विवादों में फंसे 12 लाख करोड़ रुपये

Last Updated 17 Feb 2020 06:32:37 AM IST

‘जैसे-तैसे विवादों को निपटाओ, जितना मिले ले आओ’। विवादों के चलते सरकार का लगभग 12 लाख करोड़ रुपये का कर फंसा हुआ है।


विवादों में फंसे 12 लाख करोड़

सरकार चाहती है कि विवादों को जल्द से जल्द निपटाकर पैसे को निकाला जा सके और विकास के कार्यों में लगाया जा सके। इसके लिये सरकार इस बजट में विवाद से विश्वास तक योजना लाई है। यानि अब आयकर अधिकारी को भरना सरकारी खजाना है और विवाद से विश्वास तक योजना को सफल बनाना है। चाहे जैसे भी हो सरकारी खजाना में कम से कम दो लाख करोड़ रूपये का इंतजाम आयकर अधिकारियों को विवादों का निपटारा करके करना ही पड़ेगा और उनकी यही मेहनत उनके उज्ज्वल भविष्य की तकदीर भी लिखेगी। इसके लिए पीएमओ से लेकर चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर तक के स्तर की तीन समितियां बनाई गई हैं। इस बाबत वीडियो कांफ्रेंसिंग कर अधिकारियों को भी बता दिया गया है।

सूत्रों के अनुसार हाल ही बजट सत्र में विवाद से विश्वास तक स्कीम लाया गया। इस बाबत सरकार की योजना है कि सरकारी खजाने में किसी भी तरह से कम से कम दो लाख करोड़ रुपये विवादों को खत्मकर आयकर विभाग द्वारा जमा किए जाए। इसके लिए सरकार ने आयकर अधिकारियों की भविष्य में होने वाली पदोन्नति व प्रोन्नति भी इस काम के आधार पर होगी। सूत्रों के अनुसार विवाद से विश्वास तक की योजना को सफल बनाने के लिए तीन स्तरीय मॉनिटिरिंग कमेटी बनायी गयी। पहली कमेटी प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में होगी। इसमें प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के अलावा कैबिनेट सचिव और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष होंगे। ये कमेटी सप्ताह में एक बार बैठक कर कार्यों व इस दिशा में प्रगति की समीक्षा करेगी। एक दूसरी कमेटी होगी।जो सप्ताह में दो बार बैठक कर इस योजना में कितनी प्रगति हुयी है कौन अधिकरी कितना काम किए हैं इसकी समीक्षा होगी। इसमें राजस्व सचिव (रेवेन्यू सेक्रेटरी), केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष और बोर्ड के तीनों सदस्य होंगे।

तीसरी कमेटी और बनी है जो प्रतिदिन सुबह शाम अपने कमीशनर स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्यों की समीक्षा करेंगे और प्रतिदिन अधिकारियों द्वारा तैयार रिपरेट पर समीक्षा करेंगे। यानि आयकर अधिकारीगण रिपरेट बनाने में व्यस्त तो रहेंगे ही साथ ही साथ दो लाख करोड़ या उससे ज्यादा कैसे इक्ट्ठा करें ताकि सरकार का खजाना भी भरे और उनकी मनमाफिक पोस्टिंग व प्रोन्नति हो।

इस योजना का उद्देश्य आयकर से संबंधित जितने मुकदमें है उसे खत्म करना है। इसके तहत करदाता को इस बात की सहूलियत दी गयी है कि वो आयकर (टैक्स) भर कर ब्याज (इंटरेस्ट) और जुर्माना से निजात पा सकते हैं। यह भी सहूलियत है कि अगर वह कभी भी किसी स्तर पर चाहे अपील स्तर हो या फिर कमीशनर तक या अन्य किसी स्तर आयकर से संबंधित मुकदमे में कभी जीत हासिल की हो तो उसे 50 फीसदी की छूट भी मिल सकता है।

सरकार को उम्मीद है कि इससे सरकारी खजाने में कम से कम दो लाख करोड़ तो आ ही जाएगा और विवाद से विश्वास योजना भी सफल हो जाएगी। एक अनुमान के अनुसार अभी लगभग 12 लाख करोड़ रुपए विवादों के कारण फंसे हैं। इस विवाद से विश्वास योजना के क्रियान्वयन में कर अधिकारियों के प्रदर्शन का प्रभाव विभाग द्वारा उनके काम के वाषिर्क मूल्यांकन तथा उनकी भविष्य की तैनातियों में भी झलक  पड़ेगा। इसमें आकलन अधिकारी से लेकर प्रधान मुख्य आयुक्त समेत सभी अधिकारी सालाना प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट के तहत स्व-मूल्यांकन में योजना के संदर्भ में अपने प्रदर्शन का ब्योरा दे सकते हैं।  इसमें अधिकारी विवादित मामलों की संख्या, उससे जुड़ी राशि के साथ-साथ सुलझाये गये मामलों की संख्या और संग्रह राशि जैसे ब्योरे की जानकारी स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट में दी जा सकती है। इस योजना का उद्देश्य प्रत्यक्ष कर से संबद्ध 4.83 लाख मामलों का निपटान करना हैं। इन मामलों में लगभग 12 लाख करोड़ रुपए फंसे पड़े हैं। ये मामले अपीलीय न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।

कुणाल/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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