अब MSP पर अड़े किसान, रणनीति पर फैसला रविवार को

Last Updated 21 Nov 2021 05:07:09 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के बाद किसान अब अपनी अन्य मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून बनाने पर अड़ गए हैं।


सिंघु बार्डर पर मीडिया से बात करते किसान नेता डा. दर्शनपाल और योगेन्द्र यादव।

घोषणा के एक दिन बाद शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे। इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वषर्गांठ पर 26 नवम्बर को सभी प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में एकत्र होने का आग्रह किया। मोर्चा आंदोलन की आगे की रणनीति के लिए रविवार की बैठक में अंतिम फैसला करेगा।

मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि वह संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। चालीस किसान संघों के प्रमुख संगठन एसकेएम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा तथा सभी घोषित कार्यक्रम जारी हैं।

मोर्चा ने यह भी संकेत दिया कि एमएसपी की वैधानिक गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक वापस लिए जाने की मांग के लिए आंदोलन जारी रहेगा। मोर्चा ने किसानों से 22 नवम्बर को लखनऊ किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में शामिल होने की भी अपील की है।

बयान में यह भी कहा गया है कि 29 नवम्बर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे। प्रधानमंत्री ने तीन ’काले’ कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, लेकिन वह किसानों की अन्य लंबित मांगों पर चुप रहे।’

मोर्चा ने कहा, ‘किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को स्वीकार तक नहीं किया। इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना चाहिए।

ये शहीद संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए।’ बयान में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिये दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए। 

भाषा
नई दिल्ली


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