हाईकोर्ट भी नहीं समझ पाया सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट
मौजूदा तथा पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मुकदमों के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट गठित नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को आड़े हाथों लिया।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने उसके फैसले को समझने में गलती की।
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस धनंजय चंद्रचूड और सूर्यकांत की बेंच ने समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की याचिका पर हाई कोर्ट से कहा कि मजिस्ट्रेट की अदालत में चलने वाले मुकदमों को सत्र अदालत में नहीं भेजा जा सकता।
हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट ट्रायल के मुकदमों को सत्र अदालत में ट्रांसफर करके भारी गलती की। इससे सुप्रीम कोर्ट का जल्द न्याय का इरादा विफल हो जाता है।
जब मजिस्ट्रेट ट्रायल के केस सेशन कोर्ट में ट्रांसफर किए जाएंगे तो यह निश्चित है कि सत्र अदालत में मुकदमों की तादाद बढ़ जाएगी, जबकि हमारा मकसद दागी नेताओं के मामले जल्द निपटाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट अधिक से अधिक विशेष अदालतों का गठन करे, जिससे मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चलने वाले मुकदमों का जल्द निपटारा किया जा सके।
इस समय समूची यूपी के 74 जिलों में 62 विशेष अदालतों का गठन किया गया है, जिसमें सिर्फ वर्तमान तथा पूर्व जनप्रतिनिधियों के मुकदमे चलते हैं।
इनमें 13 हजार से अधिक मुकदमे पेंडिंग हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह मुकदमों के निपटारे में कई साल लग जाएंगे, जो हमारा उद्देश्य कतई नहीं था। जिन राज्यों ने विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन नहीं किया है, वह भी इस दिशा में कदम उठाएं।
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