ना नहीं करते लेकिन कुछ श्रेणी की आपदाओं में जिम्मेदारी राज्य की हो: NDRF प्रमुख

Last Updated 26 Sep 2019 12:10:43 PM IST

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा है कि बल के समक्ष चुनौतियों की विविधता चिंता का विषय है।


राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ)

उन्होंने एक स्पष्ट नीति बनाने की मांग की जिसमें कुछ विशेष श्रेणियों की आपदाओं से निपटने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों पर डाली जाए।     

प्रधान ने कहा कि राज्य सरकारें आपदाओं से निपटने की अपनी क्षमता का आकलन करे बगैर ही विशिष्ट बल के लिए अनुरोध भेज देती हैं और चाहती हैं कि बल हमेशा तैयार रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी अनुरोध को मना नहीं करते लेकिन इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है। एक तरफ हम गड्ढे में फंसे बच्चे की मदद कर रहे होते हैं तो दूसरी ओर एनडीआरएफ के जवान किसी और जगह बाढ़ या चक्रवात के हालात में बचाव कार्य कर रहे होते हैं। चुनौतियों की बहुलता चिंता का विषय है।’’    

प्रधान ने यह भी कहा कि एनडीआरएफ तो राज्य सरकारों के लिए एक सहायक बल है क्योंकि संवैधानिक तौर पर आपदा प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी खुद राज्य सरकारों की होती है।    

अधिकारी ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि आपदाओं को ए, बी अथवा सी श्रेणी में रखा जाए उसके बाद यह स्पष्ट नीति हो कि कुछ श्रेणी की आपदाओं में प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य की हो। हमें खुशी होगी यदि हमें दूसरे या तीसरे विकल्प के रूप में बुलाया जाए। राज्य अगर सक्षम नहीं हैं तो उन्हें सक्षम बनना चाहिए।’’     

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकारों की आपदा से निपटने की क्षमता निर्माण के लिए एनडीआरएफ प्रशिक्षण और आवश्यक उपकरण दिलवाने समेत हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार है।

समुदाय को सक्षम बनाने के लिए विशिष्ट बल नेहरू युवा केंद्र संगठन के नौ हजार स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दे रहा है।    

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस सिद्धांत पर काम करते हैं कि किसी भी आपदा के वक्त सबसे पहले समुदाय आगे आता है। समुदाय को प्रशिक्षित करके और अधिक जानमाल को बचाया जा सकता है। ये स्वयंसेवक हमारे साथ पंजीबद्ध होंगे और ‘एनडीआरएफ मित्र’ कहलाएंगे। हम उनका डेटाबेस भी बनाएंगे।’’     

प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार एनडीआरएफ की बटालियन संख्या को सीमित करने पर विचार कर रही है। देशभर में बल की अभी 12 बटालियन हैं, जिनमें से प्रत्येक बटालियन में 1,150 जवान हैं। बल जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चार और बटालियन जोड़ने जा रहा है।     

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम बटालियन जोड़ेते चले जाएंगे तो राज्य अपनी क्षमता नहीं बढ़ाएंगे और यह देश हित में नहीं है। एनडीआरएफ पर इतनी अधिक निर्भरता देश के लिए अच्छी नहीं है।’’     

एनडीआरएफ का गठन साल 2006 में हुआ था।    

भाषा
कोलकाता


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