लद्दाख : अनुच्छेद 371 लागू करने की मांग
सामरिक महत्व के संघशासित प्रदेश लद्दाख में डोमिसाइल सर्टिफिकेट रूल्स को लेकर अभी तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जबकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख गत वर्ष 31 अक्टूबर को एकसाथ संघशासित प्रदेश के वजूद में आये थे।
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जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल सर्टिफिकेट रूल्स 18 मई को लागू हो गया। सूत्रों का कहना है कि लद्दाख के मामले में नई दिल्ली में काफी माथापच्ची चल रही है। इस बीच लद्दाख के दोनों क्षेत्रों लेह व करगिल में अब आवाज उठ रही है कि डोमिसाइल की अधिसूचना जारी करते वक्त संविधान में उल्लेखित शेड्यूल 6 अथवा अनुच्छेद 371 लद्दाख में लागू किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि इस मांग को लेकर गत एक अरसे से लेह में बैठकों व मुलाकातों का दौर लगातार बना हुआ है। हालांकि शेड्यूल 6 की मांग सबसे पहले करगिल से उठी थी। लेह में गत दिनों लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद की अहम बैठक हुई, जिसमें भाजपा पाषर्दों ने शेड्यूल 6 अथवा अनुच्छेद 371 की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया। 30 सदस्यीय इस परिषद में भाजपा के 18, कांग्रेस के 5, नेशनल कांफ्रेस के 2 तथा 1 निर्दलीय पाषर्द हैं। इनमें मनोनीत सदस्य भी हैं। इस प्रस्ताव को पारित करने में लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेयरिंग नामग्याल की भी सहमति बताई गई है। बैठक में दो पूर्व सांसद फिक्से रिन पैचे, पूर्व सांसद टी. चिवांग के अलावा लद्दाख में कांग्रेस के प्रमुख एवं पूर्व मंत्री नवांग रिंगरिंग जोरा, अभी कांग्रेस से अलग हुए परिषद के पूर्व सीईसी रिंगजिंग स्पालवर के अलावा परिषद के मौजूदा चेयरमैन एवं सीईसी ग्याल पी. वांग्याल व डिप्टी चेयरमैन शेयरिंग संदप आदि मौजूद थे। शेयरिंग संदप भाजपा के हैं और प्रस्ताव उन्होंने पेश किया था।
दरअसल इन सभी नेताओं के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों का कहना है कि लद्दाख का एक विशेष महत्व है। यहां के नाजुक ईकोसिस्टम की सुरक्षा के अलावा जमीन, रोजगार, पर्यावरण, व्यवसाय तथा सांस्कृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए यह लोग संवैधानिक गारंटी चाहते हैं। इनका कहना है कि यहां बहुतायत आदिवासी हैं, इसलिए उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। इस संवाददाता ने रविवार को भाजपा के लद्दाख सांसद के अलावा परिषद के चेयरमैन से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की तो यह कहा गया कि महत्वपूर्ण बैठक चल रही है, बात नहीं हो सकती। लद्दाख के दोनों रीजन सामरिक महत्व के माने जाते हैं। इसके एक ओर करगिल जिसके साथ पाकिस्तान की सरहद सटी है। दूसरी ओर लेह के साथ चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आजकल उपजे विवाद में जो कुछ घट रहा है, वह जगजाहिर है। जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल सर्टिफिकेट के अमल में आने के बाद से लगातार यहां कमोबेश सभी राजनीतिक दल राजनीति करने में लगे हैं।
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