तीन तलाक बिल: रविशंकर प्रसाद बोले, हमें मुस्लिम बहनों की चिंता
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि केंद्र सरकार देश में सभी धर्म, जाति और वर्ग की महिलाओं को न्याय, गरिमा और सम्मान देने की पक्षधर है इसलिए मुस्लिम समाज में मामूली बात पर तलाक जैसी सामाजिक बुराई से पीड़ित महिलाओं को न्याय देने के लिए तीन तलाक विधेयक लाया गया है।
![]() कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद |
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि तीन तलाक मुस्लिम समाज की महिलाओं के जीवन में अनिश्चितता लाता है और पल में उनके जीवन को तबाह कर दिया जाता है। मुस्लिम महिलाओं को इस पीड़ा से छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें कानूनी संरक्षण देना आवश्यक है इसलिए सरकार उनके हित में यह विधेयक लेकर आयी है।
उन्होंने कहा कि यह इंसाफ और इंसानियत का मामला है। केंद्र सरकार मुस्लिम बहनों को ऐसे नहीं छोड़ सकती। हमें मुस्लिम बहनों की चिंता है। तीन तलाक की वजह से महिलाओं के साथ न्याय में देरी हो रही है।
कानून मंत्री ने कहा, "ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 24 जुलाई, 2019 तक ट्रिपल तलाक के 345 मामले सामने आ चुके हैं."
उन्होंने कहा कि तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए दुनिया के 20 मुल्कों में कानून है। यहां तक कि धर्म के आधार पर निर्मित पाकिस्तान जैसे देश में भी यह कानून है तो भारत की मुस्लिम महिलाओं को संरक्षण देने के लिए इस तरह की व्यवस्था आवश्यक है। बंगलादेश, मिस्र, जार्डन जैसे कई देशों में महिलाओं को तीन तलाक जैसी बुराई से बचाने के लिए कानून है लेकिन आश्चर्य की बात है कि भारत में पल भर में मुस्लिम महिलाओं को तबाह करने वाली इस बुराई को रोकने के लिए कोई कानून नहीं है।
प्रसाद ने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं के संरक्षण के लिए काम कर रही है और उसने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि, उज्ज्वला योजना, नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा देने और बेटियों को लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए आगे आने के वास्ते प्रोत्साहित करने वाले जैसे कई कदम उठाए हैं। बेटियों को समृद्ध करने के उनके प्रयास में मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय का मुद्दा रह गया था इसलिए वह यह विधेयक लेकर आए हैं ताकि उनकी सरकार में कोई बेटी कहीं अन्याय की शिकार नहीं हो।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक पहले लोकसभा से पारित हो चुका है लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हुआ था। इस बीच लोकसभा भंग हो गयी थी इसलिए यह विधेयक स्वत: निष्प्रभावी हो गया था इसलिए नयी लोकसभा के गठन के बाद इस विधेयक को सदन में पेश किया जा रहा है।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने अपने सांसदों को सदन में विधेयक पेश करने के समय उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के विधेयक को लाने के सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि इसके लिए सबसे पहले मुस्लिम समुदाय से चर्चा करनी चाहिए।
कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, "तीन तलाक विधेयक आज लोकसभा में नाटकीय रूप से पेश किया जा सकता है। मोदी द्वारा ट्रंप को कश्मीर में मध्यस्थता के दिए गए आमंत्रण के मुद्दे से भटकाने के लिए? अगर राजग/भाजपा मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल देने के लिए लालायित हैं तो वह मुस्लिम समुदाय से चर्चा कर 1950 के दशक के हिंदू कोड बिल की तरह कानून क्यों नहीं बनाते?"
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने विपक्ष के विरोध के बावजूद 21 जून को लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों की रक्षा) विधेयक 2019 पेश किया था। विपक्ष की मांग थी कि सभी राजनीतिक दलों को व्यापक चर्चा में शामिल करने के बाद इसे पेश किया जाना चाहिए।
विपक्ष विधेयक के वर्तमान स्वरूप के खिलाफ है। विपक्ष का तर्क है कि इसमें सिर्फ मुस्लिमों को निशाना बनाया जाएगा। यहां तक कि राजग की सहयोगी जनता दल- यूनाइटेड (जद-यू) भी इसके खिलाफ है।
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