धार्मिक स्थानों पर महिलाओं से भेदभाव पर सवाल तय करेगा न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह विभिन्न धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के खिलाफ धार्मिक भेदभावों पर कानूनी सवाल तैयार करेगा जिनका निर्णय नौ न्यायाधीशों की पीठ करेगी।
![]() उच्चतम न्यायालय |
सबरीमला मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान भेदभाव के अन्य बड़े मामले उठाए गए थे।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह मामले में तय किए गए कानूनी प्रश्नों और समय सीमा के बारे में पक्षों को छह फरवरी को सूचना देगी। पीठ इस मुद्दे पर भी गौर करेगी कि क्या पुनर्विचार के लिए विषय को बड़ी पीठ को सौंपा जा सकता है।
इस पीठ में न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एल नागेर राव, न्यायमूर्ति एम एम शांतनागौडर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरीमन, कपिल सिब्बल, श्याम दीवान और राकेश द्विवेदी ने कहा कि पुनर्विचार के अधिकार क्षेत्र के दायरे में आने वाले मुद्दों को वृहद पीठ को नहीं भेजा जा सकता। वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि पुनर्विचार के मामले में, संभावनाएं बहुत सीमित होती हैं और अदालत बस इतना देख सकती है कि समीक्षा के तहत फैसले में कोई स्पष्ट गलती है या नहीं। सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन और रंजीत कुमार ने हालांकि दलील का विरोध किया और कहा कि सर्वोच्च अदालत मामले पर फैसले के दौरान उठे व्यापक मुद्दे को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को संदर्भित कर सकती है। पीठ ने कहा कि वह सभी मुद्दों को देखेगी और उन सवालों को तय करेगी जिसका निर्णय नौ न्यायाधीशों की पीठ को करना है।
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