जेएंडके में गृह मंत्रालय की हिदायत पर अमल नहीं
लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी से महरूम हुए प्रवासी मजदूर अब अपने भविष्य की अनिश्चितता को लेकर अपने घरों को लौटना चाहते हैं।
![]() जम्मू-कश्मीर |
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से देश के राज्यों व संघशासित प्रदेशों को इन प्रवासी मजदूरों को लेकर दी गई हिदायतों की जम्मू-कश्मीर में धज्जियां उड़ रही हैं। प्रदेश शासन की ओर से गत सप्ताह यह दावा किया गया था कि घाटी व जम्मू में रह रहे करीब 70 हजार प्रवासी मजदूरों को यहीं कामकाज देकर स्थापित किया जाएगा, लेकिन शासन व प्रशासन की उदासीनता के कारण अब यह प्रवासी मजदूर जम्मू से लखनपुर होते हुए वापस अपने राज्यों को लौटना चाहते हैं। कई मजदूर तो साइकिल अथवा पैदल अपने राज्यों की ओर चले गए हैं।
बात केवल प्रवासी मजदूरों को लेकर नहीं है, बल्कि जम्मू-कश्मीर के जो लोग देश के अन्य राज्यों में कामधंधा अथवा पढ़ाई के लिए गए थे, उनके वापस लौटने पर भी क्वॉरेंटाइन के नाम पर उन्हें तमाम तरह की दुारियों का सामना करना पड़ रहा है। सूरतेहाल यह है कि दूसरे राज्यों से आए स्थानीय नागरिकों को जिन क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रखा जा रहा है, वहां सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ रही हैं। इस बाबत कई छात्र-छात्राओं ने भी यहां मीडिया के समक्ष आपबीती सुनाई।
काबिलेगौर है कि संघशासित जम्मू-कश्मीर में मौजूदा वक्त में प्रशासन से लेकर पुलिस विभाग के आला पदों पर प्रवासी राज्यों के अधिकारी ही तैनात हैं, बावजूद इसके इन प्रवासी मजदूरों के हालात पर लगातार चिंता दिखाई देती है। ये प्रवासी मजदूर पैदल, साइकिल अपने छोटे-छोटे बच्चों को कंधे पर उठाए व महिलाएं सिर पर सामान उठाए अपने गांव की तरफ लौटने में लगे हैं। इन असंगठित प्रवासी मजदूरों का आरोप है कि शासन व सरकार हम प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए बड़े-बड़े दावे तो कर रही है, लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं है।
इस बाबत प्रदेश के श्रमायुक्त सचिव सौरभ भगत से अनेक बार संपर्क करने की कोशिश की गई और उन्हें मैसेज देकर विषय की बाबत अवगत भी कराया गया, लेकिन वह बातचीत के लिए उपलब्ध नहीं हुए। इस बीच प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को इन असंगठित प्रवासी मजदूरों की दशा को लेकर शासन व प्रशासन पर हमला करने का मौका मिल गया है। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे रमन भल्ला व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख प्रवक्ता रविन्द्र शर्मा ने आरोप लगाया है कि इन मजदूरों को लेकर शासन व प्रशासन पूरी तरह विफल दिखाई दे रहा है। कांग्रेस की कोशिश है कि इन मजदूरों को किसी भी तरह यहां रोका जाए।
| Tweet![]() |