अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करना छात्रों के हित में नहीं

Last Updated 14 Aug 2020 05:56:58 AM IST

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार द्वारा विभिन्न पाठयक्रमों की अंतिम वर्ष की परीक्षा निरस्त करने के फैसले का विरोध किया है।


अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करना छात्रों के हित में नहीं

यूजीसी ने कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए परीक्षा जरूरी है। यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार अंतिम वर्ष की परीक्षा अनिवार्य है।
यूजीसी के शिक्षा अधिकारी डा. निखिल कुमार ने कहा है कि अंतिम वर्ष की परीक्षा का आयोजन छात्रों के हित को देखते हुए लिया गया है। परीक्षा रद्द करने से छात्रों को भारी नुकसान होगा। एक तरफ राज्य सरकार कह रही है कि नया शैक्षिक सत्र शुरू करना है और दूसरी तरफ परीक्षा रद्द कर रही है। सरकार का निर्णय अपने आप में विरोधाभासी है। शिक्षा सत्र जल्द शुरू करने के लिए परीक्षा जरूरी है। यूजीसी ने कहा, वर्तमान परिस्थितियों से वह पूरी तरह वाकिफ है। कोरोना महामारी के कारण असामान्य स्थिति पैदा हो गई है। यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अंतिम वर्ष की परीक्षा 30 सितम्बर तक आयोजित करने का फैसला छात्रों के भविष्य को देखते हुए लिया गया है।

उनकी योग्यता को परखने के लिए परीक्षा जरूरी है। यूजीसी ने कहा है कि राज्य सरकार के अधीन कुछ विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षा के बजाए पूर्व रिजल्ट के आधार पर अंक प्रदान किए हैं जो मानव संसाधन मंत्रालय की गाइडलाइंस के विपरीत है। विश्वविद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष की परीक्षा 30 सितम्बर तक कराए जाने के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूजीसी ने जवाब दायर किया है। अंतिम वर्ष की परीक्षा सितम्बर के अंत तक निपटाने की यूजीसी की छह जुलाई की अधिसूचना के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिका में कहा गया है कि कोरोना से बीमार छात्रों को परीक्षा के लिए विवश करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन है।
यूजीसी ने छह जुलाई को सभी विश्वविद्यालय और कॉलेजों के लिए गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें कहा गया था कि सभी पाठ्यक्रमों की सिर्फ अंतिम वर्ष की परीक्षा होगी। यह परीक्षा 30 सितम्बर तक संपन्न करा ली जाए। युवा सेना के नेता आदित्य ठाकरे सहित कोरोना संक्रमित कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि उन्हें परीक्षा के लिए विवश नहीं किया जा सकता। सीबीएसई ने भी पूर्व परीक्षा के आधार पर आकलन करके रिजल्ट घोषित किया है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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