सोनिया ने मित्र दलों पर अपने नेताओं को जुबान संभालने को कहा

Last Updated 15 Jan 2020 03:53:33 AM IST

द्रमुक से रिश्तों में आए खिंचाव के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के नेताओं को गठबंधन के साथियों को लेकर जुबान संभालने को कहा है।


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (file photo)

इस मामले में तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष केएस अलागिरी की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यहां पेशी भी हुई।
वरिष्ठ नेता चिदम्बरम के करीबी अलागिरी ने द्रमुक नेता स्टालिन पर स्थानीय निकाय के चुनाव में गठबंधन धर्म नहीं निभाने जैसा बड़ा बयान दे दिया था। इससे द्रमुक नेता स्टालिन ने पार्टी के नेताओं को सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बुलाई विपक्षी दलों की बैठक में नहीं भेजा था। इस पर कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई थी और एनसीपी नेता शरद पवार,माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी राजा ने भी बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को नसीहत दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तमिलनाडु के अध्यक्ष से बयान वापस करा चुके हैं, लेकिन द्रमुक नेता स्टालिन की नाराजगी समाप्त नहीं हुई है।

बताया जा रहा है कि वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, गुलाम नवी आजाद सरीखे नेता टीआर बालू और कनिमोझी जैसे द्रमुक नेताओं के संपर्क में हैं। समझा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी द्रमुक नेता स्टालिन से बात कर सकती हैं। दिलचस्प यह है कि कांग्रेस हाईकमान तृणमूल कांग्रेस, सपा और बसपा से ज्यादा तरजीह द्रमुक को दे रहा है। दरअसल कांग्रेस तमिलनाडु में द्रमुक की बैसाखियों से ही चुनावी राजनीति कर पाती है।

ये तो हुई तमिलनाडु की बात, हाईकमान ने महाराष्ट्र, झारखंड, कर्नाटक में भी अपने सहयोगियों के साथ जुबान संभालकर बोलने की नसीहत इन राज्यों के अपने नेताओं को दी है। कर्नाटक में जद (एस) और महाराष्ट्र में शिवसेना के बारे में कांग्रेस नेताओं के बयान अकसर परेशानी का सबब बनते रहे हैं। मध्य प्रदेश में सपा-बसपा के साथ रिश्ते निभाने की जिम्मेदारी वहां के मुख्यमंत्री पर डाल दी गई है। मध्य प्रदेश की सरकार को सपा-बसपा दोनों ने समर्थन दे रखा है। जैसे राजस्थान में बसपा के विधायकों को फोड़ लेने के मामले में हाईकमान ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया उसी प्रकार से मध्य प्रदेश के मामले में भी वह दखल नहीं दे रहा है।

अजय तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment