एनकाउंटर : मामला सुप्रीम कोर्ट में, विकास दुबे मुठभेड़ की जांच को लेकर जनहित याचिकाएं दायर
गैंगस्टर विकास दुबे की मुठभेड़ में मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
विकास दुबे (file photo) |
सभी याचिकाओं में विकास दुबे तथा उसके गिरोह के अन्य सदस्यों की मुठभेड़ में मार गिराए जाने की एनआईए, सीबीआई या कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई है।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा की एनकाउंटर में मौत की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की जाए। पीयूसीएल ने उत्तर-प्रदेश में लगातार हो रही मुठभेड़ों को लेकर 2018 में याचिका दायर की थी। उसी याचिका पर सुनवाई का अनुरोध अदालत से किया गया है। साथ ही यूपी में दो जुलाई से लेकर दस जुलाई तक हुई वारदात का जिक्र किया गया है। याचिका में कहा गया है कि यूपी में 2017 से सिलसिलेवार मुठभेड़ हो रही है।
वकील अनूप अवस्थी ने एक अलग याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस-नेता और अपराधियों के गठजोड़ का पर्दाफाश न हो, इसलिए यह फर्जी मुठभेड़ की गई। अवस्थी ने कहा कि चौबेपुर थाने के एसएचओ को दो जुलाई की रात हुई वारदात के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में अपराधी को पुलिस संरक्षण साफ दिखाई देता है। इसमें कई बड़े पुलिस अफसर और नेता शामिल थे।
वकील ने कहा कि कानपुर में हुई वारदात में गोंडा की पुनरावृत्ति झलकती है। इस मामले में बड़े पुलिस अधिकारी शामिल हो सकते हैं। पूरा थाना संदेह के घेरे में है। विकास दुबे के गुगरे ने डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों को मार गिराया। यह बिना संरक्षण के संभव नहीं है। याचिका में एक न्यूज चैनल का जिक्र किया गया है, जिसने 9 जुलाई की रात को ही घोषणा कर दी कि विकास दुबे एनकाउंटर में मारा जाएगा। 9 जुलाई की रात को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले घनश्याम उपाध्याय ने पहले की फर्जी मुठभेड़ की आशंका व्यक्त की थी।
| Tweet |