जुलाई तक आ सकती है कोरोना की दवा: श्रीपद येसो नाइक

Last Updated 30 Jun 2020 11:22:41 AM IST

कोरोना जैसे घातक वायरस पहले भी आ चुके हैं और उस वक्त भी हजारों वर्ष पुराने हमारे आयुर्वेद‚ योग‚ यूनानी‚ सिद्ध‚ होम्योपैथी‚ नेचुरोपैथी व आयुष पैथी बेहद असरकारक रहे हैं। हर व्यक्ति के लिए सहज रूप से उपलब्ध काढ़ा भी हमारे ऋषि मुनियों की ही देन है।


केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री एवं आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येसो नाइक के साथ सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय।

एक बड़े अनुभव और विज्ञान से जुड़ी यह औषधि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और यदि इसका उपयोग सही ढंग से हो तो वायरस हमें छू भी नहीं सकता। जहां तक दवा बनाने का सवाल है तो इस पर तेजी से काम चल रहा है। जुलाई तक उम्मीद है कि लोगों को यह मिल जाए। यह बातें केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री एवं आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येसो नाइक ने कहीं। उनसे सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने खास बातचीत की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत–

कोरोना काल में आयुष मंत्रालय की जिम्मेदारी अहम हो गई है। वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है। ऐसे में लोगों को आयुष मंत्रालय काढ़ा पीने की सलाह दे रहा है। इस बारे में बताएं।

कोरोना वायरस चीन से जैसे ही भारत में आया‚ तुरंत ही हमारे मंत्रालय ने किस तरह से इसे रोका जाए‚ इसकी प्लानिंग की। कोरोना जैसे वायरस इससे पहले भी आ चुके हैं और हमारे आयुष में जो पैथी हैं जैसे–आयुर्वेद‚ योग‚ यूनानी‚ सिद्ध होम्योपैथी‚ नेचुरोपैथी व आयुष पैथी ने बहुत अच्छा काम उस वक्त भी किया था। एक बहुत बड़े अनुभव के अधार पर ये मेडिसिन हमें प्रिस्क्राइब की थी। ये हमारी परंपरा हजारों वर्षों की है‚ जो ऋषि मुनियों ने ही हमें साइंस से रिलेट करके दी हुई है। इसके आधार पर जो भी प्रिवेंटिव हो सकता है‚ वो हमने लोगों को दे दिया है। ये काढ़ा वो औषधि है‚ जो हमारे किचन में रहती है। इसका उपयोग हम अच्छे से करें तो प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो जाती है। जब हमारी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो ये वायरस हमें छू भी नहीं पाएगा। आयुष मंत्रालय ने एडवाइजरी दी है कि सुबह उठकर क्या करना है‚ कैसा काढ़ा लेना है‚ च्यवनप्राश लेना है और कैसे योग का प्रयोग करना है। लोगों ने तुरंत इस एडवाइजरी का पालन भी किया।

अभी तक वायरस से लड़ने के लिए किन दवाओं का ट्रायल चल रहा है और क्या संभावनाएं हैं... इस बारे में जानकारी देंॽ

आयुष मंत्रालय ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इसमें जितने अच्छे रिसर्चर‚ बड़े अनुभवी डॉक्टर और जिनके पास जितने तरह के फार्मूले हैं‚ वो हमें दें। ये एक नया वायरस है‚ इस वायरस का अनुभव किसी को नहीं था लेकिन पिछले अनुभव के आधार पर हमने जो डॉक्टर और रिसर्चरों से फार्मूले मांगे‚ वो कम से कम 2500 से ज्यादा टास्क फोर्स के पास आए थे। कई सजेशन थे‚ जिन पर अभी काम चल रहा है और जो फार्मूले आए‚ उसमें से हमने 4–5 लिए‚ जो सामने आने वाले हैं। कई महीनों से इस पर रिसर्च चल रहा है। रिसर्च का मामला आज किया कल हो गया‚ ऐसा नहीं होता है। ये जिम्मेदारी की बात है। अभी अश्वगंधा के ऊपर शोध चल रहा है‚ गिलोय पर चल रहा है। हमने एक मेडिसिन तैयार की थी आयुष–64‚ जिस पर रिसर्च हो रहा है और ये फाइनल स्टेज में पहुंच चुका है और शायद जुलाई तक इसे दवा के रूप में हम देश के सामने ला पाएं।

