जेईई व नीट में देरी से ‘शून्य सत्र’ होने का खतरा
कई आईआईटी संस्थानों के निदेशकों ने कहा कि मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठय़क्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली नीट एवं जेईई परीक्षा में और देरी से ‘शून्य शैक्षणिक सत्र’ का खतरा है।
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वहीं, परीक्षा के स्थान पर अपनाए जाने वाले किसी भी त्वरित विकल्प से शिक्षा की गुणवत्ता कम होगी एवं इसका नकारात्मक असर होगा।
कोविड-19 मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से दोनों परीक्षाओं को स्थगित करने की तेज होती मांग के बीच आईआईटी के निदेशकों ने विद्यार्थियों से परीक्षा कराने वाली संस्था पर भरोसा रखने की अपील की। आईआईटी रूड़की के निदेशक अजित के चतुव्रेदी ने कहा, ‘इस महमारी की वजह से पहले ही कई विद्यार्थियों और संस्थानों की अकादमिक योजना प्रभावित हुई है और हम जल्द वायरस को जाते हुए नहीं देख रहे हैं। हमें इस अकादमिक सत्र को ‘शून्य’ नहीं होने देना चाहिए क्योंकि इसका असर कई प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ेगा।’ विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को व्यवस्था के प्रति आस्था रखने की जरूरत है।
चतुव्रेदी ने कहा, ‘इन परीक्षाओं को कराने का फैसला सभी मौजूदा परिस्थितियों पर विचार करने के बाद किया गया। सरकार विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित कर रही है। इसलिए हम सभी को एकजुट होकर इसकी अहमियत समझनी चाहिए और व्यवस्था द्वारा बाधा रहित परीक्षा कराने का समर्थन करना चाहिए।’ आईआईटी खड़गपुर के निदेशक वीरेंद्र तिवारी के मुताबिक, ‘उत्कृष्टता पाने में परीक्षा की वैश्विक प्रतिष्ठा है और इसे दुनिया की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इन परीक्षाओं के लिए त्वरित विकल्प निश्चित रूप से प्रतिस्पर्धा के स्तर पर संतुष्ट करने वाला नहीं होगा।’ विकल्प का इस्तेमाल आईआईटी प्रणाली की पूरी प्रवेश प्रक्रिया को कमजोर करने में किया जा सकता है जो आईआईटी स्नातक शिक्षा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
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