भागवत ने राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे लोगों को किया याद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के अवसर पर उन सभी लोगों का भी स्मरण किया जो कि राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। मोहन भागवत ने आशा व्यक्त की और कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ ही सभी लोग अपने मन मंदिर का भी निर्माण करेंगे।
![]() संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो) |
उन्होंने बताया कि इस अवसर पर पूरे देश में खुशी की लहर है और यह सदियों की आस पूरी होने का आनंद है। भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि इस दिन से हमें प्रेरणा मिलती है।
मोहन भागवत ने कहा, सबसे बड़ा आंनद है, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास की आवश्यकत थी, उसका सगुण साकार अधिष्ठान बनने का शुभांरभ आज हो रहा है। वह अधिष्ठान है, आधात्मिक तुष्टी का। सारे जगत में अपने को और अपने में सारे जगत को देखने की भारत की तुष्टी जिसके कारण उसके प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार आज भी पूरे विश्व में आज भी सबसे अधिक सज्जनता का व्यवहार होता है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, यह आनंद का क्षण है, बहुत प्रकार से आनंद है। एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है तब के हमारे संघ सरसंघ चालक बालासाहेब देवरस जी ने यह बात हमको कदम आगे बढ़ाने से पहले याद दिलाया था की बहुत लगकर 20- 30 साल काम करना पड़ेगा। तब कहीं यह काम होगा और और 30वें साल के प्रारंभ में हमको संकल्प पूर्ति का आंनद मिल रहा है। प्रयास किए हैं, जी-जान से अनेक लोगों ने बलिदान दिए हैं। वह सूक्ष्म रूप में यहां उपस्थित हैं। प्रत्यक्ष रूप में उपस्थित हो नहीं सकते।"
मोहन भागवत ने इस अवसर पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का भी नाम लिया। उन्होंने कहा, आडवाणी जी भी आज अपने घर में बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे।
भागवत ने कहा, जितना हो सके सबको साथ लेकर चलने की एक विधि जो बनती है, उसका अधिष्ठान आज यहां पर बन रहा है। परम वैभव संपन्न सबका कल्याण करने वाला भारत उसके निर्माण का शुभारंभ आज, ऐसे व्यवस्थागत नेतृत्व जिनके हाथ में है उनके हाथ से हो रहा है। यह और एक आनंद है।
मोहन भागवत ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अपने पुराने सहयोगी अशोक सिंघल को भी इस अवसर पर याद किया। उन्होंने कहा, अशोक जी भी यहां रहते तो कितना अच्छा होता। महंत परमहंस रामचंद्र दास भी होते तो कितना अच्छा होता। इस आनंद में एक उत्साह है कि 'हम कर सकते हैं।'
मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा, जीवन जीने की शिक्षा देनी है। अभी यह कोरोना का काल चल रहा है। सारा विश्व अंर्तमुख हो गया है। विचार कर रहा है, कहां गलती हई। कैसे रास्ता निकले। दो रास्तों को देख लिया, तीसरा रास्ता कोई है क्या। है, हमारे पास है, हम देने का काम कर सकते हैं। देने का काम हमें करना है, उसकी तैयारी करने के संकल्प का भी आज दिवस है। उसके लिए आवश्यक पुरुषार्थ हमने किया है।
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