एजेंसियों पर नियंत्रण है मकसद, 2 से 5 साल का अध्यादेश : कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सीबीआई, आईबी और ईडी जैसे संस्थानों के प्रमुख के कार्यकाल को अध्यादेश के माध्यम से बढ़ाये जाने को एजेंसियों पर नियंत्रित करने का मकसद करार दिया है।
![]() कांग्रेस प्रवक्ता और अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी |
कांग्रेस ने कहा कि देश में लगातार पिछले 7 सालों से केंद्रीय संस्थाओं की साख गिरती जा रही है। केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसे संस्थाओं के प्रमुख-निदेशकों का कार्यकाल परफॉर्मेंस के आधार पर बढ़ाकर उनके कामकाज के स्तर को गिराना चाहती है, नियंत्रण करना चाहती है।
कांग्रेस प्रवक्ता और अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर कहा, जब बढ़वाना हो निदेशकों का कार्यकाल, तब कैसे पूछ सकेंगी एजेंसियां भाजपा से सवाल? ये (नियंत्रण) उद्देश्य है। जो कारनामे आप देख रहे हैं, कल से और पहले से भी.. क्योंकि, घोटालों और जुर्मों से बचाने खुद की नाक, भाजपा तेजी से गिरा रही है सभी संस्थाओं की साख।
उन्होंने कहा कि मूल शब्द है 'एक्सटेंशन'। इसका साफ अर्थ ये है कि मोदी सरकार को इस अध्यादेश के जरिए पदासीन अधिकारियों का कार्यकाल बढ़ाना है, जिसके तहत पदासीन अधिकारी हर वर्ष या छह माह के लिए प्रोबेशन में रहेगा। प्रोबेशन में यह होगा कि सरकार इन अधिकारियों को परफॉर्मेंस के आधार पर नियंत्रित कर सकती है।
सिंघवी ने कहा, मोदी सरकार कहती है दो साल के बाद हर साल आपका विश्लेषण कर एक्सटेंशन देगी.. और ऐसा करवा के काम कराएंगे आपसे।
उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, इस सरकार के सात साल के इतिहास ऐसे कई उदाहरणों से प्रज्वलित हैं ..और अगर आपने काम पर्याप्त रूप से, सेवा पूर्वक, पूरे सही एफिशिएंसी के साथ कर डाला, तो इस अध्यादेश के जरिए आपको एक साल और मिलेगा।
सिंघवी ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने अपने इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय के एक हाल ही में लिए गए निर्णय का अनादर किया है।
वहीं इस मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में वैधानिक प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है।
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