अभी आयुष मंत्रालय ने एक बात सिद्ध कर दी है कि हमारी दवा खाएं‚ जिससे आपकी इम्युनिटी मजबूत हो जाएगी। क्या आप मानते हैं कि जो अगली दवा आएगी वो पक्की दवा हो जाएगीॽ

हां जो अगली दवा आएगी वो पक्की दवा हो जाएगी। जैसा मैंने बताया कि इस पर काम चालू है और जुलाई महीने के आस–पास वो दवा के रूप में लोगों के पास आ जाएगी।

तमाम कंपनियां आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक काढ़ा बेच रही हैं। ये कितना सही है या फिर इनका आयुष मंत्रालय से प्रमाणित होना जरूरी है।

इसके ऊपर हमारा सिस्टम जो है‚ उसमें हमारे पास लैब भी हैं और हमने हर राज्य को पावर दे दी है। पूरे देश में हमारी इतनी पहुंच नहीं है इसलिए राज्य सरकार की जो लैबोरेट्रीज हैं‚ उनका जो सिस्टम है‚ वो सभी कुछ चेक करता है। कोई अलग कुछ करता है तो वो कार्रवाई करते हैं और हमें तुरंत सूचना देते हैं। इस संबंध में कार्रवाई करने का अधिकार भी हमने राज्य सरकारों को दे दिया है।

स्वामी रामदेव ने भी कोरोनिल नाम से दवा लान्च की है। शायद उन्होंने इसे लेकर अप्रूवल नहीं लिया है। इस पर कन्ट्रोवर्सी हुई। अखबारों में लगातार छप रहा है‚ पूरा मामला लगातार बढ़ रहा है। आप आयुष मंत्री हैं तो आपके सामने भी ये मामला आया होगा।

हमें जब लगा कि रिसर्च एक ही जगह से पूरी नहीं होगी तो आयुष मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन निकाला कि कोई भी रिसर्च जो भी है‚ वो अपने–अपने हॉस्पिटल में ही कर सकते हैं और उनको क्या–क्या करना है‚ उसकी एक लिस्ट भी दे दी। रिसर्च एमडी डॉक्टर के सुपरविजन में ही करना है। ऐसे 7–8 प्वाइंट उनको दे दिए और ये सब करने के बाद फिर आपको आयुष मंत्रालय से अप्रूवल लेना होगा। ऐसा हमने फ्री हैंड दिया था। अभी भी रिसर्च चल रही है और ये सभी कुछ होने के पहले मिसलीडिंग एडवरटीजमेंट के अंदर नहीं आनी चाहिए। हमारा मुद्’दा यही था कि रिसर्च सही तरह से लोगों के सामने आए।

स्वामी रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने जो दवा लांच की थी। क्या उसमें आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन को फॉलो नहीं किया गया थाॽ


गाइडलाइन इतनी ही है कि फाइनल रिसर्च होने से पहले उन्हें आयुष मंत्रालय के पास पूरी डिटेल भेजनी चाहिए थी। उन्होंने इसे अभी–अभी भेजा है‚ जिसके ऊपर काम चल रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहेगा तो हम उसका निस्तारण करेंगे। हम उनका शुक्रिया करेंगे‚ क्योंकि उन्होंने रिसर्च करके दवा बनाई है इसलिए वो धन्यवाद के पात्र हैं। लेकिन हमारी जो गाइडलाइन है वो सभी को फॉलो करनी है।

आईसीएमआर का जो रोल है‚ वो आयुष मंत्रालय की भी दवाओं की गाइडलाइन तैयार करने में आपके साथ मिलकर काम करता है या वो अंग्रेजी दवाओं के लिए जो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल हैं‚ सिर्फ उन्हीं के लिए करता हैॽ

