किसान आंदोलन: BJP किसान मोर्चा के नेता ने सरकार को दिए 5 बड़े सुझाव

Last Updated 05 Dec 2020 04:42:02 PM IST

किसान आंदोलन को सुलझाने के लिए भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे नरेश सिरोही ने सरकार को 5 अहम सुझाव भेजे हैं।


भाजपा किसान मोर्चा के नेता नरेश सिरोही (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून सिर्फ किसानों ही नहीं बल्कि देश की 138 करोड़ की आबादी को प्रभावित करने वाले हैं। ऐसे में सभी के हितों का ध्यान रखते हुए बीच का सुगम रास्ता निकालना जरूरी है।

बीजेपी किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर 90 के दशक में कृषि क्षेत्र में हुए बदलाव के बाद, वर्तमान में बनाए गए तीनों कानूनों को कृषि क्षेत्र में सुधारों की बड़ी पहल माना जाना चाहिए। इन कानूनों से केवल किसान ही नहीं, उपभोक्ता सहित कृषि का व्यापार करने वाले बड़े कॉरपोरेट, खाद्य प्रसंस्करण में लगी इंडस्ट्री, थोक विक्रेता, सामान्य खुदरा विक्रेता सहित सभी लोग प्रभावित होंगे।

उन्होंने कहा, "ये तीनों कानून देश में उत्पादित लगभग 30 करोड़ टन खाद्यान्न, लगभग 32 करोड़ टन फल सब्जी, लगभग 19 करोड़ टन दूध सहित लगभग एक अरब से ऊपर कृषि उत्पादों के बाजार वाली कृषि क्षेत्र से जुड़ी अर्थव्यवस्था ही नहीं, समस्त 12 हजार अरब रुपए की खुदरा बाजार की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले हैं।"

नरेश सिरोही ने सरकार को 5 प्रमुख सुझाव पर अमल कर किसान आंदोलन का समाधान निकालने की बात कही है। पहला सुझाव मंडी के अंदर और बाहर एक समान व्यवस्था और पंजीकरण सिस्टम का है।

उन्होंने कहा है कि, "किसानों की एपीएमसी मंडियां बंद होने की आशंका निर्मूल नहीं है। वर्तमान मंडियों में फसलों की खरीद पर अलग-अलग राज्यों में छ प्रतिशत से लेकर साढे आठ प्रतिशत तक टैक्स लगाया जा रहा है। परंतु नई व्यवस्था में मंडियों के बाहर कोई टैक्स नहीं लगेगा, इससे मंडियों के अंदर और बाहर कृषि व्यापार में विसंगति पैदा होंगी। जिसके कारण इस तरह की परिस्थितियां निर्माण होगी कि मंडियां बिना कानून के स्वत: ही बंद होती चली जाएंगी। एक तरफ सरकार संपूर्ण देश में एक देश-एक टैक्स व्यवस्था को लागू करने के लिए जीएसटी जैसा मजबूत कानून लेकर आती है तो दूसरी ओर कृषि उत्पादों के व्यापार में विसंगतियां पैदा होने के खतरे को पैदा कर रही है। इसलिए कृषि व्यापार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए मंडियों के अंदर और बाहर एक समान टैक्स व्यवस्था तथा मंडियों के अंदर व्याप्त विसंगतियों को दूर कर उन्हें सुदृढ़ करने के लिए अपेक्षित उपाय किए जाने चाहिए।"

उन्होंने कहा कि किसान यह भी चाहते हैं कि मंडियों के बाहर कृषि का कारोबार करने वाले किसी भी व्यक्ति का केवल पैन कार्ड ही नहीं उसका पंजीकरण भी अवश्य होना चाहिए।

उन्होंने दूसरा सुझाव एमएसपी की गारंटी का दिया है। कहा कि, "देश का किसान घाटे की खेती कर रहा है इसलिए किसानों की मांग है कि निजी क्षेत्र द्वारा भी कम से कम एमएसपी पर खरीद की वैधानिक गारंटी चाहते हैं, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे फसलों की खरीद कानूनी रूप से प्रतिबंधित हो।"

तीसरा सुझाव कृषि न्यायालय का है। किसानों और व्यापारी के बीच में विवाद निस्तारण के लिए एसडीएम कोर्ट की स्थान पर कृषि न्यायालय बनाए जाने चाहिए।

नरेश सिरोही ने चौथे सुझाव के तौर पर सरकार से कहा, "कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में भी एमएसपी से नीचे किसी भी समझौते को मान्यता नहीं मिलनी चाहिए। एमएसपी के दायरे में आई हुई फसलों के अलावा, बाकी फल सब्जियों सहित अन्य फसलों के लिए भी सी 2 प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के तहत बाकी फसलों की लागत का भी आकलन व्यवस्था होनी चाहिए।

बीजेपी नेता नरेश सिरोही के मुताबिक, "आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करते हुए सरकार ने अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज सहित सभी खाद्य पदार्थों को अब नियंत्रण मुक्त किया है। कुछ विशेष परिस्थितियों के अलावा अब स्टॉक की सीमा समाप्त हो गई है। लेकिन उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने परिस्थितियों के हिसाब से कुछ नियंत्रण अपने पास रखे हैं। लेकिन इसमें और पारदर्शिता लाने के हिसाब से केंद्रीय स्तर पर एक पोर्टल बनाने की आवश्यकता है, जिसमें व्यापारी द्वारा खरीद और गोदामों में रखे गए और गोदामों से निकाले गए खाद्य पदार्थों का विवरण दिन प्रतिदिन अपडेट होता रहे।"

आईएएनएस
नयी दिल्ली


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