प्रणेता से विजेता : बीस साल बेमिसाल

Last Updated 25 Oct 2020 03:18:48 AM IST

‘यूं तो हर शख्स गुजर जाता है जमाने की राह में, है नाम रोशन उसी का जो काम करता है नेक ईमान से‘


प्रणेता से विजेता : बीस साल बेमिसाल

ये चंद पंक्तियां एक ऐसी ही शख्सियत की ज़िंदगी की कहानी को बयान करती हैं, जो पिछले 20 सालों से लगातार बिना थके, बिना रु के देश-प्रदेश के सर्वोच्च पद पर जनता के हित के लिए कर्मपथ पर अग्रसर है। मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक 20 साल बेमिसाल पूरा करने वाली यह शख्सियत हैं नरेन्द्र दामोदर दास मोदी।
17 सितम्बर साल 1950 में वडनगर, गुजरात में बेहद साधारण परिवार में जन्मे नरेंद्र मोदी ने एक कार्यकर्ता से देश के प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया। जन जन में बेहद लोकप्रिय पीएम मोदी ने सत्ता के शिखर तक पहुंचने के बावजूद जनता के बीच यही कहा कि आपका चौकीदार हर मुसीबत से लड़ने के लिए चौकीदार बनकर खड़ा है। राजनीति शास्त्र में एमए करने वाले नरेंद्र मोदी पहले मुख्यमंत्री बने और फिर प्रधानमंत्री।

► 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात की सत्ता पर विराजमान :  7 अक्टूबर 2001.. ये वो तारीख थी, जब पहली बार नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सत्ता संभालने के तुरंत बाद ही भुज में आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया, लेकिन नरेंद्र मोदी की कुशाग्र सोच ने भुज के लोगों को दुबारा उठ खड़े होने की हिम्मत दी। ‘वाइब्रेंट गुजरात’ जैसे मोदी के कुछ कदमों ने राज्य को देश के मानिचत्र पर अलग ही दिशा दे दी। नरेंद्र मोदी की मेहनत और कुशलता का ही परिणाम था कि गुजरात बिजली उत्पादन जैसे कई मोर्चों पर आत्मनिर्भर हो गया और इस  गुजरात मॉडल की चर्चा पूरे देश में जोर पकड़ने लगी। देश के अलग-अलग राज्यों में गुजरात मॉडल का उदाहरण दिया जाने लगा। नतीजा ये रहा कि आए दिन नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहने लगे। विकास की यह गाथा राष्ट्रीय सीमाएं लांघकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंजने लगी। हालांकि सत्ता पर काबिज होने का ये सफर उनके लिए कोई आसान नहीं था। उनका ये सफर काफी चुनौती भरा रहा। नरेंद्र मोदी को उस वक्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अचानक निकालकर बतौर मुख्यमंत्री गुजरात की सेवा करने का दायित्व दे दिया गया था, जब बीजेपी के अंदर असंतोष की आवाजें उठ रही थीं। ऐसी परिस्थिति में मोदी ने गुजरात में लगातार तीन सरकारों का नेतृत्व करते हुए केंद्र में कांग्रेस के दबदबे को चुनौती देने का मजबूत आधार तैयार कर लिया।

मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक का सफर : रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाला कभी देश का पीएम भी बनेगा, ये किसी ने सोचा नहीं था। गुजरात में अपने विपक्षियों को लगातार पटकनी देने से देश में मोदी के नाम का डंका बजा और साल 2013 में उन्हें प्रधानमंत्री कैंडिडेट घोषित किया गया। यहीं से नरेंद्र मोदी के दिल्ली के सफर की शुरु आत होती है। उनके ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ के नारे और मैजिक ने साल 2014 में प्रचंड बहुमत से जीत दिला दी और बीजेपी 10 साल बाद वापस सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना गया। ये वो दौर था, जब देश की सत्ता पर गठबंधन की सरकार काबिज हुआ करती थी लेकिन ये मोदी का मैजिक ही था कि लोगों ने हर जोड़ के गणित को दरकिनार कर उन्हें भरपूर प्यार देकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर सवार कर दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी जी ने अपना करिश्मा दिखाया। उनके कुशल नेतृत्व, सांगठनिक क्षमता और देशवासियों का उन पर अटूट भरोसा उन्हें दुबारा प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापस ले आया।

वैश्विक मंच पर सफल कूटनीति : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी ने दमदार भारत की छवि दर्ज कराई है। चाहे वो सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका ही क्यों न हो। अमेरिका ने भी पीएम मोदी की नीतियों का लोहा माना। देश के साथ-साथ विदेशों में भी ‘मोदी है तो मुमकिन है’ को शिद्दत से अपनाया गया।