टास्क फोर्स में आईसीएमआर के साथ हम जुड़े हुए हैं और वो भी हमें मदद कर रहा है।

आयुष मंत्रालय एक नवगठित मंत्रालय है। इसकी एक बड़ी उपलब्धि वर्ल्ड योगा डे घोषित किया जाना है। भारत सरकार की तरफ से पूरे तरीके से रेगुलेट करके देश के जितने मिशन हैं‚ एम्बेसीज हैं‚ इसे बहुत बड़े पैमाने पर 2015 में मनाया गया। ऐसे में विश्व योग दिवस को आप कितनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं‚ भारत के लिए और अपने मंत्रालय के लिएॽ

हमारे देश के लिए ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। सिर्फ अपना नहीं‚ बल्कि पूरे विश्व का कल्याण हो‚ ऐसी हमारे पूर्वजों की परम्परा रही है। हमने हमेशा से देश–दुनिया को कुछ न कुछ दिया है। योग ऐसी चीज है‚ जो नरेंद्र भाई मोदी ने दुनिया को दी है। यूएन में रिजोल्यूशन आ गया‚ तमाम देशों ने इसको सपोर्ट भी किया। पूरी दुनिया योग कर रही है। योग करने के बाद इम्युनिटी मजबूत होती है। ये जो देन है हमारे मोदी जी की है। इससे हम कोरोना को हराने में यशस्वी हो गए हैं। आज कोरोना पर जो नियंत्रण हो रहा है वो योग के जरिए ही संभव हो रहा है।

आयुष मंत्रालय के पास तमाम कंपनियां दवाओं के दावे के लिए आवेदन भी कर रही हैं। हकीकत में इस दिशा में आप तक कितने आवेदन पहुंचे हैं और क्या स्थिति है दवा को लेकरॽ

तीन–चार महीने में जब कोरोना वायरस का प्रकोप हो गया तो लोगों को आयुष के बारे में कुछ पता ही नहीं था। लेकिन आज जो कुछ हम लोगों को देने में सक्षम हो गए‚ यही वो बात है। हमारे पास कई फार्मूले आए जिन पर रिसर्च चल रही है और मुझे लगता है कि तरह–तरह की औषधि आयुर्वेद के पास है‚ जो आज लोगों को मिली है और आगे जाकर साइंटिफिकली इसके ऊपर रिसर्च हो जाएगा और ये लोगों के पास आ जाएगी।

वर्ल्ड योगा डे यानी 21 जून के दिन अखबारों में फोटो छपी कि चीन में भी लोग योग कर रहे थे। इससे आपको कितनी संतुष्टि मिलीॽ

हम इसे अपनी प्रॉपर्टी नहीं समझते। जो एक बार दे दिया तो दे दिया। ये तो दान है और इसके बदले प्रधानमंत्री ने अपना कुछ अधिकार रखा नहीं है। यही हमारी मंशा है और इसके लिए ही भारत आगे काम करता रहेगा।

माई लाईफ‚ माई योगा काम्पिटीशन में लोगों को तीन मिनट का वीडियो बनाना है। इस मुहिम को आपके विभाग ने शुरू किया है। इस मुहिम के बारे में जानकारी दें। प्रधानमंत्री जी ने भी इसका जिक्र मन की बात में किया है।

इंटरनेशनल योगा डे के बड़े–बड़े कार्यक्रम सभी जगह होते रहते थे‚ लेकिन कोरोना की वजह से इस साल का हमारा कार्यक्रम थोड़ी देर से तय हुआ था इसलिए हम उसको कर नहीं पाए। लेकिन कुछ ना कुछ करना था तो ये आइडिया आया और हमने 10 मिनट के वीडियो ब्लॉग के जरिए लोगों से योग के बारे में क्या विचार हैं‚ क्या फायदा हुआ है या हो सकता है पर अपने विचार भेजने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की। इसमें जो भी प्रथम आएगा‚ उसके लिए एक लाख का इनाम रखा हुआ था। सभी लोग इससे जुड़ें‚ इसके पीछे यही भावना थी।

