महाराष्ट्र पर SC मंगलवार को सुनाएगा फैसला, केंद्र ने कहा- बीजेपी सरकार को राकांपा के सभी विधायकों का समर्थन

Last Updated 25 Nov 2019 10:28:32 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले में अपना आदेश मंगलवार सुबह 10.30 बजे के लिए सोमवार को सुरक्षित कर लिया। इस तरह भाजपा-अजीत पवार को कम से कम अतिरिक्त एक दिन की राहत मिल गई है।


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के मुद्दे को लेकर शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की याचिका पर मंगलवार को आदेश सुनाया जायेगा। इस गठबंधन ने भाजपा नेता देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को चुनौती दे रखी है।      

राज्य में राजनीतिक हलके में अनिश्चित्ता बढ गयी है क्योंकि केन्द्र ने सोमवार को भी यही दावा किया कि महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के लिये भाजपा को राकांपा के 54 विधायकों का समर्थन था। केन्द्र ने न्यायालय से अनुरोध किया कि राज्यपाल के फैसले के खिलाफ याचिका पर जवाब देने के लिये उसे दो तीन दिन का वक्त दिया जाये।    

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष शिवसेना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके गठबंधन के पास 154 विधायकों के हलफनामे हैं और भाजपा को 24 घंटे के भीतर अपना बहुमत सिद्ध करने के लिये कहा जाना चाहिए, अगर उसके पास है।    

केन्द्र ने पीठ से कहा कि 23 नवंबर को सबसे बड़े दल को सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित करना राज्यपाल का विवेकाधिकार था।      

सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल को सरकार गठित करने के लिये घूम घूम कर यह पता लगाने की आवश्यकता नहीं है कि किस दल के पास बहुमत है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या कोई दल यहां आकर 24 घंटे के भीतर बहुमत सिद्ध करने के लिये न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध कर सकता है।      

मेहता ने कहा कि राज्यपाल चुनाव के नतीजों के बाद के तथ्यों और स्थिति से भलीभांति अवगत थे जिनकी वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।      

शीर्ष अदालत ने फड़णवीस को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करने संबंधी राज्यपाल कोश्यारी के पत्र का अवलोकन किया और फिर कहा कि यह निर्णय करना होगा कि क्या मुख्यमंत्री के पास सदन में बहुमत का समर्थन है या नहीं।      

सालिसिटर जनरल ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल ने शिवसेना, भाजपा, राकांपा को सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित किया था और इनके कामयाब नहीं होने के बाद ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया।    

राकांपा के नेता और उप मुख्यमंत्री अजित पवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह ने पीठ से कहा कि राज्यपाल ने नियमानुसार ही फडणवीस को सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित किया है।      

इससे पहले, शिवसेना की ओर से बहस शुरू करते हुये सिब्बल ने तीनों दलों की प्रेस कांफ्रेस का हवाला दिया जिसमें उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री घोषित किया गया था।

सिब्बल ने कहा, ‘‘ऐसी कौन सी राष्ट्रीय आपदा थी कि सवेरे 5.27 मिनट पर राष्ट्रपति शासन खत्म किया जाता ।’’ उन्होंने राष्ट्रपति शासन हटाने की कथित जल्दबाजी और नयी सरकार के गठन का जिक्र किया और कहा कि लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।     

सिब्बल ने कहा, ‘‘(शिवसेन-राकांपा-कांग्रेस) गठबंधन ने महाराष्ट्र के 154 विधायकों के समर्थन के हलफनामे दिए हैं। यदि भाजपा के पास संख्या है तो उसे 24 घंटे के भीतर बहुमत सिद्ध करने के लिये कहा जाना चाहिए।’’      

राकांपा और कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे ‘निचले स्तर का छल’ करार दिया और सवाल किया कि क्या एक भी राकांपा विधायक ने अजित पवार से कहा कि उसने भाजपा के साथ हाथ मिलाने के लिये उनका समर्थन किया।      

विशेष पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई शुरू होने पर मेहता ने न्यायालय के निर्देशानुसार राज्यपाल और फड़णवीस के पत्र पेश किया। पीठ ने रविवार को ये पत्र पेश करने का निर्देश दिया था।      

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की इस याचिका पर विचार नहीं कर रही है कि उन्हें महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित किया जाये।

