कर्नाटक: सरकार बनाने की जल्दी में नहीं BJP, फूंक-फूंक कर रख रही कदम

Last Updated 25 Jul 2019 10:32:09 AM IST

कर्नाटक में जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के विश्वास मत खोने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं और वह जल्दबाजी करने की बजाय इस्तीफा देने वाले कांग्रेस जनता दल सेकुलर के विधायकों के त्यागपत्र पर फैसला आने या विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार के इस्तीफे बाद ही कोई कदम उठाएगी।


बीएस येद्दियुरप्पा (फाइल फोटो)

बेंगलुरू में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येद्दियुरप्पा राज्य में अगले कदम के लिए बुधवार को केंद्रीय नेतृत्व की सलाह का इंतजार करते रहे। मुख्यमंत्री एच डी कुमार स्वामी के इस्तीफे के बाद नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और पार्टी के संगठन महासचिव बी एल संतोष के साथ विचार विमर्श किया था।

येद्दियुरप्पा ने बुधवार को बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘केशव शिल्प’ में वरिष्ठ आरएसएस नेताओं के साथ बैठक की। उन्होंने बैठक से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह आरएसएस के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आए हैं। राज्यपाल से मिलने या फिर राज्य में भाजपा सरकार बनाने के दावे के लिए अगला कदम उठाने से पहले वह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश की प्रतीक्षा करेंगे।

पार्टी के सूत्रों ने यहां बताया कि विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद येद्दियुरप्पा को आनन फानन में शपथ दिलवा दी गयी थी और परिणाम यह हुआ था कि वह बहुमत साबित नहीं कर पाये थे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। पार्टी अब नहीं चाहेगी कि राज्य में उसकी अल्पमत वाली सरकार बने। इसके लिए भाजपा कांग्रेस और जनता दल एस के इस्तीफा देने वाले विधायकों के त्यागपत्र मंजूर होने या फिर विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के त्यागपत्र पर होने वाले फैसले का इंतजार करेगी।

उच्चतम न्यायालय द्वारा विधानसभा में विश्वासमत के दौरान उन विधायकों को पार्टी के व्हिप से मुक्त किये जाने से बहुत बड़ी राहत मिल गयी थी। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने इस्तीफा स्वीकार करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास ही सुरक्षित रखा था।

सूत्रों का कहना है कि मौजूदा हालात में विधानसभा अध्यक्ष पर इस्तीफा स्वीकार करने का दबाव बढ़ गया है। उधर भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष के आचरण को लेकर हमला शुरू कर दिया है। भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफा देने की मांग की है।

सूत्रों का कहना है कि अगर इस्तीफा हो जाता है तो विश्वासमत जीतने के लिए 103 की संख्या जरूरी होगी जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 105 है। यदि इस्तीफे स्वीकार नहीं किये जाते तो कांग्रेस जनता दल एस के बागी विधायक किसी भी समय पलट सकते हैं और त्यागपत्र स्वीकार हो जाने की दशा में पीछे पलटने की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि कर्नाटक में पार्टी की सरकार स्थिरता की गारंटी पर भी बनानी चाहिए।

बागी विधायकों के त्यागपत्र को स्वीकारने के मुद्दे के कारण राज्य विधानसभा में एक सप्ताह तक चले नाटक के बाद मंगलवार को विश्वासमत पर मतदान कराया गया और मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार पराजित हो गयी।

मुख्यमंत्री द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद गठबंधन सरकार को केवल 99 मत पड़े जबकि भाजपा के हक में 105 वोट पड़े थे।

सदन में 225 सदस्यों में से विश्वास मत के दौरान उपस्थित सभी 205 सदस्यों ने अपने वोट डाले। जिसमें एक नामित सदस्य भी था। अनुपस्थित रहने वाले 20 सदस्यों में से 14 कांग्रेस और तीन जद (एस), एक बहुजन समाज पार्टी और दो निर्दलीय सदस्य थे। जिन्होंने भाजपा को अपना समर्थन दिया था।

येद्दियुरप्पा ने मंगलवार को कहा था कि केन्द्रीय नेतृत्व से निर्देश मिलने के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। भाजपा सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय नेतृत्व ने येद्दियुरप्पा को जब तक अगली सरकार के गठन पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता उन्हें तत्काल नयी दिल्ली नहीं आने के लिए कहा है।

इस बीच प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जिन 15 बागी विधायकों ने इस्तीफे दिये हैं, उन्होंने इस्तीफे स्वीकार किये जाने और अगली सरकार के गठन होने तक बेंगलुरू नहीं लौटने का फैसला किया है। वर्तमान में वे मुंबई और पुणे में रह रहे हैं।

वार्ता
नयी दिल्ली


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