आयुष मंत्रालय ने पुलिस के लिए काढ़ा किट मुहैया कराने की पहल की है‚ जिसकी काफी डिमांड है। इस पहल के बारे में बताएंॽ

दिल्ली में 80 हजार पुलिस थी‚ जो फ्रंट लाइनर थे‚ जो कोरोना से लड़ रहे थे। इनके लिए कुछ करने का पहली बार मौका हमें मिला‚ क्योंकि हमने गाइडलाइन में बताया हुआ था कि ये करो लेकिन किसी के पास टाइम नहीं था तो हमने इन्हें तैयार करके दिया ताकि ये और अच्छे से कोरोना से लड़ सकें।

जाहिर है महामारी से भय का माहौल है और तमाम लोग कोरोना के इलाज को लेकर झूठे दावे या भ्रम भी फैला रहे हैं। इस बारे में आयुष मंत्रालय ने क्या कदम उठाए हैंॽ

हमारे पास इसका प्रावधान है। हमारी निगाहें इस पर हैं। हमारे कई इंस्पेक्टर इस पर हैं और राज्य सरकार के साथ हम मिलकर देख रहे हैं। कोई भी हमारे पास मिसलीडिंग वाला आ गया तो राज्य सरकार तुरंत ऐक्शन लेती है और जरूरत होने पर हमें भी भेजती है और हम उसको गाइडेंस देते हैं।

अंग्रेजी दवा का बोलवाला इतना ज्यादा बढ़ गया था कि आयुर्वेद और होम्योपैथ धीरे–धीरे खत्म सा होने लगा था। मोदी सरकार के आने के बाद ये मंत्रालय बना और फिर से आयुर्वेद‚ होम्योपैथ और योग प्रासंगिक होना शुरू हुआ है और अपनी जगह स्थापित कर ली है। जब आयुष मंत्रालय बना था तो मोदी जी का क्या लक्ष्य था और कितना फंड दिया था और इस वक्त कितना खर्च आप लोग कर पा रहे हैं और आगे की क्या योजना हैॽ

मैं सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी जी की ध्रुवदृष्टि का अभिनंदन करता हूं और अभार व्यक्त करता हूं। ये हमारी संस्कृति‚ परंपरा है और इससे ही हमारा भारत चलायमान रहा है। ये हजारों वर्षों से चली आ रही चिकित्सा पद्धति है। इस चिकित्सा पद्धति को अंग्रेजी परतंत्रता में हम भूल गए। हमारे ऊपर नई पैथी हावी हो गई। कला‚ संस्कृति और जो भी कुछ अच्छा था‚ उस पर विदेशी लोग हम पर हावी हो गए। हमने अच्छी तरह से इस पर विचार नहीं किया न ही विगत 60 वर्षों में इस पर किसी ने विचार किया। लेकिन प्रधानमंत्री ने सत्ता में आते ही अपनी स्वदेशी चिकित्सा पद्धति का एक नया मंत्रालय बना दिया। इन पांच सालों में सभी को फर्क दिख भी रहा है। आज लोगों का भरोसा इस पैथी पर जम रहा है। मैं एक उदाहरण बताता हूं। हमारा ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट सरिता विहार में चल रहा है। आज उसमें दो हजार से भी ज्यादा लोग ओपीडी में आते हैं। 100 बेड का यह हॉस्पिटल हमेशा भरा रहता है। आयुर्वेद में पूरे शरीर के समग्र विकास की ताकत है। अगर हम इसको बढ़ावा देंगे और अपनाएंगे तो निरोग होंगे। हमारे पूर्वज 100 साल से भी ज्यादा जीवित रहते थे।

हमारे देश में इस पैथी में काम करने वाली 3–4 कम्पनियां हैं। हिमालय है‚ डाबर है‚ बैद्यनाथ है‚ नया पतंजलि है। इन कंपनियों के साथ आपका किस तरह से संपर्क रहता है। इन कंपनियों के लिए क्या नीति और नियम बनाते हैं और अब आयुष मंत्रालय बनने के बाद जरूरत है एक रेगुलेशन बनने की ताकि इनको बढ़ावा मिल सके। इनको प्रोत्साहन देने के लिए क्या नीति है सरकार कीॽ

