न्यायालय मे अनुच्छेद 370 खत्म करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई

Last Updated 10 Dec 2019 02:49:16 PM IST

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई शुरू हो गयी।


उच्चतम न्यायालय

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान के समक्ष नौकरशाह से राजनीति में आए शाह फैसल और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन ने बहस शुरू की। रामचन्द्रन ने इस मामले में अपनी बहस के दायरे के बारे में पीठ को अवगत कराया।      

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल हैं।      
रामचन्द्रन ने कहा कि वह इस सवाल पर बहस करेंगे कि क्या अस्थाई राष्ट्रपति शासन की आड़ में राज्य और केन्द्र के बीच संघीय रिश्तों में ‘अपरिवर्तनीय बदलाव’ लाये जा सकते हैं।      

उन्होंने कहा कि वह इस सवाल पर भी बहस करेंगे कि क्या निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से जम्मू कश्मीर की जनता की भागीदारी के बगैर ही ऐसा किया जा सकता है क्योंकि अब इस राज्य को दो केन्द्रशासित राज्यों में बांट दिया गया है।    

रामचन्द्रन ने कहा, ‘‘दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा विशेषकर जम्मू कश्मीर के संदर्भ में है कि जब अनच्छेद 370 में ही संबंधों में बदलाव की व्यवस्था है तो क्या अपरिवर्ततीय बदलाव करते समय उस व्यवस्था को नजरअंदाज किया जा सकता है।      

इस मामले में दायर याचिकाओं में वकील, कार्यकर्ता, निजी लोग और नेशनल कांफ्रेंस, सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कांफ्रेंस और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी की याचिकाएं भी शामिल हैं।      

शीर्ष अदालत ने 14 नवंबर को इन याचिकाओं पर कोई अंतरिम आदेश देने से यह कहते हुये इंकार कर दिया था कि इससे मामले में विलंब हो सकता है और शीर्ष अदालत सभी पक्षों को सुनने के बाद एक ही बार में इन मुद्दों का निबटारा करना चाहेगी।      

न्यायालय ने सभी पक्षकारों से कहा था कि वे सारे दस्तावेजों की एक साझा संकलन तैयार करें ताकि सुनवाई बेहतर और आसान हो सके।      

नेशनल कांफ्रेंस की ओर से लोकसभा के दो सांसदों- मोहम्मद अकबर लोन और पूर्व न्यायाधीश हसनैन मसूदी- ने दायर की है। न्यायमूर्ति मसूदी ने 2015 में अपने फैसले में यह व्यवस्था दी थी कि अनुच्छेद 370 संविधान का स्थाई अंग है।  

   

पूर्व रक्षा अधिकारियों और नौकरशाहों के समूह ने भी एक याचिका दायर की है। इनमें 2010-11 में जम्मू कश्मीर में बातचीत के लिये गठित गृह मंत्रालय के समूह के सदस्य प्रफेसर राधा कुमार, जम्मू कश्मीर काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हिन्दल हैदर तैयबजी, पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक, पूर्व मेजर जनरल अशोक कुमार मेहता, पंजाब काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अमिताभ पान्डे और केरल काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोपाल पिल्लई शामिल हैं।

भाषा
नयी दिल्ली


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