 संस्थान एक या अधिक विषयों में इंजीनियरिंग शिक्षा शुरू करने के लिए आगे आए हैं। इसमें 6 भारतीय भाषा बंगाली, हिंदी, कन्नड़, मराठी, तमिल और तेलुगु शामिल हैं। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में छात्रों की कुल प्रवेश क्षमता 2070 तय की गई है।
एआईसीटीई ने केवल अंग्रेजी में अध्ययन सामग्री की उपलब्धता को विकेंद्रीकृत करने के लिए वर्ष 2021-22 में भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा शुरू की है। लगभग 20 संस्थानों ने दस राज्यों में छह भाषाओं, यानी हिंदी, मराठी, तेलुगु, कन्नड़, तमिल और मराठी में अंडर ग्रेजुएट और डिप्लोमा स्तर पर कार्यक्रम शुरू किए थे, जिसमें 255 छात्र नामांकित थे।
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी. सहस्रबुद्धे के मुताबिक, भाषा आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने और छात्रों को अपनी भाषा में बेहतर सीखने का आत्मविश्वास देने का एक शक्तिशाली माध्यम है। भाषा सीखने में बाधक नहीं होनी चाहिए। पहले वर्ष के बाद, हम इंजीनियरिंग के दूसरे और आगे के वर्षों के लिए भारतीय भाषाओं में अपने अनुवाद और लेखन में तेजी ला रहे हैं। जैसे-जैसे विषयों में विविधता आती जा रही है, यह अभियान और भी तीव्र होता जा रहा है।
एआईसीटीई ने अंग्रेजी में द्वितीय वर्ष की पाठ्यक्रम सामग्री विकसित करने और 12 भारतीय भाषाओं में इसके अनुवाद के लिए 18.6 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग पुस्तकों के अनुवाद में एआईसीटीई की सहायता करने वाले विभिन्न राज्यों के प्रमुख व्यक्तियों को सम्मानित भी किया है।
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