पुरुषों के समान स्थायी कमीशन की हकदार हैं महिला सेना अधिकारी : SC
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश देते हुए कहा कि महिला अधिकारी सेना में कमांड पोस्टिंग के लिए पात्र होंगी।
![]() (फाइल फोटो) |
शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला सेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए 2019 की केंद्र सरकार की नीति का निर्णय सभी महिला अधिकारियों पर लागू होगा। यह इसे चुनने वाली किसी भी महिला अधिकारी के लिए लागू होगा और 14 साल की सेवा या उससे ज्यादा समय तक सेवा देने वाली सभी महिलाओं के लिए होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय ने आज महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिये जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करता हुए केद्र सरकार को आडे़ हाथों लिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन का हवाला देते हुए सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने की बात कही गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए क्योंकि सशस्त्र बलों में लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार की ओर से मानसिकता में बदलाव जरूरी है।
कोर्ट ने कहा कि यह दलील परेशान करने वाली और समानता के सिद्धांत के विपरीत है।
पीठ ने कहा कि अतीत में महिला अधिकारियों ने देश का मान बढ़ाया है और सशस्त्र सेनाओं में लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए सरकार की मानसिकता में बदलाव जरूरी है।
कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के 2010 के, दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक न होने के बावजूद केंद्र सरकार ने पिछले एक दशक में सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने में आनाकानी की।
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने का आदेश 2010 में दिया था।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि सेना में स्थायी कमीशन का चुनाव करने वाली सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन दिया जाए।
कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन का हवाला देते हुए सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने की बात कही गई थी। न्यायालय ने कहा कि यह परेशान करने वाला है।
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