भाजपा और कुछ निर्दलीय विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि दोनों ही पक्षों के चुनाव पूर्व गठबंधन के साझेदार परस्पर विरोधी हो गये थे। उन्होंने कहा कि राकांपा अपने विधानमंडल में अपने दल के नेता अजित पवार के माध्यम से चुनाव पूर्व की अपनी विरोधी भाजपा के साथ आ गयी थी। इस तरह वह अपने चाचा शरद पवार से अलग हुए जिन्होंने चुनाव से पहले राकांपा की विरोधी रही शिवसेना से हाथ मिला लिया।    

रोहतगी ने कहा कि फडणवीस के पास अजित पवार का समर्थन का पत्र था और उन्होंने सरकार गठन करने के लिये 170 विधायकों की सूची पेश की।      

रोहतगी ने कहा, ‘‘यह किसी का मामला नहीं है कि फडणवीस द्वारा राज्यपाल को सौंपे गये दस्तावेज फर्जी थे।’’ उन्होंने कहा कि फडणवीस के पास सरकार गठन के लिये जरूरी सारे दस्तावेज थे और पवार परिवार के भीतर ही कुछ तनाव व्याप्त था।  उन्होने कहा, ‘‘एक पवार मेरे साथ है, दूसरा पवार शीर्ष अदालत में है।’’ उन्होंने कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन नाहक ही यह आरोप लगा रहा है कि किसी तरह की खरीद फरोख्त हो रही है।      

रोहतगी ने कहा, ‘‘वास्तव में, शुक्रवार तक, वे खरीद फरोख्त में संलिप्त थे।’’ मेहता और रोहतगी ने कहा कि चुनाव नतीजों के बाद दूसरे दल जब आवश्यक संख्या जुटाने में असफल रहे तो राज्यपाल ने सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया।      

रोहतगी ने कहा, ‘‘अब, सवाल यह है कि क्या यह न्यायालय कह सकता है कि सदन में एक निश्चित समय सीमा के भीतर बहुमत साबित करने का आदेश दिया जा सकता है।’’  उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन उच्चतम न्यायालय को इस बात का निर्णय करने के लिये कह रहा है कि राज्यपाल और विधानसभा को किस तरह काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायालय सदन की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जिसका संचालन विधानसभा के नियमों से होता है, और राज्यपाल को न्यायिक समीक्षा से छूट प्राप्त है।’’      

मेहता ने कहा कि इसे लेकर कोई विवाद नहीं है कि अंतत: सदन में ही बहुमत सिद्ध करना होगा और कोई दल यह नहीं कह सकता कि ऐसा 24 घंटे के भीतर होना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या शीर्ष अदालत सदन की कार्यवाही की निगरानी कर सकती है जो सांविधानिक रूप से निषेध है।      

सिब्बल और सिंघवी ने कहा कि यह पहली नजर में अंतरिम आदेश पारित करने योग्य मामला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन हटाने और फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की इतनी जल्दी क्या थी? क्या इस तत्परता की जरूरत को दर्शाने संबंधी कोई तथ्य रिकार्ड पर है?      

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी जिसके 105 विधायक हैं जबकि शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं।    

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अभी तक के ताजा घटनाक्रम

सुबह 11:34 : केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए भाजपा के पास राकांपा के 54 विधायकों का समर्थन है। उसने शीर्ष अदालत से देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब देने के लिए दो-तीन दिन मांगे।      
सुबह 11:23 : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने एकबार फिर दावा किया कि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाएगी।      
सुबह 11:15 : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य पार्टी के नेताओं ने महाराष्ट्र में राकांपा के साथ सरकार बनाने के भाजपा के कदम के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया।     सुबह 10:46 : उच्चतम न्यायालय ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ तीनों पार्टियों की याचिका पर विचार करने के लिए सुनवाई शुरू की।      
सुबह 10:44: महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक ड्रामे और विधायकों के ‘‘खरीद-फरोख्त’’ की आशंका के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने अपने विधायक शहर के पांच सितारा रिजॉर्ट से निकाल दो होटल में भेजे।      
सुबह 10:24: शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी, राकांपा और कांग्रेस के नेता राज्य में सरकार गठन के लिए अपना पक्ष रखने के लिए सोमवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतंिसह कोश्यारी से मुलाकात करेंगे।      
सुबह 9:45: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर पार्टी के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक हुई। कांग्रेस दोनों सदन में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ से जुड़ा मुद्दा उठा सकती है।      
सुबह 9:40 : शिवसेना ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा जो पार्टी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ 25 साल की दोस्ती की कदर नहीं कर सकती वह क्या अजित पवार का साथ देगी।      
सुबह 9:09 : कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या देश अब ’जनादेश के खुले अपहरण ‘‘ के दौर में पहुंच चुका है।      
 

 

 

 

भाषा
नई दिल्ली


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