चंद्रयान-2 : दो महिला वैज्ञानिकों ने निभाई अहम भूमिका
भारत के सपनों की उड़ान चंद्रयान-2 का यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया। इन सपनों को आकार देने में इसरो की दो महिला वैज्ञानिकों के रूप में नारी शक्ति का एक नया रूप देखने को मिला।
एम वनिता (परियोजना निदेशक) व ऋतु करिधाल (अभियान निदेशक) |
ऋतु करिधाल और एम वनिता के लिए सोमवार का दिन एक विशेष था, जो चंद्रयान-2 की क्रमश: अभियान निदेशक और परियोजना निदेशक हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने प्रक्षेपण से पहले जारी एक संदेश में कहा, ‘‘हमने हमेशा ही यह सुनिश्चित किया कि महिला वैज्ञानिक पुरूष वैज्ञानिकों के बराबर रहें। हमने पाया कि ये महिला वैज्ञानिक यह कार्य करने में सक्षम हैं और इसीलिए हमने उन्हें यह जिम्मेदारी दी।’’
एक अधिकारी ने बताया कि ये महिला इंजीनियर उम्र के 40वें दशक में हैं और इसरो के साथ उनकी सेवा दो दशक से अधिक की है। ये दोनों महिलाएं वर्तमान समय में बेंगलुरू स्थित यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र में तैनात हैं। ऋतु करिधाल भारत द्वारा 2013 में प्रक्षेपित मंगल ऑर्बिटर मिशन की उप अभियान निदेशक थीं और उनमें विज्ञान के लिए जुनून है। उन्होंने इसरो द्वारा साझा किए गए एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैंने महसूस किया कि विज्ञान मेरे लिए कोई विषय नहीं, बल्कि एक जुनून है। जब मुझे इसरो से नौकरी का पत्र मिला, तो मेरे अभिभावकों ने मुझमें अपना पूरा विश्वास व्यक्त किया और मुझे यहां भेजा।’’ प्रक्षेपण यान के हार्डवेयर के विकास की देखरेख करने वाली वनिता एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी आफ इंडिया द्वारा स्थापित सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला हैं।
इसरो की 2018-2019 की वाषिर्क रिपोर्ट के अनुसार इसमें 2069 महिलाएं विज्ञान संबंधी और तकनीकी श्रेणियों में कार्यरत हैं, जबकि प्रशासनिक क्षेत्र में 3285 महिलाएं हैं। सिवन ने इससे पहले कहा था कि इसरो का करीब 30 प्रतिशत महिला कार्यबल चंद्रयान-2 अभियान पर कार्य करेगा।
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