निजी अस्पतालों को टीका वितरित करने का अधिकार केंद्र ने अपने पास क्यों रखा है : ममता

Last Updated 09 Jun 2021 07:15:32 PM IST

नरेंद्र मोदी सरकार पर संघीय व्यवस्था की भावनाओं का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को पूछा कि निजी अस्पतालों को कोविड-19 का 25 फीसदी टीका वितरित करने का अधिकार केंद्र ने अपने पास क्यों रखा है और राज्यों को यह अधिकार क्यों नहीं दिया है।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (File photo)

प्रधानमंत्री ने सोमवार को घोषणा की थी कि केंद्र ने राज्यों को मुफ्त टीका आपूर्ति करने के लिए निर्माताओं से 75 फीसदी टीका खरीदने का निर्णय किया है, जबकि निजी क्षेत्र के अस्पताल शेष 25 फीसदी टीका खरीदेंगे।

बनर्जी ने कहा कि उन्होंने कोविड-19 के इलाज में आवश्यक दवाओं, उपकरणों और टीके पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का विरोध किया।

राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ में आंदोलनरत किसान नेताओं से मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि ‘‘कोविड से लेकर किसान तक’’ भाजपा नीत केंद्र सरकार ने देश को गंभीर संकट में धकेल दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने कहा है कि वह 25 फीसदी टीका सीधे निजी अस्पतालों को मुहैया कराएगा। केंद्र क्यों? संघीय ढांचे में केंद्र की योजनाओं को राज्य लागू करता है।’’

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वह केवल राज्यों के खिलाफ बोलना जानते हैं। वह केवल बांटकर राज करना जानते हैं। कोविड टीकों पर पांच फीसदी जीएसटी हटाने के बारे में प्रधानमंत्री ने क्यों नहीं कुछ कहा?’’

बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इतने दिनों में पीएम केयर्स फंड के 34 हजार करोड़ रुपयों से देश के लोगों का पूरी तरह टीकाकरण करने के बारे में कुछ नहीं सोचा।

उन्होंने दावा किया, ‘‘अगर इस दौरान केंद्र ने मुफ्त टीकाकरण अभियान के बारे में सोचा होता तो हम 18 से 45 वर्ष के उम्र वर्ग में इतने लोगों को नहीं खोते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार चुनाव से पहले हर किसी के मुफ्त टीकाकरण के बारे में मोदी के वादे का क्या हुआ? इसके बाद कितने महीने बीत गए।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘केंद्र की मुफ्त टीका नीति का श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं लेना चाहिए और यह बताना चाहिए कि इतने दिनों तक क्या हुआ।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दो करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ और राज्य सरकार ने टीकों की खरीद पर 200 करोड़ रुपये खर्च किए।

भाषा
कोलकाता


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