अयोध्या मामला: मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने नक्शा, दस्तावेज फाड़े

Last Updated 16 Oct 2019 11:42:01 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई के दौरान पल-पल बदलते घटनाक्रम के बीच मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बुधवार को नक्शा और दस्तावेज फाड़ डाले।


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नीर की संविधान पीठ के समक्ष ऑल इंडिया हिन्दू महासभा के वकील विकास कुमार सिंह ने कुणाल किशोर की पुस्तक ‘अयोध्या रीविजिटेड’ पेश किए।

धवन ने इस पर आपत्ति जताई और कोर्ट से आग्रह किया कि इस पुस्तक को रिकॉर्ड में नहीं लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक हाल ही में लिखी गई है और इसे साक्ष्य के रूप में नहीं लिया जा सकता।

सिंह ने फिर एक नक्शा का हवाला दिया, और इसे तय नियमों के तहत मुस्लिम पक्ष के वकील को भी सौंपा। धवन ने उस नक्शे को फ़ाड़ दिया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी भरे लहजे में उन्हें कहा, ‘‘कुछ और भी फाड़ दीजिए।’’

इसपर धवन ने और भी दस्तावेज फ़ाड़ दिए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि ऐसे ही चलता रहा तो हम उठकर चले जाएंगे।’’

अयोध्या: 'दोनों पक्ष शाम 5 बजे तक पूरी करें बहस'

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में रोजाना हो रही सुनवाई को आज शाम को पूरी कर देगा। साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘अब बहुत हो चुका।’’    

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा।     

 पीठ ने मामले की, 40वें दिन सुनवाई शुरू होने पर कहा, ‘‘इस मामले की सुनवाई आज शाम पांच बजे पूरी हो जाएगी। अब बहुत हो चुका।’’    

कोर्ट ने पहले कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी। अब इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया है। प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल 17 नवंबर को समाप्त हो रहा है।     

पीठ ने सुनवाई में हस्तक्षेप की एक पक्षकार की याचिका को भी खारिज कर दिया और कहा कि सुनवाई के इस चरण पर अब किसी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी।      

हिंदू पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दायर मुकदमे के जवाब में अपना अभ्यावेदन आरंभ किया।    

उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। 


 

 

वार्ता/भाषा
नई दिल्ली


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