ये बहुत बड़ा काम है। विगत चार–पांच सालों में अमेरिका की तीन–चार यूनिवर्सिटीज के साथ मीटिंग हुई। उनकी कई मुश्किलें हैं। वो अलग–अलग मेडिसिन वहां से लाते हैं तो फॉरेन मिनिस्ट्री या इनके साथ बैठकर प्रॉब्लम का निवारण करने का हमारा काम जारी है। आज नए–नए लोग आ रहे हैं। छोटी–छोटी कम्पनियां आ रही हैं और हम इनको प्रोत्साहन देते हैं। जैसे–जैसे डिमांड आएगी‚ उसके तहत हमें काम करना होगा। हमारे प्रधानमंत्री ने हमें 4 हजार करोड़ पहले दे दिए हैं। आगे जो हमें मेडिसिन की तैयारी करनी होगी‚ जो डिमांड आएगी‚ उसकी तैयारी हमें पहले से ही करनी होगी और कम से कम 10 लाख हेक्टेयर जमीन में मेडिसिन प्लांटेशन और रॉ मटेरियल का काम होगा।

हमने देखा है कि राज्यों में जो आयुर्वेद विद्यालय हैं या होम्योपैथिक कॉलेज हैं‚ उनमें बड़ी मायूसी सी छाई रहती है। जाहिर सी बात है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए राज्य सरकारें खर्च करती थीं। अब चूंकि आयुष मंत्रालय केन्द्र सरकार का मंत्रालय है और प्रतिनिधित्व दे रहा है‚ तो अब इन कॉलेजों के लिए किस तरह की नीति बन रही है। क्या अब ज्यादा से ज्यादा इंस्टीट्यूट खोले जाएंगे और नए विद्यालयों के निर्माण के लिए भी काम हो रहा है

750 के आस–पास कॉलेज और हॉस्पिटल हैं। इनमें कम से कम 415 के के आसपास आयुर्वेद कॉलेज हैं और 250–315 होम्योपैथी कॉलेज हैं। हम दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट जैसा एक इंस्टीट्यूट गोवा में बना रहे हैं। हम योग का भी एक नेशनल इंस्टीट्यूट बना रहे हैं। कर्नाटका में हमने शुरू कर दिया है‚ जबकि हरियाणा और गोवा में काम चल रहा है। ऐसे इंस्टिट्यूट में रिसर्च भी हो जाएगी और पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स भी होगा। आयुष मंत्रालय ने आयुष मिशन निकाला हुआ है। इस मिशन के जरिए हमने एक स्कीम चलाई है। जहां भी सरकार के प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं‚ वहां सरकार के एलोपैथिक डॉक्टर्स हैं और हमारे डॉक्टर्स भी बैठकर होम्योपैथी का इलाज शुरू कर चुके हैं। हमारे पास 9 लाख डॉक्टर हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बनाने का काम शुरू हो गया है। हर डिस्ट्रिक्ट में 50 बेड का हॉस्पिटल होना चाहिए। ऐसे कम से कम 100 हॉस्पिटल बन रहे हैं। इसके लिए फंड केन्द्र सरकार दे रही है। उसमें राज्य का शेयर 10‚ 25‚ 40 फीसदी है। आने वाले सालों में होम्योपैथी आपको हर जगह उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री जी ने 1 लाख वेलनेस सेंटर की घोषणा की है‚ जिसके तहत हर गांव में एक सेंटर होगा‚ जहां हर एक आदमी को दवा मिल सकेगी और कोई बड़ा केस होगा तो उसे आगे रेफर किया जाएगा।

जो नेचुरोपैथी है‚ वो भी बहुत ज्यादा प्रासंगिक हुई है। लोग उसे बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इस समय देश में केरल‚ कर्नाटक‚ महाराष्ट्र‚ गोवा के साथ ही और भी जगहों पर इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन प्राइवेट लोग भी इसमें उतरकर आ रहे हैं। उनको सर्टिफाई करने के लिए‚ उनकी फैसिलिटी और उनके इंफ्रास्ट्रक्चर को चेक करने के लिए कि उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर को सही तरीके से तैयार किया है या नहीं‚ इसके लिए आप लोगों ने क्या मैकेनिज्म तैयार किया हैॽ

