सीएए पर अल्पसंख्यकों में बैठाया गया भय, एनपीआर में किसी से कोई अतिरिक्त दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा : शाह

Last Updated 13 Mar 2020 04:35:22 AM IST

एनआरसी और सीएए से जुड़े सभी भ्रमों को दूर करने के लिए विपक्षी सांसदों को चर्चा की खातिर आमंत्रित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को आश्वासन दिया कि दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा जाएगा, भले ही वह किसी पक्ष, धर्म या पार्टी का क्यों न हो।


गृह मंत्री अमित शाह संसद में बोलते हुए।

शाह ने संसद में सरकार द्वारा दिल्ली हिंसा को लेकर चर्चा से भागने के विपक्ष के आरोप से इन्कार करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस अपना काम ठीक से कर सके, दंगा पीड़ितों का अबाध रूप से पुनर्वास हो सके, घायलों का उपचार किया जा सके और दंगाइयों को पकड़ा जा सके, इसलिए सरकार ने होली के बाद चर्चा करवाने का प्रस्ताव दिया था।
पिछले दिनों दिल्ली की कानून व्यवस्था की स्थिति पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में किसी से कोई भी अतिरिक्त दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नफरत फैलाने वाले भाषणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सीएए कानून बनने के बाद से ही अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों के मन में एक भय बैठाने का प्रयास किया गया। शाह ने कहा कि उन्होंने विपक्षी नेताओं से पूछा कि सीएए की एक भी ऐसी धारा बता दें, जिसमें नागरिकता लेने की बात कही गई है।
उन्होंने कांग्रेस नेता सिब्बल से पूछा कि वह ‘संशोधित नागरिकता कानून में ऐसी कोई धारा बता दें, जिससे मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी।’

सिब्बल द्वारा इसके जवाब में एनपीआर का उल्लेख करने पर शाह ने कहा कि उन्होंने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा गया है। उन्होंने कहा, ‘देश में किसी को एनपीआर की प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है।’ गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘डी’ एवं एनपीआर को लेकर यदि कोई संदेह है, तो नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा एवं जो भी सांसद चाहें, आकर उनसे चर्चा कर सकते हैं। आजाद ने गृह मंत्री से पूछा कि क्या उनकी बात का आशय यह है कि एनपीआर में ‘डी (संदिग्ध प्रविष्टि)’ नहीं होगा? इस पर शाह ने सिर हिलाते हुए कहा कि उनका यही आशय है। किंतु इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने कुछ और सवाल पूछने शुरू कर दिए, जिसके कारण शाह अपना वाक्य पूरा नहीं कर पाए।
दंगा ‘राज्य प्रायोजित’ नहीं था : दंगों को ‘राज्य प्रायोजित’ करार देने वाले विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए शाह ने कहा कि जब कोई राष्ट्राध्यक्ष हमारे देश में आया हुआ हो, तो ऐसे में सरकार क्या दंगा करवाएगी? उन्होंने कहा, ‘हमारी ऐसी फितरत नहीं है कि हम दंगा कराएंगे, हमारी फितरत यह है कि जिसने भी दंगा किया है, उसे ढूंढ ढूंढ कर पकड़ा जाए।’ शाह ने कहा कि उनकी पार्टी और उसकी विचारधारा से दंगों को जोड़ने की कोशिश पहले से चल रही है। किंतु आजादी के बाद के आंकड़े कुछ और ही हैं। इसके बाद उन्होंने आजादी के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में हुए दंगों के आंकड़ों का विस्तार से हवाला दिया। दंगों में मारे गए 76 प्रतिशत लोग कांग्रेस के शासन के दौरान मारे गए। गृह मंत्री ने कहा कि 24 फरवरी के पहले सरकार के पास यह सूचना आ चुकी थी कि विदेश और देश से आए पैसे को दिल्ली में बांटा गया था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में दिल्ली पुलिस जल्द ही ब्योरे की घोषणा करेगी। पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा में कोई भी दोषी बच नहीं सकता।
पहचान के लिए नहीं हुआ आधार का उपयोग
दिल्ली दंगों में आरोपियों की पहचान के लिए आधार कार्ड के प्रयोग के विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि वीडियो में लोगों की पहचान के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस को यह अधिकार मिलना चाहिए कि जिसने दंगा किया, उसके बारे में वैज्ञानिक साक्ष्य अदालत में पेश किए जा सकें। उन्होंने कहा कि अब तक मिले साक्ष्यों के आधार पर बृहस्पतिवार दोपहर 12 बजे तक 1922 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कर ली गई है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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