पांचवें दौर की बैठक में भी नहीं बनी बात, किसान अड़े, बोले-संशोधन नहीं रद्द हों कानून

Last Updated 06 Dec 2020 12:37:40 AM IST

किसानों ने कृषि कानूनों में संशोधनों के प्रस्ताव को खारिज करते हुए सरकार को दो टूक कह दिया कि इन कानूनों को रद्द किया जाए।


बच्चे भी कूदे : सिंघु बार्डर पर शनिवार को विरोध प्रदर्शन करते किसानों के बच्चे।

उन्होंने सरकार के साथ बैठक में साफ कहा कि वह उन्हें बता दे कि कानून रद्द करेगी अथवा नहीं। केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों को मनाने के क्रम में कहा कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहती है। किसानों ने बैठक में यह भी कहा कि बैठकों में भाषण तो बहुत हो गए, ठोस कुछ भी नहीं हुआ है और अब वह रिजल्ट चाहते हैं।

सरकार ने गतिरोध दूर करने की गुंजाइश रखने के लिए ही नौ दिसम्बर को फिर से बैठक का प्रस्ताव दिया है। किसानों ने आंदोलन से बच्चों और बुजुगरे को हटाने की सरकार की अपील भी अस्वीकार कर दी है। उन्होंने सरकार को कहा कि चाहे वो बल का प्रयोग करे, फिर भी किसान पीछे नहीं हटेंगे।  बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल की बैठक हुई। मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को कहा कि किसान नेताओं को मनाने के प्रयास जारी हैं। यदि पिछली बैठक से तुलना करें तो इस बैठक का माहौल अधिक अच्छा नहीं रहा। किसानों ने बैठक में कई बार तल्खी दिखाई। एक बार तो उन्होंने बैठक में सामूहिक रूप से मौन धारण करके कागज पर लिखकर सरकार से पूछ लिया कि हां या ना में जवाब चाहिए।

कृषि मंत्री बोले, समाधान के लिए सुझावों का इंतजार
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार कई बार एमएसपी जारी रहने के विषय में अपना संकल्प दोहरा चुकी है।  अगर फिर भी किसानों को कोई शंका है तो सरकार उसे दूर करने के लिए तैयार है।

कृषि मंत्री ने कहा कि एपीएमसी एक्ट राज्य का है, राज्य की मंडी को प्रभावित करने का केंद्र का इरादा नहीं है। सरकार केवल एपीएमसी को मजबूत करना चाहती है।  सरकार इस विषय पर भी किसानों की गलतफहमी का समाधान करने को तैयार है। कृषि मंत्री ने कहा कि बैठक में उम्मीद थी कि शंकाओं वाले विषयों पर किसान नेताओं से कुछ सुझाव स्पष्टता से मिल जाएं पर ऐसा हो नहीं सका, इसीलिए 9 तारीख को फिर बैठक होगी। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं के सुझाव मिल जाते हैं तो समाधान का रास्ता निकालना आसान होता। कृषि मंत्री ने कहा कि ठंड है, इसलिए बुजुर्ग और बच्चों को घर भेजने का किसान संगठनों से आग्रह है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पूरी तरह किसानों के प्रति प्रतिबद्ध थी, प्रतिबद्ध रहेगी।

किसानों ने कहा, पहले ही दिए जा चुके हैं सुझाव
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि किसान सरकार को कोई सुझाव नहीं देंगे क्योंकि वह पहले ही बिंदुवार सभी बातें लिखित में बता चुके हैं। उन्होंने बताया कि बैठक में सरकार को बार-बार कहा गया कि कृषि कानून समाप्त होने और एमएसपी गारंटी का कानून बनने तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा। प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार से दिल्ली-आगरा का सड़क मार्ग पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा। वहां मार्ग रोकने के लिए एक हजार ट्रैक्टर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 7 तारीख को विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति अवार्ड वापस करेंगे और 8 दिसम्बर को भारत बंद किया जाएगा।

ट्रेड यूनियनें भी ‘भारत बंद’ में होंगी शामिल
देश की दस प्रमुख ट्रेड यूनियनें भी आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में आठ दिसम्बर के ‘भारत बंद’ में शामिल होंगी। उधर, विपक्षी दल भी किसान नेताओं से बंद का समर्थन करने के लिए संपर्क कर रहे हैं। किसान संगठन अगले दो दिन अपने बंद को सफल बनाने पर भी रणनीति बनाएंगे। उनकी कोशिश है ‘भारत बंद’ में समाज का हर तबका शामिल हो।
 

सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली


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