इसके लिए एक बोर्ड बना हुआ है। हमारी मंशा यह भी है कि जैसा आयुर्वेद का कमीशन बना है‚ होम्योपैथ का कमीशन बना है‚ उसी तरह नेचुरौपैथी का कमीशन भी बने। इस बाबत पार्लियामेंट के सदन में बिल पास हो गया है। एक में पास होना बाकी है। अभी हमने टेम्पररली व्यवस्था बनाई है‚ जो सब संचालन करता है। नेचुरौपैथी का कमीशन बनाने पर भी विचार हो रहा है‚ चूंकि ये बिना मेडिसिन वाला नेचुरोपैथी है‚ तो इसके कायदे कानून अलग होंगे‚ इसलिए हम इसकी अलग से व्यवस्था करेंगे।

स्वामी रामदेव ने योग के जरिए लोगों की दिनचर्या बदली। बहुत बड़े पैमाने पर उन्होंने योग से लोगों को परिचित कराया कि अगर आप ये पांच योग के आसन करते हैं‚ तो आप अपने शरीर को निरोग रख सकते हैं। हमारे देश में कई योग संस्थान हैं। पहले उनको सरकार का समर्थन नहीं मिलता था‚ लोग अपने फंड से चलाते थे‚ गिने–चुने योग संस्थान थे। इस समय क्या स्थिति है‚ जब आयुष मंत्रालय ने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया में योग को स्वीकृत करा दिया और यूनाइटेड नेशन ने योगा डे घोषित करके सम्मान दिया। सरकार कितने संस्थान खोल रही है। कितना सहयोग कर रही है और जो पुराने स्थापित योग संस्थान हैं‚ उसकी कैसे मदद की जा रही है‚ इस बारे में जरा बताएं।

बाकी पैथिक के साथ–साथ योग का भी प्रचार–प्रसार अच्छी तरह चल रहा है। पुणे के संस्थान को हमने बड़ा किया है। वहां सिर्फ ओपीडी चलती थी। अब वहां करीब 150 बेड का अस्पताल होगा और 500 करोड़ रुपये का एक प्रोजेक्ट शुरू हुआ है। इसमें सारी व्यवस्था है‚ लोग जिस तरह की सेवा चाहते हैं‚ वो वहां मिलती है। इसी तरह का एक संस्थान कर्नाटक में शुरू किया गया है‚ गोवा में भी एक संस्थान बनेगा। हम जो वेलनेस सेंटर बनाएंगे‚ वो सभी पैथिक का वेलनेस सेंटर होगा। इन सभी में नेचुरोपैथी‚ योगा‚ आयुर्वेद और होम्योपैथी भी होगा। यानी सभी व्यवस्था हम उसी सेंटर में देने का प्रयास करेंगे।

आयुर्वेद‚ होम्योपैथी‚ योगा और नेचुरोपैथी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कितना खर्च करती हैंॽ

हमारा जो बजट है‚ उसका 50 फीसदी से ज्यादा हम राज्यों को देते हैं और राज्य भी उसमें अपना थोड़ा शेयर डालती है। पिछले 5 सालों में जो भी बजट मिलता था‚ उसका 100 फीसदी हम खर्च करते थे। राज्य सरकार के शेयर को मिलाकर ये करीब 5 हजार करोड़ का है। इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र के लोग भी खर्च करते हैं। जैसा मैंने कहा कि इस बार हमें 4 हजार करोड़ का एडिशनल बजट मिला है। हम 10 लाख हेक्टेयर में प्लांटेशन करने पर यह खर्च करेंगे‚ जिससे रॉ मटीरियल हमें मिलेगा। इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरा करने के लिए हमने ज्यादा बजट की मांग की है। इस क्षेत्र में जो भी काम करते हैं‚ उन्हें मदद की ज्यादा जरूरत है। ऐसे में हमें उम्मीद है कि अगले साल हमें ज्यादा बजट मिलेगा।

