आवंटियों से अतिरिक्त राशि पर सुप्रीम मुहर

Last Updated 20 May 2022 02:51:49 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी की उस अधिसूचना को जायज ठहराया है जिसमें लगभग 21 हजार भूखंड आवंटियों से अतिरिक्त राशि मांगी गई थी।


सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो साल पुराने फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 12 साल से भूखंड पर कब्जा पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे आवंटियों को झटका लगा है।

यमुना एक्सप्रेसवे के भूखंड आवंटियों को झटका

जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की बेंच ने कहा कि नोएडा अर ग्रेटर नोएडा के किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने के अदालत के आदेशों के बाद यमुन एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (यीडा) के सामने संकट खड़ा हो गया था। यीडा ने चौधरी कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर आवंटियों से 1330 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से अतिरिक्त राशि ली, जो समस्या के समाधान के लिए जरूरी थी। अतिरिक्त प्रीमियम वसूलने की यीडा की अधिसूचना जनहित में थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवंटियों ने कई बार पैंतरा बदला। किसानों ने समूचे क्षेत्र का विकास रोक दिया था। आवंटियों ने किसानों की समस्या का समाधान निकालने के लिए खुद राज्य सरकार से कदम आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था।

अतिरिक्त राशि वसूलने की अधिसूचना को सही ठहराया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्टर 18 और 20 के प्लॉट आवंटियों के संगठन-यमुना एक्सप्रेसवे रेजीडेंशियल प्लॉट ऑनर्स वेलफेयर एसोसिएशन (यरवा) ने भी हाईकोर्ट में लिखित आश्वासन दिया था कि 98 फीसदी आवंटी अतिरिक्त राशि देने के लिए तैयार हैं। यरवा सिर्फ किश्तों में बदलाव चाहता था। उसके अनुरोध पर किश्तों को चार से बढ़ाकर आठ कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा यूपी सरकार तथा यीडा द्वारा अगस्त और सितम्बर 2014 में अतिरिक्त राशि वसूलने की अधिसूचना को निरस्त करने का निर्णय गलत है।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रसवे अथॉरिटी (यीडा) द्वारा रिहायशी और संस्थागत भूखंड के आवंटियों से अतिरिक्त राशि वसूलने के आदेश को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने 28 मई, 2020 के फैसले में कहा था कि भूमि अधिग्रहण में किसानों को अधिक मुआवजा देने के नाम पर आवंटियों से यह धनराशि वसूलना गैर-कानूनी है। हाईकोर्ट ने कहा था कि किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने का अदालत का निर्णय नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लिए था। यीडा के तहत आने वाले गांवों की जमीन के लिए यह निर्णय नहीं दिया गया था।

सहारा न्यूज ब्यूरो/विवेक वार्ष्णेय
नई दिल्ली


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