माल्या की समीक्षा याचिका की देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से मांगा स्पष्टीकरण

Last Updated 20 Jun 2020 12:16:27 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की याचिका को देर से लिस्ट किए जाने को लेकर अपनी राजिस्ट्री से दो सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसके द्वारा साल 2017 में दिए गए आदेश के तीन साल बाद अब जाकर यह पुनर्विचार (समीक्षा) याचिका सामने आई है।


विजय माल्या

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से पूछा है कि वह बताए कि बैंकों को नौ हजार करोड़ रुपये बकाया वाले इस मामले में अब तक यह याचिका उसके सामने क्यों नहीं लाई गई।

न्यायाधीश यू. यू. ललित और अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा, "रजिस्ट्री पिछले तीन वर्षों की पुनर्विचार याचिका के विषय में फाइल से निपटने वाले अधिकारियों के नाम सहित सभी विवरण प्रस्तुत करे।"

पीठ ने कहा कि इससे पहले रखे गए रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले तीन वर्षों से पुनर्विचार याचिका को अदालत के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया गया।

पीठ ने कहा, "इससे पहले कि हम पुनर्विचार याचिका में उठाए गए सबमिशन से निपटें, हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह बताए कि पिछले तीन वर्षों में उसने पुनर्विचार याचिका को कोर्ट के सामने क्यों नहीं रखा।"

पीठ ने आदेश दिया कि स्पष्टीकरण दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत किया जाए। इसके बाद, पुनर्विचार याचिका को योग्यता के आधार पर माना जाएगा।

उल्लेखनीय है कि विजय माल्या की ओर से दाखिल यह पुनर्विचार या समीक्षा याचिका नौ मई 2017 को शीर्ष अदालत के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम द्वारा दाखिल याचिका पर भगोड़े शराब कारोबारी को अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया था। आदेश में कहा गया था कि माल्या ने अदालत के आदेशों की अवहेलना की है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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