निजी डेटा के दुरुपयोग पर जेल, 15 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव

Last Updated 04 Dec 2019 08:06:25 PM IST

प्रस्तावित व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक में निजी सूचनाओं के संरक्षण के नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 15 करोड़ रुपये या वैश्विक कारोबार के चार प्रतिशत तक के जुर्माने के साथ साथ जेल का प्रावधान है।


व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक में निजी सूचनाओं के संरक्षण के नियमों के विधेयक को मंजूरी दी।       

इस विधेयक को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद में रखा जा सकता है।       

एक सूत्र ने कहा कि इसके अलावा विधेयक में डेटा कारोबार के इंचार्ज का काम देख रहे कार्यकारी को उल्लंघन के मामले में तीन साल तक की जेल भी हो सकती है। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि कंपनी का कोई अधिकारी यदि भारत के लोगों के गुमनाम डेटा का सार्वजनिक डेटा से मिलान कर व्यक्ति की पहचान करने या डेटा का नियम विरुद्ध प्रसंस्करण का काम जानबूझ कर करता पाया गया तो उसे जेल की सजा हो सकती है।       

सूत्र ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक में किसी बड़े उल्लंघन में कंपनियों पर 15 करोड़ रुपये या उनके वैश्विक कारोबार के चार प्रतिशत (जो भी अधिक हो) तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। उल्लंघन के छोटे मामलों में पांच करोड़ रुपये या वैश्विक कारोबार का दो प्रतिशत तक जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है।’’       

विधेयक के तहत सभी इंटरनेट कंपनियों को अनिवार्य रूप से महत्वपूर्ण डेटा या आंकड़ों को भारत में ही स्टोर करना होगा, जबकि संवेदनशील डेटा का प्रसंस्करण डेटा मालिक की सहमति से देश के बाहर किया जा सकता है।       

महत्वपूर्ण डेटा को सरकार द्वारा समय समय पर परिभाषित किया जाता है। वहीं स्वास्थ्य, धर्म, राजनीतिक, बायोमीट्रिक, जेनेटिक डेटा को संवेदनशील माना जाता है।       

सोशल मीडिया कंपनियों को अपने मंच स्वैच्छिक रूप से पहचान बताने के इच्छुक प्रयोगकर्ताओं की पहचान के लिए तंत्र बनाना होगा।       

सूत्र ने बताया कि इस विधेयक से इकाइयां देश में ही डेटा प्रसंस्करण को प्रोत्साहित होंगी और डेटा की खपत के उच्चस्तर की वजह से भारत दुनिया की सबसे बड़ा डेटा रिफाइनरी का केंद्र बन सकेगा।       

विधेयक में सिर्फ कानूनी उद्देश्य से डेटा के प्रसंस्करण की अनुमति का प्रावधान है।  

        

सूत्र ने कहा कि सरकार की ओर से स्वायत्तता से जुड़े मामलों, राष्ट्रीय सुरक्षा या अदालती आदेश की स्थिति में डेटा का प्रसंस्करण बिना सहमति के किया जा सकता है।

भाषा
नयी दिल्ली


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