संसद का मानसून सत्र सोमवार से, विपक्ष के पास मुद्दों की भरमार

Last Updated 17 Jul 2022 11:47:45 AM IST

सोमवार से शुरू होने जा रहा संसद का मानसून सत्र विरोधी दलों की घेरेबंदी की तैयारी के बावजूद सरकार के लिए एक यादगार सत्र होने जा रहा है।


संसद का मानसून सत्र सोमवार से, विपक्ष के पास मुद्दों की भरमार

सत्र के पहले ही दिन यानी सोमवार को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। लोक सभा एवं राज्य सभा, दोनों ही सदनों के सासंद संसद भवन परिसर में नए राष्ट्रपति के लिए मतदान करेंगे। एक आदिवासी महिला, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना कर भाजपा ने जो बड़ा राजनीतिक दांव खेला था, वह पूरी तरह से कामयाब होता नजर आ रहा है और अब भाजपा की कोशिश ज्यादा से ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल करने भर की ही रह गई है।

संसद के इसी मानसून सत्र के दौरान 6 अगस्त को देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव होना है। भाजपा ने राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले पश्चिम बंगाल के वर्तमान राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। लोक सभा और राज्य सभा के सांसदों के आंकड़े को देखते हुए धनखड़ का भी चुनाव जीतना लगभग तय ही माना जा रहा है। ऐसे में यह सत्र भाजपा सरकार के लिए इस मायने में यादगार साबित होने जा रहा है कि एक बार फिर से देश के दो शीर्ष संवैधानिक पदों पर भाजपा के ही उम्मीदवार चुनाव जीत कर बैठने जा रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ, इन दोनों पदों पर एनडीए उम्मीदवार जीतने की प्रबल संभावनाओं के बावजूद भी विपक्ष, सदन के अंदर और बाहर पुरजोर तरीके से सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। संसद के मानसून सत्र से पहले शनिवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने सरकार की महत्वाकांक्षी अग्निवीर योजना, बढ़ती महंगाई और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत पर चर्चा कराने की मांग करते हुए अपने इरादों को साफ कर दिया। असंसदीय शब्दों और संसद भवन परिसर में धरना-प्रदर्शन पर रोक के सर्कुलर का जिस अंदाज में विपक्षी दलों ने विरोध किया, उससे भी यह जाहिर हो रहा है कि विपक्षी दल सत्र के दौरान सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार है।



लोक सभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा, टीआरएस, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस, एआईएमआईएम और शिवसेना सहित कई अन्य विपक्षी दलों के नदारद रहने से भी सत्र के हंगामेदार होने की आशंका बढ़ गई है।

विपक्षी दलों की बात करें तो, एक तरफ तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव हैं जो अन्य दलों को साथ लेकर भाजपा सरकार पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं जो यशवंत सिन्हा प्रकरण की तरह ही विपक्षी दलों का नेतृत्व करते हुए दिखना चाहती है और इन दोनों क्षेत्रीय दलों के बीच देश की सबसे पुरानी और वर्तमान में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस है जो राष्ट्रीय राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के संकट से जूझ रही है। इन तीनों राजनीतिक दलों के आपसी प्रतिस्पर्धा का असर भी संसद सत्र पर पड़ना तय ही माना जा रहा है।

अग्निवीर योजना, बढ़ती महंगाई और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत के साथ-साथ विपक्षी दल किसानों की समस्या, एमएसपी, बेरोजगारी, भारत-चीन सीमा के हालात, देश में बढ़ रहे तनाव, नूपुर शर्मा प्रकरण सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग कर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। 18 जुलाई से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र के 12 अगस्त तक चलने की संभावना है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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