पहली बार मतदान करेंगे पाक से आए शरणार्थी
पहली बार पंचायत चुनाव में मतदान करने जा रहे पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की बस्तियों में उल्लास का माहौल है।
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जम्मू-कश्मीर में 72 साल तक नागरिकता न मिलने का दंश झेलते रहे यह शरणार्थी इन चुनाव को लेकर बेहद उत्साहित हैं।
शरणार्थियों के नेता लब्बाराम गांधी हों या फिर जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता इन सभी का कहना है कि शरणार्थियों को इस स्थानीय चुनाव में वोट देने का हक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के कारण ही मुमकिन हो सका है। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पंचायत चुनाव पहली बार दलीय आधार पर होने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि दिसम्बर 2018 में हुए गत पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर हुए थे। तब विशेषकर घाटी में अलगाववादियों व आतंकवादियों की धमकियों तथा पीडीपी व नेशनल काफ्रेंस के चुनाव बहिष्कार के कारण घाटी में 60 फीसद से ज्यादा पंचायतों में चुनाव नहीं हो सके थे। कमोवेश ऐसी ही स्थिति जम्मू संभाग की कई पंचायतों में रही। जहां पंचायत चुनाव नहीं हो पाए अब उन्हीं पंचायतों में अगामी 5 से 20 मार्च तक 8 चरणों में उपचुनाव कराए जा रहे हैं। चूंकि उस वक्त तक पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को इन चुनावों में भाग लेने का अधिकार हासिल नहीं हो पाया था परंतु अब जिस प्रकार विषेशकर इन शरणार्थियों के जिला जम्मू , कठुआ व सांबा के सरहदी इलकों में रह रहे इन शरणार्थियों में पंचायत चुनाव को लेकर उत्साह देखते ही बनता है। दरअसल जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के इस पर्व में उन्हें चुनावी प्रक्रिया में शिरकत करने का पहली बार मौका मिल रहा है।
गौरतलब है कि सन् 1947 में बंटवारे के बाद यह शरणार्थी पश्चिमी पाकिस्तान के जिला सियालकोट से आकर भारत-पाक सीमा के करीब इलाकों में आकर बस गए थे। नगारिकता अधिकार पाने के लिए अनुच्छेद 370 व 35ए इनके लिए सबसे बड़ी अड़चन थी जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाकर तोड़ दिया।
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