’हाथ मिलाने वाले देश, अब लगाते हैं गले‘ : मोदी मैजिक का ही कमाल है कि सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में भी मोदी की तर्ज पर एक बार फिर ट्रंप सरकार के नारे गूंजे। कभी भारत को बेहद कम आंकने वाले सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान डोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी को दोस्त कहकर संबोधित करते हैं और ये मुमकिन हुआ है मोदी की विराट सोच और उनकी अतुलनीय शख्सियत की वजह से। पीएम मोदी मई 2014 से नवम्बर 2019 तक 104 देशों की यात्राएं कर चुके हैं। हालांकि, वह पिछले 11 महीनों से किसी विदेशी दौरे पर नहीं गए हैं। सबसे ज्यादा विदेश दौरों के मामले में वे अभी इंदिरा गांधी से पीछे हैं। इंदिरा गांधी ने 16 साल में 113 विदेश यात्राएं की थीं। पीएम मोदी ने 6 बार अमेरिका जबकि पांच बार रूस की यात्रा की, वहीं चीन और जापान की 4-4 बार यात्राएं की हैं।

बीते 6 साल में मोदी के दौरों का भारत पर सकारात्मक असर

1. पिछली सरकार की तुलना में 50% अधिक बढ़ा एफडीआई : पीएम मोदी के पहले 5 सालों की बात करें तो फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) के तौर पर 193 अरब डॉलर आया है। यह यूपीए यानी मनमोहन सिंह की सरकार के आखिरी 5 साल की तुलना में 50% से भी अधिक है।

2. एनर्जी सिक्योरिटी बढ़ाने में मदद मिली : पीएम मोदी खाड़ी देशों से बेहतर रिश्ते बनाने में कामयाब हुए हैं. यही वजह है कि भारत ऊर्जा के स्तर को सुरक्षित करने में कामयाब रहा है। मोदी की सरकार में ही भारत ने अमेरिका से कच्चा तेल, एलपीजी कार्गो खरीदना शुरू किया। इसके अलावा खाड़ी देशों और रूस से भी कई समझौते हुए। दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी अरामको भारत की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी में निवेश के लिए तैयार हुई। यूएई भी भारत में ऑयल रिजर्व बनाने में मदद करेगा।

3. दुनिया में बढ़ी भारत की साख : हाल ही में पाकिस्तान और चीन से चल रहे विवाद के बीच जिस तरह से भारत को दुनिया भर से समर्थन मिला है और जिस तरह से चीन को उसी की भाषा में मुँहतोड़ जवाब मिला है, वह कहीं ना कहीं मोदी की विदेश नीति के चलते ही संभव हो पाया है। आज चीन से विवाद के बीच अमेरिका, इस्रइल, रूस, फ्रांस भारत को हथियार दे रहे हैं। इसके अलावा भारत पाकिस्तान और चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने में भी सफल रहा है। कोरोना संकट के चलते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरों पर तत्कालिक रूप से भले ही विराम लगा हो, लेकिन सैकड़ो देशों को यात्राएं कर प्रधानमंत्री मोदी ने अपना और देश का नाम प्रमुखता से विपटल पर लाने में सफलता अर्जित की है। ये प्रधानमंत्री मोदी जी की कूटनीति का ही परिणाम था कि तमाम मुद्दों पर अमेरिका भारत का समर्थन करता नजर आया। तमाम अन्य देशों समेत अमेरिका और चीन जैसे शक्तिशाली देशों के मुखिया ने भारत की यात्रा की और मोदी जी कामों का सराहा। प्रधानमंत्री मोदी पर अंग्रेजी के साहित्यकार राबर्ट फ्रास्ट की लिखी यह लाइनें सटीक बैठती हैं। जिनका हिन्दी में अनुवाद प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन ने किया :

गहन सघन मनमोहक वन तरु, मुझको आज बुलाते हैं,
किन्तु किए जो वादे मैंने याद मुझे आ जाते हैं,
अभी कहां आराम बदा, यह मूक निमंत्रण छलना है,
अभी तो मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है।


दूसरे कार्यकाल में विदेश दौरा : मोदी ने 30 मई 2019 को दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद से वे अब तक 10 विदेश दौरों में 13 देशों की यात्रा कर चुके हैं। वह नवम्बर 2019 में आखिरी दौरे पर ब्राजील गए थे। इससे पहले पीएम बनने के तुरंत बाद मालदीव और श्रीलंका का दौरा किया था। श्रीलंका में बम धमाकों के बाद मोदी वहां जाने वाले पहले विदेशी नेता थे। इसके अलावा उन्होंने 2019 में  जापान, भूटान, फ्रांस, यूएई, रूस, अमेरिका, थाईलैंड, ब्राजील की यात्रा की थी।

विदेश दौरों से भारत की सशक्त भूमिका : पीएम मोदी के विदेश दौरों से भारत का वैश्विक स्तर पर कद ऊंचा हुआ है. वैश्विक कूटनीतिक स्तर पर भी भारत आगे बढ़ा है।

रमेश अवस्थी
सहारा समय टीवी के ग्रुप एडिटर


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment