तीनों कृषि कानून वापस लेने के फैसले का विपक्ष ने किया स्वागत, कहा- किसानों की बड़ी जीत
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद विपक्षी दलों ने इसे किसानों की बड़ी जीत बताते हुए इसे हठधर्मिता की हार बताया है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है। उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि संसद में विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के बाद ही, वे कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन वापस लेंगे।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और दूसरे मुद्दों पर भी किसानों से बात करनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करने के बाद , बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने यह ट्वीट किया। किसान इन कानूनों के खिलाफ पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे थे।
टिकैत ने ट्वीट किया, ‘‘ आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार, एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।’’
इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, देखिए अगर प्रधानमंत्री ने यह फैसला लिया है कि तीनों काले कानून को वापस लिया जाता है। इससे संकेत तो साफ है कि अगर एक जीवंत आंदोलन सरकार के फैसले पलट देता है।
उन्होंने कहा, सरकार के लिए एक और संदेश है कि अहंकार और हठधर्मिता में आप पार्लियामेंट से कुछ भी पास करा लेंगे तो उसे जनमानस स्वीकर कर लेगा ऐसा नहीं है। यह आगे सरकार द्वारा लिए जाने वाले फैसलों के लिए सबक है। सरकार की कार्यप्रणाली और कार्यशैली में हमेशा जनसरोकार होना चाहिए। केंद्र का आज का फैसला, ये किसान आंदोलन की सफलता है, पूरे देश को बधाई और सलाम।
इस मसले पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा, एक संदेश गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है। हार के चलते पीएम मोदी ने यह फैसला किया है।
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा है केंद्र सरकार ने आज अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, खेती पर जो टैक्स और जीएसटी जो लगाया है उससे राहत देने का रास्ता क्या है ? 700 किसान जो मारे गए हैं उनसे माफी मांगे केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी। आज केंद्र सरकार के किसानों से माफी मांगने का दिन है। 700 किसान जो प्रदर्शन में मारे गए उनसे केंद्र माफी मांगे। किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया और लखीमपुर खीरी में तो देश के गृह राज्य मंत्री के बेटे और उसके सहयोगियों ने किसानों को अपनी जीप के टायर के नीचे कुचल दिया। इसके बाद मोदी सरकार ने आज अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
वहीं इस मसले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!
इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भी कहा, पिछले वर्ष सितंबर में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे, बारिश, ठंड, भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी खुशखबरी मिली। तीनों कानून रद्द। 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन!
आप से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ। सैकड़ों किसानों की शहादत हुई। अन्नदाताओं को आतंकवादी कहकर अपमानित किया गया। इस पर प्रधानमंत्री मौन क्यों रहे? देश समझ रहा है कि चुनाव में हार के डर से तीनों कानून वापस हुए।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने किसानों को बधाई दी है। इधर, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा को किसानों की जीत और अहंकार की हार बताया है।
उन्होंने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, ' विश्व के सबसे लंबे, शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई। पूंजीपरस्त सरकार और उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढ़तिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया।'
उन्होंने आगे अपने अंदाज में लिखा, 'देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से। बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए।'
इधर, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह किसान की जीत है, देश की जीत है। यह पूंजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है।
गौरतलब है कि पीएम ने शुक्रवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में कानून वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की है।
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