लोकसभा में पांच मिनट में पेश हुए चार बिल
लोकसभा में सोमवार को महाराष्ट्र में सरकार गठन के मामले व राज्यपाल की भूमिका को लेकर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच मात्र 5 मिनट में चार विधेयक पेश करने सहित 10 मिनट में आवश्यक विधायी कार्य पूरा कर लिया गया।
नई दिल्ली : संसद में विरोध पट्टिका दर्शाने वाले कांग्रेसी सांसदों टीएन प्रतापन (बाएं से दूसरे) और हिबी इडेन (बाएं से तीसरे) को सदन से बाहर ले जाते मार्शल। |
लोकसभा में सोमवार सवेरे हुए विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद दोपहर 2 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने महाराष्ट्र में राज्यपाल की भूमिका का मामला फिर उठाने की कोशिश की लेकिन अध्यक्ष के आसन पर आसीन मीनाक्षी लेखी ने उन्हें रोक दिया और आवश्यक दस्तावेजद सदन पटल में रखे जाने संबधी विधायी कार्य शुरू कर दिया।
मंत्रियों ने जब अपने मंत्रालयों से संबंधित दस्तावेज सदन पटल पर पेश कर दिए तो लेखी ने विभिन्न संशोधन विधेयकों को सदन में पेश करने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन इस बीच कांग्रेस व एनसीपी के अनेक सांसद नारेबाजी करते हुए तथा हाथ में नारे लिखे पोस्टर लिए हुए अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए। विपक्ष के हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कराधान विधि संशोधन विधेयक तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र प्राधिकरण विधेयक सदन में ध्वनिमत से पेश किया जबकि मानसुख लाल मांडवीया ने पोत पुनर्चकण्रविधेयक पेश किया। गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में उनकी ओर से गृह राज्य मंत्री जी.कृष्ण रेड्डी ने एसपीजी संशोधन विधेयक पेश किया।
एसपीजी संशोधन विधेयक में एसपीजी सुरक्षा प्रधानमंत्री तथा उनके साथ रहने वाले उनके परिजनों को दिये जाने तथा प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद किसी व्यक्ति व उसके परिजनों को पद छोड़ने की तारीख से पांच वर्ष के लिए एसपजी सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्रियों तथा उनके परिजनों तक यदि इस सेवा का विस्तार लंबी अवधि के लिए किया जाता है तो ऐसी परिस्थितियों में एसपीजी के लिए संसाधन पूरे करना मुश्किल हो जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गय्ए कराधान संशोधन विधेयक में कंपनी कर में कटौती का लाभ केवल विनिर्माण क्षेत्र को ही दिए जाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार केवल विनिर्माण करने वाली, वस्तु या माल का उत्पादन करने वाली अथवा विनिर्माण क्षेत्र के लिए अनुसंधान एवं वितरण से जुड़ी कंपनियों के लिए ही कराधान में बदलाव होगा।
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