लैंडर ‘विक्रम’ का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूटा
लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया सामान्य देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया, डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है
चंद्रयान-2 लैंडर ‘विक्रम’ |
लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया सामान्य देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया, डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है : इसरो अध्यक्ष के. सिवन।
उतार-चढाव आते रहते हैं, लेकिन यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, देश आप पर गर्व करता है, सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करें, हौसला रखें : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से कहा।
‘विक्रम’ की ‘सॉफ्ट लैडिंग’ की घड़ी अब बिल्कुल नजदीक है। सारा देश टेलीविजन के माध्यम से इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए आज रात जागा हुआ है और अंतरिक्ष जगत में भारत की धाक जमाने वाले इस मिशन की सफलता के लिए कामना तथा प्रार्थना कर रहा है।
लैंडर रात डेढ बजे से ढाई बजे के बीच चांद की सतह पर किसी भी क्षण उतरेगा। यह इसरो के वैज्ञानिकों ही नहीं, बल्कि पूरे देश की ‘दिल की धड़कनों को थमा देने वाला’ क्षण होगा क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञानी पहली बार ‘सॉफ्ट लैडिंग’ के जटिल मिशन को अंजाम देने जा रहे हैं।
‘विक्रम’ के चांद पर उतरने के कुछ घंटे बाद रोवर ‘प्रज्ञान’ सात सितंबर की सुबह साढे पांच से साढे छह बजे के बीच इससे बाहर निकलेगा और अपने पहियों पर चलते हुए वैज्ञानिक परीक्षण करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक संक्षिप्त वीडियो में ‘प्रज्ञान’ के बारे में विवरण दिया।
यह रोबोटिक वाहन चांद पर चहलकदमी के लिए बनाया गया है। इसमें सौर पैनल लगे हैं जिनसे यह खुद को चार्ज करेगा और अपना काम करेगा।
इसके ऊपर दो कैमरे लगे हैं जो इसकी बाईं और दाईं आंख कहे जा सकते हैं। इसके अलावा यह ‘एल्फा प्रैक्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’, ‘रिसीव’ और ‘ट्रांसमिट’ एंटीना तथा ‘रॉकर बोगी असेंबली’ से भी लैस है।
चांद पर उतरने के कुछ घंटे बाद ‘विक्रम’ का दरवाजा खुलेगा और माचिस के जैसे आकार वाले रोवर के लिए ढलावनुमा सीढी बिछाएगा। इसके बाद छह पहियों वाला ‘विक्रम’ इससे नीचे उतरेगा और चंद्र सतह पर चलना शुरू करेगा।
चंद्रमा की सतह पर उतरते ही रोवर की बैटरियां खुद सक्रिय होकर इसके सौर पैनलों को सक्रिय कर देंगी।
अपने अध्ययन की जानकारी रोवर पहले लैंडर को भेजेगा और फिर लैंडर से यह जानकारी धरती पर बैठे इसरो के वैज्ञानिकों तक पहुंचेगी।
रोवर एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर की अवधि तक काम करेगा और यह लैंडर से अधिकतम 500 मीटर की दूरी तय कर पाएगा।
भारत के दूसरे चंद्र मिशन का उद्देश्य चंद्र सतह पर पानी की मौजूदगी और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों का पता लगाना है।
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