आप उत्तरी गोवा से पांचवीं बार सांसद बने हैं। गोवा हिंदुस्तान का सबसे फेवरिट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। बीजेपी के पर्रिकर साहब जो अब इस दुनिया में नहीं हैं‚ जब तक रहे गोवा में बहुत अच्छी तरह से सरकार को चलाया। अब प्रमोद सावंत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं‚ गोवा को कोरोना काल में कितना झटका लगा है‚ क्योंकि वहां की मुख्य आमदनी तो टूरिज्म से ही आती है।

ये तो निश्चित तौर से बहुत बड़ा झटका है‚ क्योंकि टूरिज्म हमारी इनकम का मुख्य स्रोत था। दूसरा माइनिंग था‚ लेकिन आपको पता है कि पिछले दो चार साल से माइनिंग में भी कमी आई। कोरोना के चलते आने वाले कुछ समय में भी हमें तकलीफ होगी। लेकिन हम अच्छी तरह से तैयार हैं‚ लोग भी सहयोग कर रहे हैं। आशा है कि हम एक बार फिर से अपने पैरों पर खड़े होंगे।

चूंकि गोवा आपका गृह राज्य है‚ घर है‚ तो आयुष मंत्रालय गोवा में क्या कुछ कर रहा है‚ क्योंकि गोवा कई अर्थों में बेहद महत्वपूर्ण है। एक तो वर्ल्ड टूरिस्ट डेस्टिनेशन है‚ ऐसे में हमारी जो पुरानी धरोहर है उससे उसका बेहतर तरीके से परिचय होना चाहिए‚ तो गोवा में किस तरह से आयुष मंत्रालय अपनी छाप छोड़ने जा रहा हैॽ

मुझे ये बताने में बहुत खुशी हो रही है और जैसा मैंने उल्लेख किया कि वहां ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद का काम जारी है। आने वाले अगले एक–डेढ़ साल में वो काम पूरा हो जाएगा। गोवा में जो टूरिस्ट आते हैं‚ वो योगा से इंप्रेस हों‚ इसके लिए वहां योगा का एक संस्थान भी बनेगा। वहां शॉर्ट कोर्सेज लेकर पोस्ट ग्रैजुएट के कोर्स करवाए जाएंगे। सैलानियों के लिए हम अलग से रिजॉर्ट टाइप व्यवस्था करेंगे‚ जिससे वो आएंगे‚ उपचार कराएंगे और योगा भी सीखेंगे। जैसा कि हमने हर जिले में एक अस्पताल की बात कही है‚ तो हमारे जो दो जिले हैं‚ इनमें हमने अस्पताल के लिए मंजूरी दे दी है। इनका काम भी शुरू हो गया है। आने वाले साल में ये अस्पताल भी शुरू हो जाएंगे। इन संस्थानों के बन जाने से लोगों को हमारी पैथिक के बारे में जानने का मौका मिलेगा। सरकार ने इन संस्थानों के निर्माण के लिए 2 लाख स्क्वायर मीटर जमीन दी है। एक प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने गोवा मेडिकल कॉलेज के परिसर में जगह उपलब्ध कराई है‚ जहां हमारे पांचों पैथिक की ओपीडी और एक रिसर्च सेंटर बनवाने का काम शुरू है। यहां एक दो महीने में लोगों के लिए फ्रीओपीडी शुरू हो जाएगी। गोवा में जो मिनरल और मरीन प्रोडक्ट हैं‚ उनके लिए इसमें एक रिसर्च सेंटर भी स्थापित होगा। एक 10–15 बेड का अस्पताल भी होगा। गोवा में अभी 4–5 प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं और मुझे लगता है कि ये ठीक तरह से चलेगा।

चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आपकी बातचीत होती है। प्रधानमंत्री के विश्वसनीय चेहरों में आप माने जाते हैं। योग‚ आयुर्वेद‚ यूनानी‚ होम्योपैथी‚ सिद्ध‚ नेचुरोपैथी को लेकर प्रधानमंत्री का क्या विजन है। चूंकि प्रधानमंत्री खुद पहाड़ों में रहे हुए हैं‚ प्रकृति के साथ उनका बेहद करीब का रिश्ता रहा है। कुछ वक्त तक उन्होंने साधु–संतों के साथ भी वक्त बिताया हुआ है। जब वो इस मंत्रालय का जिम्मा आपको दे रहे थे या इस मंत्रालय का प्रभार लेकर आप उनसे मिले थे‚ तो उन्होंने आपसे क्या कहा था‚ उनका विजय क्या थाॽ

आयुष के जरिए‚ जो हमारी पुरानी संस्कृति है‚ उसके साथ हमें जाना है। निसर्ग नेचर के साथ जाना है‚ जो पीछे का अनुभव है। हमारे पूर्वज 100–100 साल से भी ज्यादा जीए‚ इसका मतलब उनका जो जीवन था‚ वो इसी निसर्ग के आस–पास ही चलता था। यानी एक निरोगी भारत लाने का जो काम है‚ वो आयुष कर सकता है। हम निरोगी भारत और स्ट्रॉन्ग इंडिया कैसे करेंगे‚ इसी के ऊपर हमारा काम अभी चल रहा है। प्रधानमंत्री की मंशा यही है‚ एक निरोगी भारत बनाने का‚ सशक्त भारत काम बनाने का जो काम है‚ वह कैसे पूरा हो।

प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है। आप प्रधानमंत्री के भीतर क्या खूबियां और विशेषताएं पाते हैं। वो कैसे औरों से अलग हैंॽ

एक प्रधानमंत्री में जो गुण चाहिए‚ उससे भी ज्यादा उनमें हैं। हमारे महाराष्ट्र में संत ज्ञानेश्वर नाम के एक संत हुए थे‚ उन्होंने एक प्रार्थना लिखी थी‚ जिसमें सिर्फ भारत ही नहीं‚ बल्कि पूरी दुनिया के बारे में उनकी सोच झलकती थी। पीएम मोदी भी यही सोच लेकर चलते हैं। जैसा कि मैंने आपको योग का उदाहरण दिया। पांच साल पहले तक योग पूरी दुनिया में फैला नहीं था‚ लेकिन आज कोरोना काल में भी पूरी दुनिया योग कर रही है। अगर नहीं करती तो कोरोना से और ज्यादा लोग पीडि़त होते‚ ये प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि का ही नतीजा है। इससे सभी का कल्याण होगा। जैसा कि संत ज्ञानेश्वर ने कहा कि दुनिया ही मेरा घर है और दुनिया के लिए ही हमें काम करना है। यही सोच हमारे प्रधानमंत्री की है। पूरे विश्व का कल्याण हो‚ यही उनका मंत्र है और इसी ओर हम बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री से समय–समय पर आपकी बात होती होगी‚ बड़े नेताओं को बंद कमरे में दिशा–निर्देश देते रहते हैं। आत्मनिर्भर भारत को लेकर प्रधानमंत्री ने आप लोगों को व्यक्तिगत तौर पर क्या संदेश दिया है। आत्मनिर्भर भारत को कितना ऊपर लेकर जाना है और कैसे ऊपर लेकर जाना हैॽ

दुनिया में इस देश को ऊपर उठाने का एक अच्छा मंत्र है। जब हम आत्मनिर्भर होंगे‚ तो हमें किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना होगा। ऐसा होने पर हम दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाएंगे। इतनी ताकत हमारे देश में है। और ये मंत्र जो उनका है‚ ये सिर्फ हिंदुस्तान के लिए नहीं‚ बल्कि पूरी दुनिया को कुछ न कुछ देने का मंत्र है‚ ताकत देने का मंत्र है। मैं सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि ये जो आत्मनिर्भरता है‚ ये सबके लिए है। अगर हम इस मंत्र का सही से जाप करें और सभी मिलकर इसे सफल करें‚ तो ये पूरी दुनिया के लिए एक अच्छी चीज बनेगी‚ ऐसा मेरा कहना है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment